रिपुंजय गौर (पेटीएम), स्रीनिवासन ईश्वरन (जोहो), एल. गुरु राघवेन्द्रन (एजेंटियो) और मयंक शर्मा (गूगल) मुंबई में हुए BFSI समिट में शामिल हुए।
अब जो डिवाइस पहले सिर्फ पैसे देने या लेने के काम आती थीं, वे अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से और स्मार्ट बन रही हैं। मुंबई में गुरुवार को हुए Business Standard BFSI Insight Summit में कई बड़ी कंपनियों के लीडर्स ने बताया कि अब बैंकिंग, पहचान की जांच और ग्राहकों से जुड़ने के तरीके AI की वजह से बदल रहे हैं। इस चर्चा का विषय था – ‘पॉकेट से क्लाउड तक: AI, पहचान और डिजिटल बैंकिंग डिवाइसों का भविष्य’। इसमें गूगल, पेटीएम, जोहो पेमेंट टेक्नोलॉजीज और एजेंटियो सॉफ्टवेयर के विशेषज्ञ शामिल थे।
पेटीएम के सीओओ रिपुंजय गौर ने कहा कि पहले जो डिवाइसें सिर्फ पेमेंट लेने या देने का एक हिस्सा थीं, अब AI (Artificial Intelligence) की वजह से बहुत समझदार हो गई हैं। उन्होंने बताया कि पेटीएम ने AI-साउंडबॉक्स लॉन्च किया है, जो दुकानदारों की भाषा की परेशानी दूर करता है। अब कोई व्यापारी किसी भी ग्राहक से, चाहे वह पर्यटक ही क्यों न हो, आसानी से बात कर सकता है।
जोहो पेमेंट टेक्नोलॉजीज के सीईओ स्रीनिवासन ईश्वरन ने कहा कि बैंकिंग अब कंप्यूटर (डेस्कटॉप) से निकलकर क्लाउड पर पहुंच गई है, और अब अगला कदम AI और आवाज से चलने वाली बैंकिंग का होगा। उन्होंने कहा, “अब ज्यादातर काम AI से होता है। आने वाले समय में लोग आवाज देकर बैंकिंग करेंगे, यह आम बात बन जाएगी।”
गूगल के मयंक शर्मा, जो एंड्रॉयड एंटरप्राइज पार्टनरशिप्स के रीजनल हेड हैं, ने कहा कि भारत AI तकनीक में सबसे आगे है। उन्होंने बताया, “जब जेमिनी (Gemini) लॉन्च हुआ, तब भारत उन चुनिंदा देशों में था जहां इसे पहले शुरू किया गया। यह नौ भारतीय भाषाओं में आया था और इसका ज्यादातर काम भारतीय इंजीनियरों ने किया।”
धोखाधड़ी (फ्रॉड) पर बात करते हुए पेटीएम के रिपुंजय गौर ने कहा कि अब धोखाधड़ी पकड़ने का तरीका बहुत तेज हो गया है। पहले जांच मैनुअल यानी हाथ से होती थी, लेकिन अब रियल-टाइम सिस्टम है। मतलब धोखाधड़ी होते ही सिस्टम उसे पहचान लेता है। उन्होंने बताया कि अब UPI डिवाइस बैंडिंग जैसी तकनीक से अगर मोबाइल या डिवाइस चोरी या हैक हो जाए, तो ट्रांजैक्शन (लेन-देन) अपने आप रुक जाता है। हालांकि, गौर ने कहा कि अभी भी डेटा की सुरक्षा पर और काम करने की जरूरत है।
जोहो पेमेंट टेक्नोलॉजीज के स्रीनिवासन ईश्वरन ने कहा कि अब AI सिस्टम यह समझने लगे हैं कि धोखाधड़ी कैसे होती है, ताकि उसे पहले ही रोका जा सके। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे सिस्टम महंगे पड़ते हैं, जिससे कंपनियों का खर्च बढ़ जाता है। उनका कहना था- अगर डिवाइस, बैंक और टेक्नोलॉजी मिलकर काम करें, तो फ्रॉड बहुत कम हो सकता है और जो पैसा बचेगा, उसका फायदा ग्राहकों को मिल सकता है।
एजेंटियो सॉफ्टवेयर के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एल. गुरु राघवेन्द्रन ने कहा कि बैंकिंग का सबसे बड़ा आधार भरोसा (ट्रस्ट) है, और तकनीक को उसी भरोसे को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आज एक ट्रांजैक्शन (लेन-देन) की जांच करने के लिए 450 से ज्यादा तरीके (पैरामीटर) होते हैं, ताकि यह पता चल सके कि वह सही है या धोखाधड़ी। पेटीएम के रिपुंजय गौर ने भविष्य की बात करते हुए कहा कि अब वक्त है डिजिटल पहुंच से डिजिटल भरोसे की ओर बढ़ने का। उन्होंने कहा, “भारत में अगले 30 से 40 करोड़ लोग तभी ऑनलाइन पेमेंट करेंगे जब वे खुद को सुरक्षित और निश्चिंत महसूस करेंगे। हमारा मकसद है लोगों में यह भरोसा पैदा करना कि डिजिटल लेन-देन सुरक्षित है।”