बीमा सुगम भारत के बीमा परिदृश्य को सभी बीमा उत्पादों के लिए एकीकृत डिजिटल बाजार बनाकर बदलने के लिए तैयार है और यह उद्योग के लिए गेम चेंजर साबित होने की उम्मीद है। बीमा सुगम को ‘बीमा के लिए यूपीआई मूमेंट’ कहा जा रहा है। ऐसा बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 में विशेषज्ञों ने कहा।
उद्योग विशेषज्ञ इसे पारदर्शिता, वहनीयता और समावेशिता की दिशा में शक्तिशाली कदम के रूप में देखते हैं – विशेष रूप से ग्रामीण और कम पैठ वाले क्षेत्रों में। इस पहल से पॉलिसी खरीद व दावों को सरल बनाने और प्रीमियम को कम करने की उम्मीद है। यह प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने का भी वादा करता है।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर व लीडर- इंश्योरेंस ऐंड एलाइड बिजनेस अमित रॉय ने कहा , ‘सबसे बड़ी चुनौती विश्वास बनाना है, न कि सिर्फ एक उत्पाद बेचना। बीमा सुगम पॉलिसीधारकों के लिए पारदर्शिता, व्यवहार्यता और अनुकूलन ला सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह बीमा क्षेत्र में ग्लैमर और गौरव जोड़ेगा, जिसकी इसे सख्त जरूरत है। यह एजेंट बेस का विस्तार करने में भी मदद कर सकता है – हमारे पास 1.4 अरब की आबादी के देश में सिर्फ 25 लाख एजेंट हैं। ऐसे में आबादी के हिसाब से एजेंटों की संख्या बेहद कम है।’
यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस के एमडी व सीईओ शरद माथुर ने कहा ‘बीमा सुगम का उद्देश्य ग्रामीण, कस्बाई इलाकों और छोटे शहरों में पैठ बढ़ाना है, जहां अभी पहुंच बहुत कम है। बीमा सुगम सलाहकार आधारित वितरण के साथ पहुंच और सामर्थ्य में सुधार करेगा। इस क्रम में 18 प्रतिशत जीएसटी की कमी पहले ही हो चुकी है। हमें उम्मीद है कि बीमा सुगम शुरू होते ही लगभग 20 प्रतिशत की कमी और आ जाएगी, जो इसे उन क्षेत्रों में यहां तक कि महानगरों में भी किफायती बना देगी। मुझे लगता है कि ये चीजें बड़ा सकारात्मक बदलाव लाने वाली हैं और इसे पूरी आबादी अपनाएगी।’
इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नरेंद्र भरिंदवाल के अनुसार बीमा सुगम भारत की डिजिटल बीमा यात्रा में अगला कदम है। यह बीमा की खरीद और दावा प्रक्रिया को सरल बनाएगा।
भरिंदवाल ने कहा, ‘बीमा सुगम भारतीय बीमा की डिजिटल यात्रा का अगला कदम है और अगर यह बीमा पॉलिसी धारक के लिए खरीद के साथ-साथ दावों के पक्ष में भी जीवन को आसान बनाता है, तो यह सही काम करने जा रहा है। हालांकि, हमें यह याद रखना चाहिए कि बीमा एक ‘पुश उत्पाद’ है। ग्राहकों को खरीदने से पहले सलाह की आवश्यकता होती है, खासकर जब 500+ स्वास्थ्य उत्पाद मौजूद हों।
मध्यस्थ – ब्रोकर, पीओएसपी, एजेंट – महत्वपूर्ण बने रहेंगे। तो, इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, उद्योग और नियामकों और भारत सरकार ने एक विशाल वितरण वास्तुकला बनाया है। लगभग, यहां तक कि मेरी संख्याओं पर भी बहस की जा सकती है, 4 से 4 और आधा मिलियन लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इस वितरण चीज में कार्यरत हैं, उनमें से एक मासिक आधार पर भुगतान करने में सक्षम होगा। तो, वर्तमान में, हम इस बारे में स्पष्ट नहीं हैं कि यह बीमा सुगम में कैसे एकीकृत होगा।’