Poonam Gupta, deputy governor, RBI speaking at Business Standard BFSI 2025
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है और यह साल 6.8% की दर से विकास करने का अनुमान है। लेकिन उन्होंने साफ कहा कि देश की क्षमता और लक्ष्य इससे कहीं अधिक है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के BFSI समिट 2025 में उन्होंने कहा कि 6.5% की मौजूदा विकास दर और 6.8% का अनुमान भारत की मंज़िल नहीं है। अभी भी विकास की काफी संभावनाएं बाकी हैं और मौद्रिक नीति में भी आगे ढील दी जा सकती है।
गुप्ता ने बताया कि मौद्रिक नीति का पहला लक्ष्य लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए ब्याज दरों को उचित स्तर पर बनाए रखना है। दूसरा उद्देश्य आर्थिक चक्र के अनुसार जरूरत पड़ने पर बढ़ोतरी को समर्थन देना है।
वित्तीय नीति भी विकास के पक्ष में
उन्होंने कहा कि सरकार की वित्तीय नीति लगातार विकास को बढ़ावा दे रही है। खासकर बेहतर टैक्स सिस्टम, अधिक पूंजीगत व्यय और पारदर्शी बजट प्रक्रिया ने आर्थिक गति को मजबूत किया है।
गुप्ता के अनुसार, अधिकांश विशेषज्ञों ने माना है कि वर्तमान महंगाई लक्ष्य प्रणाली को जारी रखना चाहिए, जिसमें CPI हेडलाइन को मुख्य आधार माना जाता है। अब यह सिफारिश सरकार को भेजी जाएगी और अंतिम निर्णय वहीं होगा।
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उन्होंने कहा कि महामारी जैसे कठिन समय को छोड़कर भारत ने ज्यादातर समय अपने खर्च पर नियंत्रण रखा है। सरकार जरूरी विकास कार्यों पर ज्यादा खर्च कर रही है और कर्ज की योजना भी ठीक है, इसलिए देश का कर्ज सुरक्षित माना जा सकता है।
भारत में महंगाई की रफ्तार अभी कम दिखाई दे रही है, लेकिन इसके पीछे अलग-अलग कारण काम कर रहे हैं। गुप्ता के अनुसार महंगाई को तीन हिस्सों में समझना चाहिए – खाद्य वस्तुएं, कोर इंफ्लेशन और कीमती धातुएं।
गुप्ता ने बताया कि फिलहाल महंगाई में जो कमी दिख रही है, वह ज्यादातर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट की वजह से है, जो अभी नकारात्मक दायरे में हैं और आगे चलकर खुद ठीक हो सकती हैं। वहीं कोर इंफ्लेशन (जिसमें कीमती धातुएं शामिल नहीं होतीं) इस साल लगभग स्थिर रहा है। इसके अलावा सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं की कीमतें भी महंगाई को प्रभावित कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि जब महंगाई के तीनों कारक अलग दिशा में चल रहे हों, तो इसे एक ही नजरिये से नहीं देखा जा सकता। लंबी अवधि की महंगाई को लेकर ही कोई स्पष्ट राय दी जा सकती है।
IMF की मीटिंग से मिले संकेतों का जिक्र करते हुए गुप्ता ने कहा कि दुनिया में कई तरह की चुनौतियां होने के बावजूद भारत और अन्य उभरते देश आर्थिक रूप से मजबूत बने हुए हैं।
उन्होंने बताया कि दुनिया में नीतियों को लेकर अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। इसके बावजूद कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं उम्मीद से बेहतर काम कर रही हैं। IMF ने भी दुनिया की आर्थिक वृद्धि का अनुमान बढ़ा दिया है।
लेकिन गुप्ता का कहना है कि पहले जैसा ज्यादा वैश्वीकरण (हाइपर-ग्लोबलाइजेशन) जल्दी वापस नहीं आएगा। यह उभरते देशों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
गुप्ता ने कहा कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की क्षमता होने के बावजूद, इसकी वृद्धि कई कारणों से सीमित दिखाई दे रही है। वैश्विक व्यापार में मंदी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर पहले से मजबूत बड़ी कंपनियों का दबदबा, भारतीय उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्धा को मुश्किल बना रहा है।
उनके अनुसार, उत्पादकता बढ़ाने के बावजूद इन बड़ी कंपनियों को पीछे छोड़ना आसान नहीं है। इस वजह से भारत की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ उतनी तेज नहीं बढ़ पा रही, जितनी संभावनाएं हैं।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत की निकट अवधि की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर 7.8% की दर से बढ़ी है, और शुरुआती संकेत बताते हैं कि दूसरी तिमाही में भी प्रदर्शन अच्छा रहेगा।