संपादकीय: विकास का विकेंद्रीकरण
स्थानीय सरकारें बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं की आपूर्ति करके देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान कर सकती हैं। उदाहरण के लिए सिंचाई, सड़कें, सफाई, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं आदि। वे स्थानीय जरूरतों को विकास परियोजनाओं से जोड़ पाने की दृष्टि से बेहतर स्थिति में होती हैं। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि कई विकसित और […]
Editorial: नए कार्यकाल में व्यापार नीति में बदलाव की जरूरत
सरकार के नए कार्यकाल का आरंभ यह अवसर प्रदान करता है कि नीतिगत मसलों पर दोबारा नजर डाली जाए और लंबी अवधि के दौरान टिकाऊ वृद्धि हासिल करने के लिए जरूरी हस्तक्षेप किए जाएं। ऐसा ही एक क्षेत्र है व्यापार। यह बात अच्छी तरह स्थापित है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार समेकित मांग को गति प्रदान करता […]
संपादकीय: मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल…बेहतरी के प्रयास
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के तीसरे कार्यकाल में प्रमुख मंत्रालयों का आवंटन पुरानी नीतियां जारी रहने का संकेत देता है। इससे वित्तीय बाजारों में भरोसा पैदा होना चाहिए जो चुनाव नतीजों के बाद लड़खड़ाते नजर आए थे। बहरहाल, एक ओर जहां व्यापक निरंतरता से अल्पावधि में विश्वास बढ़ाने में मदद मिलेगी, वहीं […]
Editorial: महामारी के बाद असमानता में आई कमी, परंतु राज्यवार अंतर बना बड़ी चुनौती
अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले और विषय के विद्वानों के बीच महामारी के बाद एक नजरिया खासतौर पर देखने को मिला है और वह यह है कि बीते वर्षों में देश में असमानता बढ़ी है। हाल के वर्षों के कई अध्ययन और रिपोर्ट इस बात पर जोर देते हैं। बहरहाल, पारिवारिक खपत व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) […]
संपादकीय: भारत में कार्यस्थलों पर कर्मचारियों की आयु से जुड़ी बहस
भारत में कार्यस्थलों पर कामगारों की आयु को लेकर समस्या देखने को मिल रही है। भर्ती एजेंसी रैंडस्टैड द्वारा करीब 1,000 प्रतिभागियों पर किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक उनमें से 40 फीसदी को कार्यस्थल पर उम्र से संबंधित भेदभाव का सामना करना पड़ा या वे ऐसी घटनाओं के साक्षी बने। 55 वर्ष से कम आयु […]
संपादकीय: नैसर्गिक राजनीतिक व्यवस्था
भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोक सभा चुनावों में बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई है और इस बात ने अधिकांश राजनीतिक विश्लेषकों को आश्चर्यचकित किया है। खासतौर पर इसलिए कि किसी भी एक्जिट पोल या ओपिनियन पोल में ऐसी संभावना नहीं जताई गई थी। हालांकि राज्यों के राजनीतिक हालात के आधार पर चुनाव नतीजों […]
संपादकीय: पिछले लोक सभा चुनावों से कांग्रेस ने लिए सबक, पहली बार 400 से कम सीटों पर लड़ी चुनाव
वर्ष 2014 और 2019 के आम चुनाव में ऐतिहासिक गिरावट के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी नाकामियों से सबक लिया और अब संसद में उसके सदस्यों की संख्या तकरीबन दोगुनी हो गई है। पार्टी ने ऐसे गठबंधन बना लिए जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबदबे को खत्म किया। इसमें […]
संपादकीय: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद गठबंधन का दौर वापस
लोकसभा चुनाव के नतीजों ने ज्यादातर एक्जिट पोल को गलत साबित किया और साफ तौर पर दिखा दिया कि भारत में चुनाव पहले की तरह कड़े मुकाबले वाले बने हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी 240 सीट पर आगे है या जीत चुकी है। यानी वह अकेले दम पर बहुमत के आंकड़े से दूर है। हालांकि, […]
संपादकीय: जलवायु परिवर्तन की चुनौती
मौसम के उतार-चढ़ाव की बढ़ती घटनाएं और देश के अधिकांश भागों में लू के थपेड़े हमें यह याद दिला रहे हैं कि जलवायु कितनी तेजी से बदल रही है और भारत जैसे देश पर इसका क्या असर हो सकता है। भारत अपने ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निवेश कर रहा […]
संपादकीय: नई सरकार के लिए अवसर और चुनौतियां…
इस महीने कार्यभार संभालने जा रही नई सरकार आर्थिक मोर्चे पर अपने को बहुत ज्यादा सहज स्थिति में पाएगी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा पिछले हफ्ते जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 8.2 फीसदी की बढ़त […]








