बहुराष्ट्रीय कंपनियों का मुद्रीकरण और हम
मैं कई दशकों से भारतीय बाजारों में निवेश कर रहा हूं। इस दौरान, हमने वैश्विक कंपनियों को भारतीय परिचालन में निरंतर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते देखा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने लगातार ऐसे अवसरों की तलाश की है जिनकी बदौलत वे अपना आर्थिक स्वामित्व बढ़ा सकें या अपनी भारतीय अनुषंगी कंपनियों को पूरी तरह निजी बना सकें। […]
विदेशी निवेशकों के लिए भारत में चुनाव नतीजे के मायने
भारत दीर्घ अवधि के लिहाज से उम्दा दांव बना हुआ है, मगर मूल्यांकन को लेकर निवेशकों के मन में चिंता लगातार बनी हुई है। बता रहे हैं आकाश प्रकाश मुझे अमेरिका में वैश्विक निवेशकों एवं दीर्घ अवधि के लिए पूंजी लगाने वाले दिग्गजों के साथ कुछ समय व्यतीत करने का अवसर मिला था। इनमें कई […]
पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए कठिनाई भरा समय
बाजारों के नेतृत्व और उनकी शैली में बड़ा बदलाव आ रहा है। यह काफी हद तक वैसा ही है जैसा कि 2003 से 2008 के बीच की तेजी के दौर में देखने को मिला था। बता रहे हैं आकाश प्रकाश अब जबकि बाजार नई ऊंचाइयों की ओर हैं, तो यह इक्विटी पोर्टफोलियो के संचालन के […]
मौजूदा वैश्विक हालात में बेहतर स्थिति में है भारत
मौजूदा वैश्विक हालात में अगर तुलना की जाए तो भारत विभिन्न मोर्चों पर चीन और अफ्रीका से बहुत बेहतर स्थिति में है। इस विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं आकाश प्रकाश दुनिया भर में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच मैं कई ऐसी प्रस्तुतियों से दो-चार हुआ जो भूराजनीति पर केंद्रित थीं। भूराजनीति को […]
शेयरों की पुनर्खरीद और उसका महत्त्व
विश्व भर में और खासकर अमेरिका में कंपनियों द्वारा निवेशकों को पूंजी लौटाने का एक तरीका शेयरों की बायबैक (पुनर्खरीद) भी है। आंशिक तौर पर ऐसा शेयर आधारित कर्मचारी मुआवजे के कारण आई कमी की भरपाई के लिए किया जाता है और आंशिक तौर पर ऐसा बेहतर कर कुशलता के कारण यह निवेशकों को पूंजी […]
ऋण आधारित पूंजी के बिना नहीं बनेगी बात
सभी लोग भारत की आर्थिक विकास की यात्रा की खुशी मना रहे हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अब 8 प्रतिशत पार कर गई है, जो कम नहीं मानी जा सकती। अधिकांश निवेशक इस धारणा के साथ निवेश कर रहे हैं कि आने वाले दशक में भारत पूरे दस वर्षों की […]
मैग्निफिसेंट 7 पर बाजार की निर्भरता दे रही जोखिम के संकेत
वैश्विक इक्विटी बाजारों में सभी जिस नए नाम की चर्चा कर रहे हैं वह नाम ‘द मैग्निफिसेंट सेवन’ (मैग सेवन) है। ये दरअसल अमेरिका की सात सबसे बड़ी कंपनियां हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण सबसे अधिक है (माइक्रोसॉफ्ट, ऐपल, एनवीडिया, एमेजॉन, अल्फाबेट, मेटा और टेस्ला) और पिछले कुछ वर्षों में इन कंपनियों का प्रदर्शन शानदार रहा […]
Opinion: सूचीबद्धता की दुविधा का कैसे हो हल?
बीते कुछ सप्ताह में कई निजी कंपनियों ने मुझसे पूछा है कि उन्हें कहां सूचीबद्ध होना चाहिए? भारत में या अमेरिका में? इन चर्चाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि हमें वेंचर कैपिटल/निजी इक्विटी क्षेत्र से कई नई सूचीबद्धताएं देखने को मिलेंगी। सूचीबद्धता की दिशा में यह कदम भारत और अमेरिकी बाजारों की मजबूती […]
Budget 2024: लोकलुभावन नहीं राजकोषीय जवाबदेही
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उन्होंने राजकोषीय अनुशासन की दृष्टि से मजबूत और लोकलुभावन घोषणाओं से मुक्त बजट प्रस्तुत किया। इससे जाहिर होता है कि सरकार 2024 के आम चुनाव में जीत को लेकर आश्वस्त है इसलिए उसे लोकलुभावन कदमों की कोई आवश्यकता नहीं महसूस हुई। […]
Opinion: भारत का दशक और बाजारों का दमखम
क्या अर्थव्यवस्था के सही ढंग से गति पकड़ने के पहले ही बाजार अपनी पूरी गतिशीलता दिखा चुके हैं? इस विषय में विस्तार से अपनी राय रख रहे हैं आकाश प्रकाश अधिकांश विश्लेषकों में यह स्पष्ट समझ है कि भारत का वक्त आ चुका है। अतीत के सुधारों, भू-राजनीति, बदलती आपूर्ति श्रृंखलाओं और भारतीय अर्थव्यवस्था के […]









