एक दिन पहले यानी मंगलवार को ही अकासा एयर के वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट में जानकारी दी थी कि 43 पायलटों के इस्तीफे के बाद एयरलाइन पर संकट गहरा सकता है और उसके ऑपरेशन बंद किए जा सकते हैं। इस बीच, कंपनी के को-फाउंडर और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) विनय दुबे ने स्टेकहोल्डर्स (शेयरधारकों) की चिंता को दूर करने की मांग की। उन्होंने बुधवार को एक ईमेल में कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि एयरलाइन का फ्यूचर और ग्रोथ, दोनों में बढ़ोतरी हो रही है।
दुबे ने ईमेल में लिखा, ‘कंपनी के पास ट्रेनिंग के विभिन्न चरणों में 30 से ज्यादा विमान उड़ाने के लिए पर्याप्त पायलट हैं’ और एयरलाइन ने ‘ग्राहकों को ज्यादा विश्वसनीय नेटवर्क प्रदान करने के लिए कम उड़ान भरने और शॉर्ट- टर्म में बाजार हिस्सेदारी छोड़ने का ऑप्शन चुना है।’ उन्होंने आगे लिखा कि ये केवल थोड़े समय के लिए बाधाएं थीं।
भले ही उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई पर चुप्पी बनाए रखी, लेकिन कर्मचारियों से अनुरोध किया कि वे मीडिया में उन अटकलों से बिलकुल न परेशान हों कि एयरलाइन बंद हो जाएगी।
अकासा के वकीलों ने मंगलवार को कहा था कि एयरलाइन ‘संकट की स्थिति’ में है और जिन 43 पायलटों ने अकासा एयर को छोड़कर इसकी प्रतिद्वंदी एयरलाइंस को जॉइन कर लिया था, उसकी वजह से ‘बंद’ हो सकती है। वकीलों ने दलील दी कि अदालत नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को पायलटों के लिए अनिवार्य नोटिस पीरियड नियम लागू करने का निर्देश दे। बता दें कि को-पायलटों के लिए नोटिस का पीरियड छह महीने और कमांडरों के लिए 12 महीने है।
कर्मचारियों को लिखे ईमेल में दुबे ने इस बात का विश्वास दिलाया कि कंपनी अच्छी स्थिति में है और कहा कि अकासा अपने ‘भविष्य’ के बारे में ‘कभी भी ज्यादा आश्वस्त’ नहीं थी और यह कंपनी विवेकपूर्ण ढंग से लॉन्ग टर्म फाइनैंशियल सक्सेस के लिए निवेश करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर भी खुशी हुई कि उनके अनुशासित दृष्टिकोण ने महत्वाकांक्षी योजनाओं को लागू करने के लिए एक मजबूत फाइनैंशियल प्रोफाइल स्थापित करने में मदद की है।
दुबे ने लिखा, एयरलाइन अपने ऑपरेशन के पहले दिन से पैसे कमा रही थी और इसका मतलब था कि दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला सहित अन्य निवेशकों द्वारा लगाई गई शुरुआती रकम ‘हमारे बैंक खाते में सुरक्षित’ रही। उन्होंने लिखा, कर्मचारियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि एयरलाइन ने अपने ऑपरेशन के पहले वर्ष में ही कंपनी के रिजर्व में इजाफा किया है।
43 पायलटों पर हर्जाने का मुकदमा करने के कंपनी के फैसले को उचित ठहराते हुए, दुबे ने कहा कि यह बहुत विचार-विमर्श के बाद किया गया था, क्योंकि पायलटों की हरकतें ‘न केवल उनके कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन थीं, बल्कि देश के नागरिक उड्डयन विनियमन का भी उल्लंघन थी।’
अकासा की कर्मचारी-केंद्रितता (employee centricity) पर सवाल को संबोधित करते हुए, क्योंकि इसने पहले के कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी उपाय की मांग की थी, दुबे ने तर्क दिया, ‘चूंकि इन एक्टिविटिज ने हमारे वर्तमान कर्मचारियों द्वारा किए गए महान कामों में बाधा और अनादर पैदा किया है, इसलिए सबसे कर्मचारी-केंद्रित चीज जो हम कर सकते हैं वह है आपके भविष्य की सुरक्षा पर जमकर बने रहना और हमने अपने ग्राहकों से जो वादा किया है, उसे पूरा करना।’
पायलटों के इस्तीफे की बात करते हुए दुबे ने लिखा कि यह एक अनादर से परिपूर्ण काम था और जिन पायलटों ने अकासा के साथ रहने का निर्णय लिया, उसे लेकर हम खुश भी हैं। कुछ पायलटों ने अपनी छुट्टियां गंवाकर एयरलाइन के लिए काम किया ताकि अतिरिक्त सेक्टर्स को भी कवर किया जा सके। और यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। उन्होंने यह भी लिखा कि कंपनी की 10 साल की योजना थी जिसमें पायलट भर्ती, ट्रेनिंग और कैरियर अपग्रेड्स शामिल थे।