पर्यावरण के अनुकूल बदलाव की राह में जटिलताएं
जीवाश्म ईंधन पर कर में कमी आने के बीच नया राजस्व उत्पन्न करने के क्षेत्र में नाकामी भारत की आर्थिक संभावनाओं के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। बता रहे हैं लवीश भंडारी अब जबकि जलवायु परिवर्तन की जटिलताएं सामने आने लगी हैं और भारत कम कार्बन उत्सर्जन तथा अपेक्षाकृत हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में […]
संपादकीय: कौशल की कमी दूर करना जरूरी
भारत के रोजगार क्षेत्र का एक बड़ा विरोधाभास यह है कि जहां एक ओर बेरोजगारी बड़ी चुनौती बनी हुई है, वहीं देश के संभावित बड़े नियोक्ताओं की शिकायत है कि उन्हें काम करने के लिए श्रमिक नहीं मिल रहे हैं। गत सप्ताह लार्सन ऐंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन ने कहा कि इंजीनियरिंग […]
संपादकीय: राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी सलाहकार समिति का पुनर्गठन…आंकड़ों का गणित
केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी (एसीएनएएस) सलाहकार समिति का पुनर्गठन किया है। ऐसा विभिन्न सूचकांकों के लिए आधार वर्ष को संशोधित करने और सांख्यिकीय सटीकता बढ़ाने के लिए नए डेटा स्रोतों को शामिल करने के लिए किया गया है। गजट अधिसूचना के अनुसार इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ के पूर्व प्रोफेसर विश्वनाथ […]
Editorial: सतत विकास लक्ष्यों पर भारत की प्रगति: चुनौतियां और अवसर
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के 2030 के एजेंडे के एक हिस्से, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में छह वर्ष से भी कम समय शेष रह गया है। ऐसे में इसके 17 लक्ष्यों और 169 संबद्ध लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत को अभी बहुत प्रयास करने की आवश्यकता है। इन वैश्विक […]
Editorial: 2021 की लंबित जनगणना कब होगी पूरी?
नई सरकार के समक्ष लंबित कई प्राथमिकताओं में से एक यह भी है कि हर दशक होने वाली जनगणना को तत्काल अंजाम दिया जाए। दशकीय जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया। अब महामारी का असर न्यूनतम हुए दो वर्ष से अधिक समय बीत […]
Editorial: वित्तीय स्थिरता में सुधार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की गत सप्ताह जारी हुई वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में बताया गया कि देश में वित्तीय स्थिरता की दशा व्यापक तौर मजबूत और स्थिर है। अर्थव्यवस्था में व्यापक वित्तीय जोखिम के कई संकेतक कमजोर पड़े हैं और हमारी व्यवस्था वृद्धि के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने के लिए तैयार नजर आ […]
संपादकीय: सुधार और खुलेपन की जरूरत
बीते 10 वर्षों से केंद्र सरकार एक वांछित निवेश केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को लेकर काफी आशान्वित रही है। मजबूत वृहद आर्थिक प्रदर्शन और वैश्विक निवेशकों के सकारात्मक वक्तव्यों की वजह से सरकारी अधिकारी आश्वस्त रहे और उन्हें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करने के लिए किसी बदलाव की आवश्यकता नहीं […]
संपादकीय: दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी का क्या हो सही रवैया
दूरसंचार स्पेक्ट्रम नीलामी का ताजा दौर केवल दो दिन में समाप्त हो गया और इस दौरान बोली से लगभग 11,000 करोड़ रुपये आए। इससे पता चलता है कि मांग में कमी है लेकिन जरूरी नहीं कि स्पेक्ट्रम की मांग भी कम हो। स्पेक्ट्रम ऐसा दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन है जो दूरसंचार सेवाओं के संचालन के लिए […]
संपादकीय: बजट से जुड़े क्या हैं संकेत
लोक सभा के नए सत्र के पहले संसद में राष्ट्रपति का अभिभाषण केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया भर नहीं होता है क्योंकि इसमें आमतौर पर अगले पांच वर्ष के लिए सरकार की नीतियों और योजनाओं को रेखांकित किया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18वीं लोक सभा की शुरुआत के बाद संसद के पहले संयुक्त सत्र […]
Editorial: असंगठित क्षेत्र में रोजगार की पहेली
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा 2021-22 और 2022-23 के लिए असंगठित क्षेत्र के उपक्रमों के वार्षिक सर्वेक्षण पर हाल ही में प्रकाशित फैक्टशीट (तथ्य रिपोर्ट) देश में रोजगार की स्थिति का गंभीर चित्र प्रस्तुत करती है। महामारी के बाद मजबूती दिखाने के बावजूद असंगठित क्षेत्र पर्याप्त रोजगार नहीं तैयार कर सका। इस क्षेत्र में […]
        
    








