बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट 2025 में विदेशी बैंकों के भारत प्रमुख ने कहा कि भारतीय पूंजी बाजार में कैलेंडर वर्ष 2025 में जबरदस्त उछाल देखने को मिल रही है। यह भारत के इतिहास में सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष होने की उम्मीद है।
एचएसबीसी इंडिया के सीईओ हितेंद्र दवे ने शिखर सम्मेलन में कहा, ‘मुझे लगता है कि सभी खातों के अनुसार वर्ष 2025 भारत के लिए अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ वर्ष होने का वादा करता है। अगले दो महीने बहुत व्यस्त रहेंगे। यह एक लेनदेन से दूसरे लेनदेन में जाना हो सकता है लेकिन ऐसे समय में अपने पास मौजूद आईपीओ के साथ न्याय करना है।’
सिटी इंडिया के प्रमुख के. बालासुब्रमण्यन ने प्रकाश डाला कि पिछले 10 वर्षों में बाजार में जितने भी आईपीओ आए हैं, वे शायद पांच या उसके आसपास अरब डॉलर के थे। इस कैलेंडर वर्ष में जनवरी से लेकर अब तक और आने वाले तीन महीनों में लगभग 9 अरब डॉलर से 10 अरब डॉलर के आईपीओ आ रहे हैं।
बालासुब्रमण्यन ने कहा, ‘भारतीय बाजार में होने वाले लेनदेन के आकार के मामले में यह महत्त्वपूर्ण बदलाव है। पिछले पांच वर्षों में बाजार में जो बदलाव आया है, वह है बचत का वित्तीयकरण (फाइनैंशियलाइजेशन) है। इसका कारण यह है कि वास्तव में बहुत सारा धन द्वितीयक और प्राथमिक पूंजी बाजार में जा रहा है।’
विदेशी बैंकरों ने खुदरा ग्राहकों को सेवा देने पर कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र विशाल और व्यापक है। इससे घरेलू बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी पीडी सिंह ने कहा, ‘अपनी ताकत के अनुसार खेलना बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसलिए किसी विशेष शहर में भारतीय स्टेट बैंक के साथ प्रतिस्पर्धा करने का कोई मतलब नहीं है। यदि आपके प्रमुख ग्राहक देश के 30-40 शहरों में हैं तो आपके लिए उन शहरों में होना महत्त्वपूर्ण है। दूसरी ओर, आपको कभी भी संबंधित पिन कोड में पहुंच नहीं मिलेगी जो एक भारतीय बैंक प्राप्त कर सकता है।’
बालाकृष्णन ने बताया कि वर्ष 2023 में खुदरा कारोबार से बाहर निकलने के बाद सिटी इंडिया की लाभप्रदता में सुधार हुआ है। दवे ने बताया कि करीब 10 साल पहले भारत की संपत्ति, समृद्धि और अनिवासी भारतीयों की आबादी – विदेशों में अपने बच्चे भेजने वाले परिवार या विदेश आप्रवासन करने वाले परिवार – शीर्ष के 15 से 20 शहरों तक सीमित थी।
उन्होंने कहा, ‘हमारी जॉब यह देखना है कि कहां ग्राहक हैं। यदि ग्राहक कहीं और चले गए हैं या उनका नए शहरों में विस्तार हो रहा है तो हमें अनिवार्य रूप से उनके साथ होना चाहिए।’
विदेशी बैंक में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया का सबसे बड़ा शाखा नेटवर्क है। इस बैंक की देश में करीब 100 शाखाएं हैं। इस बैंक की योजना अपनी उपस्थिति को कम करने की बजाए अपनी शाखाओं का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना है। हालांकि सिंह ने स्पष्ट किया, ‘यदि कुछ शाखाएं आसपास हैं तो कुछ का विलय किया जा सकता है।’