देश के यात्री वाहन बाजार में मंदी के संकेत दिखने लगे हैं जहां फिलहाल करीब 7,00,000 वाहनों की बुकिंग लंबित है। डीलरों का कहना है कि इस साल जनवरी से ही ग्राहकों की आवक और पूछताछ में कमी दिखने लगी थी। उद्योग के अधिकारियों का यह भी मानना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान मात्रात्मक बिक्री दमदार रहने के बाद वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।
दक्षिण भारत के एक डीलर ने कहा, ‘इस साल जनवरी के बाद शोरूम में ग्राहकों की आवक और पूछताछ में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 8 से 10 फीसदी की कमी आई है। हालांकि मार्च के दूसरे पखवाड़े में थोड़ा सुधार दिख रहा है लेकिन ग्राहकों की आवक अब भी पिछले साल के मुकाबले कम है।’
उधर, ग्राहकों द्वारा बुकिंग रद्द किए जाने की भी आशंका बरकरार है क्योंकि उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सप्लाई चेन में बाधा और लोकप्रिय मॉडलों की लंबी प्रतीक्षा अवधि को देखते हुए ग्राहकों ने कई डीलरशिप पर विभिन्न ब्रांडों के लिए बुकिंग की थी। ऐसे में सप्लाई के समय बुकिंग रद्द की जा सकती है। दूसरे शब्दों में कहें तो लंबित बुकिंग का आंकड़ा कुछ हद तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा सकता है।
मारुति सुजूकी के वरिष्ठ सीईओ (सेल्स और मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव ने भी माना कि डीलरशिप पर ग्राहकों की आवक में कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम अपने नए मॉडल जिम्नी और फ्रोंक्स के लिए पूछताछ और बुकिंग को हटा दें तो सालाना आधार पर बुकिंग एवं पूछताछ सपाट दिखेगी। यदि हम खुदरा से खुदरा और थोक से थोक की तुलना करें तो पिछले सप्ताह बुकिंग एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले कम थी।’ हालांकि पिछले साल होली का समय अलग था जिससे साप्ताहिक मांग प्रभावित हुई।
श्रीवास्तव ने कहा कि इसके पीछे कई कारक थे जिनमें वाहन ऋण दरों में वृद्धि जो करीब 250 आधार अंक महंगा हो चुका है, महंगाई और जनवरी-फरवरी के दौरान अधिकतर वाहन विनिर्माताओं द्वारा कीमतों में वृद्धि आदि शामिल हैं।
वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के अध्यक्ष मनीष राज सिंघानिया ने कहा कि पिछले साल कीमतों में तीन बार वृद्धि किए जाने के बाद BS6 के दूसरे चरण के मानदंड लागू किए जाने से भी कीमतें और बढ़ गईं। उनका मानना है कि इससे निश्चित तौर पर ग्राहकों की भावना प्रभावित हुई है।
सिंघानिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘प्रवेश स्तर की श्रेणी मूल्य के प्रति काफी संवेदनशील है। इसलिए जब ब्याज दरें बढ़ती हैं तो वह कहीं अधिक प्रभावित होती है। हम केंद्र से अनुरोध करते हैं कि प्रवेश स्तर के वाहनों पर 28 फीसदी जीएसटी को घटाकर 18 फीसदी करने पर विचार किया जाए क्योंकि यह आवश्यक वस्तु है न कि लक्जरी।’
टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा, ‘अटकी हुई मांग, त्योहारी और शादी-ब्याह का सीजन खत्म होने के अलावा ब्याज दरों में वृद्धि के कारण उद्योग की समग्र मांग में कुछ नरमी दिख सकती है। मगर, हमारे लोकप्रिय एसयूवी एवं ईवी मॉडलों की मांग उनकी बढ़ती लोकप्रियता के साथ मजबूत बनी हुई है।’
ह्युंडै, जीप, मासेराती, यामाहा आदि आठ वाहन ब्रांडों के 35 शोरूम का संचालन करने वाले पटेल ग्रुप के प्रबंध निदेशक सुखवीर बग्गा ने कहा कि दुनिया भर में मंदी और छंटनी की खबरों के बीच लोग अपनी खरीद योजना को फिलहाल टालने लगे हैं। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि अवमूल्यन, 1 अप्रैल से BS6 के दूसरे चरण के मानदंडों के लागू होने से पहले की बिक्री के कारण मार्च का दूसरा पखवाड़ा बेहतर रहेगा।
साल 2022-23 में यात्री वाहनों की बिक्री 26 फीसदी बढ़कर 38 लाख वाहन होने की उम्मीद है। श्रीवास्तव ने कहा कि 2023-24 में वाहनों की मात्रात्मक बिक्री में 5 से 6 फीसदी वृद्धि होने की उम्मीद है।
ह्युंडै, किया और महिंद्र ऐंड महिंद्रा ने इस बाबत जानकारी के लिए बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।