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परमाणु दौड़ में फिर उतरा अमेरिका! 33 साल बाद टेस्ट का आदेश, ट्रंप बोले – हमें करना ही पड़ा

रूस के परमाणु ड्रोन और मिसाइल टेस्ट के बाद ट्रंप ने दिया अमेरिका को परमाणु टेस्टिंग का आदेश; अगर लागू हुआ तो 33 साल बाद टूटेगी रोक।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- October 30, 2025 | 9:21 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को अपने देश के डिपार्टमेंट ऑफ वॉर को आदेश दिया है कि वे परमाणु हथियारों की टेस्टिंग की गति तेज करें। यह फैसला ऐसे समय आया है जब रूस ने हाल ही में अपने परमाणु ड्रोन और मिसाइलों की टेस्टिंग की है।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अमेरिका के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं और उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में इन हथियारों को आधुनिक बनाया। उन्होंने कहा, “मुझे यह करना पसंद नहीं था, लेकिन कोई विकल्प नहीं था। रूस दूसरे और चीन तीसरे नंबर पर है, लेकिन पांच साल में चीन बराबरी पर पहुंच सकता है। इसलिए मैंने विभाग को तुरंत परमाणु टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दिया है।”

रूस की नए ड्रोन टेस्टिंग से क्यों बढ़ी हलचल?

ट्रंप के आदेश से कुछ घंटे पहले ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया कि रूस ने अपने पोसीडॉन (Poseidon) नाम के परमाणु-संचालित पानी के नीचे चलने वाले ड्रोन की सफल टेस्टिंग की है। पुतिन ने दावा किया कि यह ड्रोन “असीम रेंज” वाला है और यह रूस की सार्मत मिसाइल से भी ज्यादा शक्तिशाली है।

रूस पिछले कुछ हफ्तों से अपने न्यूक्लियर सुपरवॉर हथियारों की टेस्टिंग बढ़ा रहा है, जिससे दुनिया भर में चिंता बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि ये नए हथियार मौजूदा मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स को भी बेअसर कर सकते हैं।

ट्रंप रूस के मिसाइल टेस्टिंग से क्यों नाराज हैं?

ट्रंप ने पुतिन के इस कदम को “अनुचित” बताया और कहा कि रूस को यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मीडिया से कहा कि अमेरिका को सुरक्षा की चिंता नहीं है, क्योंकि उनके पास ‘रूस के तटों के पास ही परमाणु पनडुब्बियां’ तैनात हैं। ट्रंप का यह बयान रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को और उजागर करता है।

क्या ट्रंप और शी जिनपिंग परमाणु मुद्दे पर साथ आ पाएंगे?

ट्रंप का यह ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब वे दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करने जा रहे हैं। यह दोनों नेताओं की छह साल बाद पहली मुलाकात होगी और यह एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) सम्मेलन के दौरान होगी। ट्रंप पहले भी चीन से बात करना चाहते थे कि दोनों देश परमाणु हथियारों की संख्या कम करें, लेकिन चीन ने इस बात से मना कर दिया। यानी चीन का कहना है कि वो अभी ऐसी कोई संधि या समझौता नहीं करेगा।

क्या अमेरिका 33 साल बाद फिर करेगा परमाणु टेस्टिंग?

अमेरिका ने आखिरी बार 1992 में परमाणु टेस्टिंग की थी। तब से अब तक केवल नॉन-न्यूक्लियर (गैर-परमाणु) अभ्यास किए जाते रहे हैं। अगर ट्रंप का नया आदेश लागू होता है, तो यह 33 साल बाद पहली परमाणु विस्फोट टेस्टिंग होगी।

यह फैसला उस रोक (Moratorium) को खत्म कर देगा जो पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश के समय लगाई गई थी। अमेरिका ने साल 1996 में “Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty (CTBT)” पर हस्ताक्षर तो किए, लेकिन उसे कभी मंजूरी (ratify) नहीं दी। यानी अमेरिका ने उस समझौते को औपचारिक रूप से लागू नहीं किया।

First Published : October 30, 2025 | 9:13 AM IST