मौजूदा वैश्विक हालात में बेहतर स्थिति में है भारत
मौजूदा वैश्विक हालात में अगर तुलना की जाए तो भारत विभिन्न मोर्चों पर चीन और अफ्रीका से बहुत बेहतर स्थिति में है। इस विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं आकाश प्रकाश दुनिया भर में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच मैं कई ऐसी प्रस्तुतियों से दो-चार हुआ जो भूराजनीति पर केंद्रित थीं। भूराजनीति को […]
शेयरों की पुनर्खरीद और उसका महत्त्व
विश्व भर में और खासकर अमेरिका में कंपनियों द्वारा निवेशकों को पूंजी लौटाने का एक तरीका शेयरों की बायबैक (पुनर्खरीद) भी है। आंशिक तौर पर ऐसा शेयर आधारित कर्मचारी मुआवजे के कारण आई कमी की भरपाई के लिए किया जाता है और आंशिक तौर पर ऐसा बेहतर कर कुशलता के कारण यह निवेशकों को पूंजी […]
ऋण आधारित पूंजी के बिना नहीं बनेगी बात
सभी लोग भारत की आर्थिक विकास की यात्रा की खुशी मना रहे हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अब 8 प्रतिशत पार कर गई है, जो कम नहीं मानी जा सकती। अधिकांश निवेशक इस धारणा के साथ निवेश कर रहे हैं कि आने वाले दशक में भारत पूरे दस वर्षों की […]
मैग्निफिसेंट 7 पर बाजार की निर्भरता दे रही जोखिम के संकेत
वैश्विक इक्विटी बाजारों में सभी जिस नए नाम की चर्चा कर रहे हैं वह नाम ‘द मैग्निफिसेंट सेवन’ (मैग सेवन) है। ये दरअसल अमेरिका की सात सबसे बड़ी कंपनियां हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण सबसे अधिक है (माइक्रोसॉफ्ट, ऐपल, एनवीडिया, एमेजॉन, अल्फाबेट, मेटा और टेस्ला) और पिछले कुछ वर्षों में इन कंपनियों का प्रदर्शन शानदार रहा […]
Opinion: सूचीबद्धता की दुविधा का कैसे हो हल?
बीते कुछ सप्ताह में कई निजी कंपनियों ने मुझसे पूछा है कि उन्हें कहां सूचीबद्ध होना चाहिए? भारत में या अमेरिका में? इन चर्चाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि हमें वेंचर कैपिटल/निजी इक्विटी क्षेत्र से कई नई सूचीबद्धताएं देखने को मिलेंगी। सूचीबद्धता की दिशा में यह कदम भारत और अमेरिकी बाजारों की मजबूती […]
Budget 2024: लोकलुभावन नहीं राजकोषीय जवाबदेही
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने राजकोषीय अनुशासन की दृष्टि से मजबूत और लोकलुभावन घोषणाओं से मुक्त बजट प्रस्तुत किया। इससे जाहिर होता है कि सरकार 2024 के आम चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त है इसलिए उसे लोकलुभावन कदमों की कोई आवश्यकता नहीं महसूस हुई। […]
Opinion: भारत का दशक और बाजारों का दमखम
क्या अर्थव्यवस्था के सही ढंग से गति पकड़ने के पहले ही बाजार अपनी पूरी गतिशीलता दिखा चुके हैं? इस विषय में विस्तार से अपनी राय रख रहे हैं आकाश प्रकाश अधिकांश विश्लेषकों में यह स्पष्ट समझ है कि भारत का वक्त आ चुका है। अतीत के सुधारों, भू-राजनीति, बदलती आपूर्ति श्रृंखलाओं और भारतीय अर्थव्यवस्था के […]
चीन का उच्चतम स्तर और भारत की रफ्तार…
अगर आने वाले वर्षों में चीन की वृद्धि दर में धीमापन भी आता है तो भी भारत को उसकी बराबरी करने के लिए असाधारण प्रदर्शन करना होगा। बता रहे हैं आकाश प्रकाश इन दिनों ऐसा एक भी सप्ताह नहीं बीतता जब ऐसी शोध रिपोर्ट या यूट्यूब चर्चा देखने को न मिलती हो कि आखिर क्यों […]
नए जमाने की कंपनियां और निवेशकों की भूमिका
नए जमाने की कंपनियां जिनमें प्रवर्तक नहीं होते उनके बोर्ड को आकार देने में संस्थागत निवेशकों की बहुत अहम भूमिका होती है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश सार्वजनिक बाजार निवेशकों के लिए ऐतिहासिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड के गणित और संचालन का आकलन करना एक सीधी सपाट कवायद रही है। इन कंपनियों में […]
वैश्विक पूंजी में बदलाव भारत के लिए अवसर..
विश्व स्तर पर देखा जाए तो निवेश के परिदृश्य में तेजी से बदलाव आ रहा है जो काफी महत्त्वपूर्ण है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश हाल ही में मुझे दुनिया भर के परिसंपत्ति आवंटकों और मुद्रा प्रबंधकों से मिलने का अवसर मिला। वे दीर्घकालिक स्तर पर काम करने वाली पूंजी का प्रबंधन करते हैं ताकि […]