वित्त-बीमा

BFSI Summit 2025: बीमा सेक्टर में दिख रहा अ​स्थिर संतुलन – अजय सेठ

कुल 15 सत्रों में जीवन बीमा, सामान्य बीमा, निजी इक्विटी, भुगतान उद्योग, वेल्थ मैनेजमेंट और एमएफआई उद्योग के शीर्ष अधिकारियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए

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कृष्ण कांत   
Last Updated- October 30, 2025 | 11:52 PM IST

देश के तीन सबसे बड़े वित्तीय नियामकों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट 2025 के दूसरे दिन चर्चा का रुख तय किया। मुंबई में आयोजित तीन दिन के इस कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष अजय सेठ के साथ बातचीत से हुई जिसमें उन्होंने हितधारकों को आश्वस्त किया कि नियामक के रूप में वे खुले विचारों वाले हैं। कार्यक्रम में पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन एस रमण और भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने भी अपने विचार साझा किए। कुल 15 सत्रों में जीवन बीमा, सामान्य बीमा, निजी इक्विटी, भुगतान उद्योग, वेल्थ मैनेजमेंट और एमएफआई उद्योग के शीर्ष अधिकारियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

सेठ ने कहा, ‘मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं खुले विचार वाला हूं। आंकड़ों और विश्लेषण के आधार पर मैं दृष्टिकोण सुनता हूं और उसके हिसाब से किसी निष्कर्ष पर पहुंचता हूं। लेकिन व्यापक परामर्श, चर्चा और आम सहमति के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता।’

बीमा नियामक ने कहा, ‘बीमा क्षेत्र, खास तौर पर स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में इस समय अस्थिर संतुलन दिख रहा है। भारतीयों के बचत कोष का प्रबंधन करने वाले अन्य क्षेत्र जीवन बीमा कंपनियों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।’

बीमा उद्योग के लिए अधिक पूंजी के सवाल पर सेठ ने कहा कि अकेले 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने से इस क्षेत्र की पूंजीगत जरूरतें पूरी नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि बीमा उद्योग की जीवन बीमा और गैर-जीवन बीमा दोनों में मिलाकर कुल पूंजी करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये है। इसमें से एफडीआई का हिस्सा 80,000 से 90,000 करोड़ रुपये है।

पेंशन कोष विकास एवं नियामक प्राधिकरण के चेयरमैन एस रमण ने पेंशन का दायरा बढ़ाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि नियामक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित लघु वित्त बैंकों की तरह छोटे पेंशन फंडों को अनुमति देने पर विचार कर रहा है। कम पूंजी आवश्यकता वाले ऐसे फंड छोटे शहरों, एमएसएमई क्लस्टरों और ग्रामीण समुदायों में वंचित तबकों के लिए उत्पाद ला सकते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने कहा कि भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण डॉलर की जगह लेने के लिए नहीं है बल्कि रुपये में अधिक लेनदेन करके भारतीय व्यवसायों के जोखिम को कम करना है।

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर के अनुसार नियामक वर्तमान में पूंजी निवेश के प्रवाह को उदार बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है क्योंकि देश को विकास के वर्तमान चरण में पूंजी की आवश्यकता है। लेकिन जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था परिपक्व होगी, वे पूंजी के बाह्य प्रवाह पर ध्यान देंगे।

संप​त्ति प्रबंधन उद्योग के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था उनके लिए एक सहारा है। शीर्ष अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई समिट 2025 में कहा कि यह उद्योग एक निर्णायक दौर में प्रवेश कर रहा है क्योंकि धनाढ्य (एचएनआई) और बेहद धनाढ्य व्यक्तियों (यूएचएनआई) की बढ़ती परिसंप​त्ति बेहतरीन वित्तीय सलाह और नवोन्मेषी निवेश योजना की मांग को बढ़ावा दे रही है।

भारत में करोड़पति परिवारों की संख्या 2021 के मुकाबले लगभग दोगुनी हो चुकी है। छोटे एवं मझोले शहरों ने इसमें वृद्धि को जबरदस्त रफ्तार दी है। चर्चा में शामिल अ​धिकतर विशेषज्ञों ने कहा कि आर्थिक विस्तार और वित्तीयकरण की दिशा में हुए बदलाव से प्रेरित यह उछाल संप​त्ति प्रबंधन के परिदृश्य को बदल रहा है। इससे सेवाएं अधिक सुलभ और प्रौद्योगिकी से संचालित हो रही हैं।

माइक्रोफाइनैंस उद्योग (एमएफआई) के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि तरलता का दबाव, डिफॉल्ट के बढ़ते मामले और ऋण वितरण में सुस्ती के कारण सबसे खराब दौर अब बीत चुका है। माइक्रोफाइनैंस इंडस्ट्री नेटवर्क (एमएफआईएन) के सीईओ आलोक मिश्रा ने कहा, ‘अब स्थिति बेहतर है। हमने सरकार से 20,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा गारंटी फंड स्थापित करने का अनुरोध किया है। यह फंडिंग के सकारात्मक चक्र को शुरू करेगा और बैंक का आत्मविश्वास बढ़ाएगा।’

पूर्व बैंकर और अब सेल्सफोर्स इंडिया की चेयरपर्सन एवं सीईओ अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा, ‘अगर आप भारत में अपना करियर संभालने वाली महिला हैं, तो आपको लगातार सामंजस्य बिठाना होगा कि कार्यस्थल की नई जिम्मेदारियों को संभालते हुए पारिवारिक जिम्मेदारियों का ध्यान कैसे रखा जाए।

First Published : October 30, 2025 | 11:48 PM IST