facebookmetapixel
BFSI Summit 2025: बीमा सेक्टर में दिख रहा अ​स्थिर संतुलन – अजय सेठरिलायंस और गूगल की बड़ी साझेदारी: जियो यूजर्स को 18 महीने फ्री मिलेगा एआई प्रो प्लानबीमा सुगम उद्योग को बदलने के लिए तैयार : विशेषज्ञअस्थिर, अनिश्चित, जटिल और अस्पष्ट दुनिया के लिए बना है भारत: अरुंधति भट्टाचार्यभारत की 4 कंपनियों को मिला चीन से ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ आयात लाइसेंस, वाहन उद्योग को मिलेगी राहतएआई से लैस उपकरण से बदला डिजिटल बैंकिंगमजबूत आईटी ढांचा सबके लिए जरूरी: अरुंधती भट्टाचार्यBFSI Summit : ‘नए दौर के जोखिमों’ से निपटने के लिए बीमा उद्योग ने ज्यादा सहयोगभारत में प्राइवेट इक्विटी बनी FDI की सबसे बड़ी ताकत, रोजगार बढ़ाने में निभा रही अहम भूमिकाबढ़ते करोड़पतियों, वित्तीयकरण से वेल्थ मैनेजमेंट में आ रही तेजी; BFSI समिट में बोले उद्योग विशेषज्ञ

सरकार की अर्जी में स्पेक्ट्रम नीलामी के फैसले को बदलने की मांग नहीं : सूत्र

2G Spectrum allocation: सरकार ने पिछले साल 12 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी पर शुक्रवार या अगले सप्ताह की शुरुआत में सुनवाई की जा सकती है।

Last Updated- April 24, 2024 | 10:29 PM IST
Next spectrum auction to be held in February, reserve price to remain same

सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन (2G Spectrum allocation) के संबंध में उसके साल 2012 के फैसले में संशोधन करने के लिए नहीं कहा है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने आज यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि इसकी अर्जी में प्रशासनिक तौर पर स्पेक्ट्रम आवंटन की अनुमति भी नहीं मांगी गई है। सूत्रों ने कहा कि मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी जारी रहेगी और दूरसंचार विधेयक में वर्णित विशेष क्षेत्रों के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाएगा।

सरकार ने पिछले साल 12 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की थी। अर्जी पर शुक्रवार या अगले सप्ताह की शुरुआत में सुनवाई की जा सकती है।

एक वरिष्ठ सरकारी सूत्र ने कहा ‘पूर्ण पारदर्शिता के आलोक में इस बात के मद्देनजर कि दूरसंचार क्षेत्र में मुकदमेबाजी (इस मुद्दे पर) का इतिहास रहा है, हमने विधेयक पेश करने से पहले सर्वोच्च न्यायालय में विविधतापूर्ण अर्जी दायर की थी, जिसमें बताया गया था कि हम इसे पेश करने से पहले क्या करना चाहते हैं। यह दूरसंचार विधेयक 18 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। यह अर्जी केवल स्पष्टीकरण के लिए थी। यह अदालत से कोई अनुमति लेने के लिए नहीं थी।’

फरवरी 2012 में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि दूरसंचार स्पेक्ट्रम जैसे दुर्लभ सार्वजनिक संसाधनों के आवंटन के लिए नीलामी पसंदीदा तरीका है। मूल याचिकाकर्ता सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के नाम पर इसे ‘सीपीआईएल फैसला’ के रूप में जाना जाता है।

इसमें अदालत ने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए ‘पहले आओ, पहले पाओ’ पद्धति की आलोचना की। इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार द्वारा आवंटित 2जी स्पेक्ट्रम को रद्द कर दिया था।

केंद्र ने अपनी नवीनतम अर्जी में सर्वोच्च न्यायालय को बताया है कि इसके बाद से सरकार कुछ मामलों में प्रशासनिक रूप से स्पेक्ट्रम जारी कर रही है, जहां नीलामी तकनीकी या आर्थिक रूप से पसंदीदा या बेहतरीन तरीका न हो।

First Published - April 24, 2024 | 9:58 PM IST

संबंधित पोस्ट