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एआई से लैस उपकरण से बदला डिजिटल बैंकिंग

गूगल में एंड्रॉइड एंटरप्राइज़ पार्टनरशिप्स के क्षेत्रीय प्रमुख मयंक शर्मा ने कहा कि भारत एआई-संचालित डिवाइस इनोवेशन में एक प्रमुख प्रतिभागी रहा है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- October 30, 2025 | 11:38 PM IST

उद्योग जगत के दिग्गजों ने गुरुवार को मुंबई में बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कहा कि डिजिटल भुगतान में कभी निष्क्रिय रहे उपकरण अब फिनटेक नवाचार के नए क्षेत्र के रूप में उभर रहे हैं क्योंकि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) बैंकिंग, प्रमाणीकरण और ग्राहक संपर्क के तरीके को नया रूप दे रही है।

बिजनेस स्टैंडर्ड की निवेदिता मुखर्जी द्वारा संचालित “पॉकेट से क्लाउड तक: एआई, प्रमाणीकरण और डिजिटल बैंकिंग उपकरणों का भविष्य” शीर्षक पर आयोजित चर्चा में गूगल, पेटीएम, जोहो पेमेंट टेक्नॉलजीज और एजेन्टियो सॉफ्टवेयर के विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। इस चर्चा में बताया गया कि कैसे एआई उपकरणों को बुद्धिमान कंप्यूटिंग प्रणालियों में बदल रहा है, जो वास्तविक समय में बातचीत और धोखाधड़ी का पता लगाने में सक्षम हैं।

पेटीएम के ऑफलाइन भुगतान के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) रिपुंजय गौड़ ने कहा, जो उपकरण पहले निष्क्रिय नोड पर हुआ करते थे, वे अब भुगतान प्रणाली में सक्रिय रूप से शामिल हो गए हैं। एआई के साथ उपकरणों का विकास बहुत बड़ा है। उन्होंने कहा कि एआई-सक्षम उपकरण मर्चेंट्स के लिए बहुभाषी संचार को संभव बना रहे हैं। गौड़ ने कहा, हमने एक एआई साउंडबॉक्स लॉन्च किया है, जो मर्चेंट्स की समस्याओं का समाधान कर सकता है। इस एआई उपकरण से कारोबारी किसी से भी बात कर सकते हैं, उदाहरण के लिए पर्यटकों से।

जोहो पेमेंट टेक्नॉलजीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शिवरामकृष्णन ईश्वरन ने कहा कि बैंकिंग डेस्कटॉप से क्लाउड की ओर बढ़ गई है और एआई प्रासंगिक और वॉइस-आधारित बैंकिंग के अगले चरण को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, एक बार जब यह क्लाउड पर आ जाएगा तो सब कुछ एआई पर निर्भर हो जाएगा। इन उपकरणों में बातचीत का प्राथमिक माध्यम वॉइस ही होगा।

गूगल में एंड्रॉइड एंटरप्राइज़ पार्टनरशिप्स के क्षेत्रीय प्रमुख मयंक शर्मा ने कहा कि भारत एआई-संचालित डिवाइस इनोवेशन में एक प्रमुख प्रतिभागी रहा है। शर्मा ने कहा, जब जेमिनी लाइव लॉन्च हुआ था तब भारत चुनिंदा बाजारों में से एक था। इसे नौ भारतीय भाषाओं में लॉन्च किया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसी ज्यादातर तकनीकें भारतीय इंजीनियरों द्वारा भारत में ही बनाई जाती हैं।

उन्होंने स्मार्टफोन के विकास पर भी प्रकाश डाला और बताया कि कैसे वे एआई कंप्यूटिंग का केंद्र बन गए हैं और डिजिटल बैंकिंग के बुनियादी ढांचे को सहारा दे रहे हैं। शर्मा ने कहा, पहला एंड्रॉइड फोन 2008 में आया था। तब से स्मार्टफोन सिर्फ कनेक्टिविटी देने वाले तंत्र से बढ़कर पूरी तरह से उच्च-शक्ति कंप्यूटिंग तंत्र बन गए हैं। हम इन उपकरणों पर इस एआई तकनीक का लाभ उठाने के लिए कई बैंकिंग संस्थानों के साथ काम कर रहे हैं।

धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों और इन कंपनियों द्वारा इससे निपटने के तरीके के बारे में पूछे जाने पर गौड़ ने कहा कि उद्योग अब मैन्युअल तरीके से धोखाधड़ी का पता लगाने की प्रक्रिया से आगे बढ़ चुका है। उन्होंने कहा, कंप्यूटिंग क्षमता में जबरदस्त वृद्धि के साथ हमारे पास धोखाधड़ी की वास्तविक समय में जांच करने की व्यवस्था है। आज आपके पास यूपीआई डिवाइस बैंडिंग है। यह चोरी, हैकिंग आदि की स्थिति में यूपीआई लेनदेन को प्रतिबंधित करता है। हालांकि कंपनियों को अभी भी डेटा सुरक्षा पर काम करना है।

ईश्वरन ने कहा कि एआई इंजन धोखाधड़ी के पैटर्न के सहसंबंध को बेहतर बना रहे हैं, जिससे धोखाधड़ी का पता लगाने में मदद मिलती है। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे परिचालन लागत बढ़ जाती है, जिसके कारण कंपनियां मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) कम नहीं कर पातीं। उन्होंने कहा, एक बार जब हम सभी डिवाइस स्तर, तकनीक स्तर और बैंकिंग स्तर पर सामूहिक रूप से काम करेंगे और विभिन्न मानदंडों के आधार पर चेतावनी जारी करते हुए शीर्ष स्तर को सशक्त बनाएंगे तो हम धोखाधड़ी को कम कर सकते हैं और इससे भारी बचत होगी, जिसका लाभ ग्राहकों को दिया जा सकता है।

First Published : October 30, 2025 | 11:32 PM IST