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भारत में प्राइवेट इक्विटी बनी FDI की सबसे बड़ी ताकत, रोजगार बढ़ाने में निभा रही अहम भूमिका

समारा कैपिटल के प्रबंध निदेशक अभिषेक काबरा ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में प्राइवेट इक्विटी ने सार्वजनिक बाजारों से 6.7 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया है

Last Updated- October 30, 2025 | 11:22 PM IST
Private Equity

उद्योग के वरिष्ठ दिग्गजों ने आज कहा कि प्राइवेट इक्विटी फर्म भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में उभरी हैं और रोजगार सृजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। निवेदिता मुखर्जी द्वारा संचालित पैनल के दौरान स्वीडिश प्राइवेट इक्विटी फर्म ईक्यूटी के इंडिया हेड व सर्विसेज के को-हेड हरि गोपालकृष्णन ने कहा, ‘भारत में विशेष रूप से प्राइवेट इक्विटी की पैठ कम है। भारत पिछले तीन वर्षों से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था रही है। हमें उम्मीद है कि भारत प्राइवेट इक्विटी के लिए विश्व स्तर पर मांग का नेतृत्वकर्ता होगा।’

भारत में सूचीबद्ध होने की योजना बना रही पीई फर्म गाजा अल्टरनेटिव एसेट मैनेजमेंट के एमडी व सीईओ गोपाल जैन ने बताया, ‘भारत कई वर्षों से दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला वैकल्पिक बाजार रहा है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हम एक छोटे आधार से शुरुआत कर रहे हैं और प्राइवेट इक्विटी अपनी क्षमता से कम प्रदर्शन कर रही है। लेकिन अब हमारे पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त डेटा और मजबूत रुझान है कि भारत में प्राइवेट इक्विटी एक मुख्यधारा क्षेत्र बनने की राह पर है।’

जैन ने कहा, ‘अभी तक, बैंक, इंश्योरेंस और म्युचुअल फंड मुख्यधारा में हैं। हमारे पास भारत में 2.5 लाख करोड़ डॉलर की बैंक जमा है। तुलनात्मक रूप से एआईएफ में प्राइवेट इक्विटी छोटा सा अंश है। लेकिन अब यह विकल्प मुख्यधारा का क्षेत्र बनने की राह पर है।’

समारा कैपिटल के प्रबंध निदेशक अभिषेक काबरा ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में प्राइवेट इक्विटी ने सार्वजनिक बाजारों से 6.7 प्रतिशत बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, ‘यदि आप 10 वर्षों के रोलिंग रिटर्न को देखते हैं तो इसने निवेश करने, पूंजी लगाने और रिटर्न देने के मामले में अपने को सिद्ध किया है।’

काबरा ने बताया, ‘हमने बीते चार वर्षों में तीन वर्ष देखे हैं जब वैश्विक स्तर पर दो लाख करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश हुआ। इसलिए जब वैश्विक स्तर की बात आती है तो यह निश्चित रूप से मुख्यधारा में है।

काबरा ने कहा, ‘हम भारत में देख रहे हैं कि सौदों की संख्या बढ़ने लगी है। यह बहुत ही जीवंत पारिस्थितिकीतंत्र है और पूंजी का एक घरेलू पूल है जो अब भारत में एआईएफ और फंड मैनेजरों को उपलब्ध कराया जा रहा है। वेल्थ मैनेजर अत्यधिक अमीर और फैमिली ऑफिस की संपत्ति का प्रबंधन कर रहे हैं। इसके तहत अब आवंटन का केवल 7 से 8 प्रतिशत एआईएफ की ओर है।’ उन्होंने बताया कि आवंटन 15 से 16 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है।

केदारा कैपिटल के संस्थापक व प्रबंधन साझेदार मनीष केजरीवाल ने माना ‘लगभग 2010 के आसपास पीई ने अपने एलपी को लगभग कोई रिटर्न नहीं दिया।’ उन्होंने कहा कि आईपीओ और स्पॉन्सर-टू-स्पॉन्सर डील्स के माध्यम से अधिक एग्जिट अवसरों के साथ स्थिति बदल गई है।

First Published - October 30, 2025 | 11:17 PM IST

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