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कैपिटल मार्केट और बैंक ही देंगे अर्थव्यवस्था को नई उड़ान: BFSI समिट में बोले KV Kamath

BFSI समिट 2025 में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को आर्थिक विकास के लिए बड़े बैंकों, तकनीक आधारित आधुनिकीकरण और मजबूत मुद्रास्फीति नीति की जरूरत है

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- October 29, 2025 | 4:33 PM IST

BFSI Summit 2025: जियो फाइनैंशियल सर्विसेज (जेएफएस) के चेयरमैन के वी कामत (KV Kamath) ने कहा है कि आर्थिक तेजी के दौर में सबसे पहले बैंकिंग सेक्टर मजबूत होता है। भारत में बैंक और कैपिटल मार्केट खिलाड़ी इस विकास के प्रमुख आधार रहेंगे।

मुंबई में आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड BFSI इनसाइट समिट 2025 के दौरान कामत ने कहा, एनबीएफसी सेक्टर बैंकों की तुलना में फंड जुटाने की लागत में मुकाबला नहीं कर सकता, इसलिए बैंकों की भूमिका और भी अहम हो जाती है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में बैंकिंग ग्रोथ का बड़ा आधार रिटेल सेगमेंट होगा, क्योंकि भारत का रिटेल ग्राहक अब ज्यादा आकांक्षी हो चुका है और वित्तीय सेवाओं के अधिक विकल्प तलाश रहा है। ऐसे में बैंकों को यह भी देखना होगा कि ग्राहकों के लिए सुविधाएं बढ़ाते हुए कैसे मुनाफा बनाए रखें।

फायर्साइड चैट सेशन में कामत ने आगे कहा कि बैंकिंग सेक्टर में बदलाव और आधुनिकीकरण आज उपलब्ध तकनीक की मदद से कोई कठिन काम नहीं है। नए टेक्नोलॉजी टूल्स से बैंक अपनी सेवाओं को तेज, सुरक्षित और कस्टमर-फ्रेंडली बना सकते हैं।

टेक्नोलॉजी बदल रही है वित्तीय फैसले: कामत

कामत ने कहा कि देश में फाइनेंशियल सिस्टम में बड़ा बदलाव हो रहा है। अब लोग तकनीक के जरिए अपनी बचत को बेहतर तरीके से निवेश करना सीख चुके हैं। उनके अनुसार, आम निवेशक भी अब ऐसे विकल्प चुन रहा है जहां उसे ज्यादा रिटर्न मिल सके।

उन्होंने बताया कि पेंशन, बीमा और म्यूचुअल फंड जैसे मजबूत वित्तीय तंत्र के कारण एक “समानांतर पूंजी बाजार” तैयार हो गया है। यहां ग्राहकों को कई निवेश विकल्प मिलते हैं और तकनीक के कारण पैसा एक जगह से दूसरी जगह तेजी से शिफ्ट हो सकता है।

बैंकों को नया मॉडल अपनाने की जरूरत

कामत का कहना है कि बदलते परिदृश्य में बैंकों को अपने कामकाज के मॉडल पर दोबारा सोचने की जरूरत है। आने वाले समय में बैंक ज्यादा ध्यान खुदरा ग्राहकों (रिटेल कस्टमर) पर देंगे। उन्होंने कहा कि हर वित्तीय संस्थान को यह समझना होगा कि उनका मुख्य ग्राहक कौन है और उसी के अनुसार रणनीति तैयार करनी होगी।

बैंकों के सामने नहीं टिक पाएंगे NBFC और फिनटेक

कामत ने कहा कि एनबीएफसी बड़े पैमाने पर बैंकों की बराबरी नहीं कर सकते। वहीं फिनटेक कंपनियां भी जमा स्वीकार नहीं करतीं, इस कारण वे भी बैंकों जैसी क्षमता हासिल नहीं कर पाएंगी।

उनका मानना है कि भारतीय बैंक तकनीक में निवेश तो कर रहे हैं, लेकिन सही तकनीक पर ध्यान नहीं दे रहे। उन्होंने कहा, “बैंकों को खुद को फिर से तैयार करना होगा और नई तकनीक से यह काम जल्दी हो सकता है। सवाल यह है कि वे इसे कब और कितनी तेजी से करेंगे।”

भारत को वैश्विक स्तर पर 3-4 बड़े बैंकों की जरूरत: बैंक ऑफ इंडिया प्रमुख

बैंक ऑफ इंडिया के एमडी और सीईओ रजनीश कर्नाटक ने कहा है कि भारत की बड़ी जनसंख्या, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में मौजूद ग्राहक आधार को देखते हुए देश में कम से कम तीन से चार ऐसे बड़े बैंक होने चाहिए जो वैश्विक शीर्ष 100 में शामिल हों। उनका कहना है कि कुल व्यवसाय, मार्केट कैपिटलाइजेशन और एसेट साइज के आधार पर भारतीय बैंकों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत होना आवश्यक है।

बड़ी बैंकिंग इकाइयां तकनीक और संसाधन उपयोग में मददगार: बैंक ऑफ बड़ौदा प्रमुख

बैंक ऑफ बड़ौदा के एमडी और सीईओ डी चंद्र ने कहा कि बड़ी बैंकिंग संस्थाओं की जरूरत इसलिए भी है ताकि वे तकनीक में अधिक निवेश कर सकें, बेहतर अंडरराइटिंग क्षमता विकसित कर सकें और शाखाओं सहित संसाधनों का प्रभावी उपयोग कर देशभर में सेवाओं को मजबूत बना सकें।

लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण से बढ़ा भरोसा: अर्थशास्त्री चेतन घाटे

भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे ने कहा कि भारत की मौद्रिक नीति समिति द्वारा अपनाया गया लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण मॉडल नीतिगत विश्वसनीयता को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि अगर हेडलाइन इंफ्लेशन लक्ष्य के अनुसार स्थिर रहे, तो कोर इंफ्लेशन पर ज्यादा फोकस किया जाना चाहिए, जिससे मूल्य स्थिरता को और मजबूती मिलेगी।

First Published : October 29, 2025 | 2:02 PM IST