केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तीसरी सरकार के पहले पूर्ण बजट की सर्वाधिक चर्चित घोषणाओं में से एक पर अमल शुरू कर दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई के बजट भाषण में कहा था कि सरकार पांच साल के दौरान शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप दिलाने के लिए एक योजना शुरू करेगी।
कहा गया था कि इससे रोजगार के अवसर तलाश कर रहे युवाओं को एक साल तक विभिन्न क्षेत्रों में वास्तविक कारोबारी हालात के बारे में जानकारी मिलेगी। चुनिंदा उम्मीदवारों को 5,000 रुपये प्रति माह का भत्ता दिया जाएगा और उन्हें 6,000 रुपये की एकबारगी सहायता प्रदान की जाएगी।
कंपनियों से उम्मीद है कि वे प्रशिक्षण की लागत वहन करने के अलावा इंटर्नशिप की 10 फीसदी लागत को अपने कारोबारी सामाजिक उत्तरदायित्व फंड के माध्यम से वहन करेंगी। गत सप्ताह वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एक प्रारंभिक परियोजना शुरू की गई जिसमें ऊर्जा, स्वागत, वाहन और बैंकिंग तथा वित्तीय सेवा क्षेत्रों जैसे 24 क्षेत्रों में इंटर्नशिप के अवसर दिए गए।
इन पदों के लिए आवेदन करने वाले युवाओं के लिए यह जरूरी है कि वे पूर्णकालिक शिक्षा या पूर्णकालिक रोजगार में शामिल नहीं हों। आईटीआई डिप्लोमा या स्नातक की डिग्री वाले अभ्यर्थी इस इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकते हैं। शीर्ष संस्थानों के स्नातक या चार्टर्ड अकाउंटेंसी या मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या अन्य मास्टर्स डिग्री ले चुके लोग इसके लिए पात्र नहीं होंगे। ऐसी अन्य पात्रताएं हैं जो अभ्यर्थियों को इंटर्नशिप के लिए अपात्र बनाती हैं। विचार यही है कि उन युवाओं को केंद्र में रखा जाए जिनके लिए शायद किसी बड़े संस्थान में स्थान बना पाना मुश्किल होगा।
इसके पीछे के लक्ष्य से इनकार नहीं किया जा सकता है और तथ्य यह है कि बड़ी कंपनियों ने स्वेच्छा से इस योजना को चुना है। इस दिशा में होने वाली प्रगति का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा। पहले दिन ऐसी 91,000 रिक्तियों के लिए केवल 155,000 अभ्यर्थियों के आवेदन ने कई लोगों को चकित किया।
अनुमान है कि आने वाले दिनों में इस तादाद में इजाफा होगा। जैसा कि इस समाचार पत्र में कहा गया है आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद लेकर उपयुक्त अभ्यर्थी तलाशे जाएंगे और प्रतिभागी कंपनियों में उचित रिक्तियों के साथ उनका मिलान किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमानों पर यकीन करें तो एक चौथाई भारतीय युवा न तो रोजगारशुदा हैं और न ही किसी शैक्षणिक संस्थान में पंजीकृत हैं।
ऐसे में अनुमान था कि बड़ी संख्या में लोग इन इंटर्नशिप अवसरों के लिए आवेदन करेंगे जिससे रोजगार बाजार में उनके लिए संभावनाएं बढ़ जाएंगी। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जहां बड़ी तादाद में लोगों ने कम कौशल वाले सरकारी या निजी क्षेत्र के रोजगार के लिए आवेदन किया। हालांकि यह इंटर्नशिप के लिए अधिक उपयुक्त है लेकिन इसका एक स्पष्टीकरण यह हो सकता है कि पात्रता की आयु 21-24 रखी गई है जो काफी कम है। इसकी अन्य वजह भी हो सकती हैं। मसलन अगर ऐसे अवसरों के लिए अपना किसी को अपना शहर या गांव छोड़ कर बड़ी जगह पर रहने आना पड़ा तो समस्या हो सकती है।
जैसे-जैसे यह कार्यक्रम बड़ा होगा, ऐसी तमाम संबद्ध सूचनाओं का सावधानी से विश्लेषण करना होगा। चूंकि सरकार बजट संसाधन आवंटित कर रही है और उसे उम्मीद है कि बड़ी भारतीय कंपनियां लागत का एक हिस्सा वहन करेंगी इसलिए इस पर निरंतर नजर रखना आवश्यक होगा, भले ही कंपनियों को इस पर बहुत अधिक खर्च नहीं करना हो।
जरूरी नहीं कि सभी इंटर्न को इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उसी कंपनी में नौकरी मिल जाए। अगर बड़ी कंपनियों में एक साल तक प्रशिक्षण पाने वाले इंटर्न को अपेक्षाकृत छोटी या छोटी और मझोली कंपनियों में नौकरी मिलती है तो यह इस योजना की एक और कामयाबी होगी। ऐसी कंपनियों के लिए अक्सर प्रशिक्षित लोगों को काम पर रखना मुश्किल होता है। उनके पास ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त साधन भी नहीं होते। इस कार्यक्रम की प्रगति पर नजर रखनी होगी क्योंकि यह गहरी नीतिगत अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।