भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश के बगैर पूरा नहीं होगा। लखनऊ में बिज़नेस स्टैंडर्ड के ‘समृद्धि’ कार्यक्रम में प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों ने बताया कि निवेशक सम्मेलन में 36 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव हासिल करने वाले प्रदेश में सड़क, बिजली, पानी और औद्योगिक गलियारों को बढ़ावा देकर तथा अराजकता खत्म कर किस तरह प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का काम हो रहा है
राजनीतिक तौर पर देश के सबसे संवेदनशील, सक्रिय और सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में आर्थिक और औद्योगिक मोर्चे पर भी काफी हलचल हो रही है। योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश को 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रही है, जिसका नमूना कुछ अरसा पहले हुए वैश्विक निवेशक सम्मेलन में दिखा। तकरीबन सभी क्षेत्रों की नामी-गिरामी कंपनियों की शिरकत वाले इस सम्मेलन में राज्य को 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले थे, जो अब बढ़कर 36 लाख करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच गए हैं।
एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश के ही जेवर में बन रहा है। इसके अलावा यहां मालढुलाई गलियारा, खिलौना पार्क, चिकित्सा उपकरणों का पार्क जैसी परियोजनाएं भी चल रही हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों ही कहा कि उत्तर प्रदेश में बन रहे रक्षा उद्योग के गलियारे में केवल छोटे-मोटे पुर्जे ही नहीं बनेंगे बल्कि ब्रह्मोस मिसाइल, विमान और ड्रोन भी बनाए जाएंगे।
प्रदेश सरकार की नीतियों और कोशिशों का असर सभी ओर दिख रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स की बड़ी परियोजनाएं हासिल कर रहा प्रदेश 2022 में जारी नीति आयोग के इनोवेशन इंडेक्स में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला राज्य था। उस सूचकांक में उत्तर प्रदेश नवें पायदान से चढ़कर सातवें स्थान पर पहुंच गया। कारोबारी सुगमता के सूचकांक पर तो प्रदेश पिछले साल उछलकर दूसरे पायदान पर ही पहुंच गया।
औद्योगिक तथा निवेश मोर्चे पर इस तरह की प्रगति और हलचल तभी होती है, जब किसी प्रदेश का माहौल सुरक्षित हो, बुनियादी ढांचा मजबूत हो और नीतियां अनुकूल हों। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बिज़नेस स्टैंडर्ड के कार्यक्रम ‘समृद्धि’ में आए प्रदेश सरकार के मंत्रियों, अधिकारियों, उद्योगपतियों, व्यापारियों और निवेशकों ने एक स्वर में माना कि आज उत्तर प्रदेश में निवेशकों को यह सब मिल रहा है।
ट्रिलियन डॉलर पर निशाना
‘समृद्धि’ कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने प्रदेश में उद्योग के अनुकूल नीतियों और निवेशकों के अनुकूल माहौल पर खास जोर दिया और कहा कि इन नीतियों तथा सुरक्षित माहौल के कारण ही उत्तर प्रदेश 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विकास के मोर्चे पर नई इबारतें लिख रहा है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार प्रदेश की 25 करोड़ जनता के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की यह मंशा सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, रेल, इमारत, शहर, गांव, रोजगार जैसे हरेक क्षेत्र में नजर आती है।
महाना ने कहा, ‘इसी मंशा ने निवेशकों को लुभाया है, जिसकी वजह से वैश्विक निवेशक सम्मेलन में देश के बड़े-बड़े उद्योगपति और बहुराष्ट्रीय कंपनियां एक मंच पर आए और उन्होंने उत्तर प्रदेश में निवेश की इच्छा जताई।’ उन्होंने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा इसी तरह पूरी होगी और उत्तर प्रदेश उसमें पूरा योगदान करेगा।
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विधानसभा अध्यक्ष ने प्रदेश के विकास के लिए सभी से साथ आने का आह्वान किया और कहा कि चुनी गई सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है और जनता विकास चाहती है। उन्होंने कहा, ‘जनता की इच्छा को अनसुना नहीं किया जा सकता। न तो विधायिका और न ही कार्यपालिका उसकी अनदेखी कर सकती है। इसीलिए दोनों को मिलकर विकास की गति और बढ़ानी होगी।’
निवेश की बारिश
‘समृद्धि’ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रदेश में लगातार आ रहे निवेश प्रस्तावों और समझौतों का उदाहरण देते हुए कहा कि देश में ही नहीं उत्तर प्रदेश में भी औद्योगिक क्रांति आई है। उन्होंने कहा कि जिस उत्तर प्रदेश में पहले निवेश तक नहीं होता था, वहां निवेशक सम्मेलन हो रहे हैं और लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आ रहे हैं। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि ये निवेश प्रस्ताव कागज के पुर्जे भर नहीं हैं बल्कि उत्तर प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं। अब इन्हें धरातल पर उतारना है, जिसके लिए सरकार तेजी से काम कर रही है।
उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ साल में बुनियादी ढांचे और खास तौर पर सड़कों पर बहुत काम हुआ है। यह इकलौता प्रदेश है, जहां 13 एक्सप्रेसवे परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं या बन रही हैं। प्रदेश में मार्च, 2023 तक करीब 1,400 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे चालू हो चुके हैं, जो देश में कुल चालू एक्सप्रेसवे के करीब एक तिहाई हैं। मौर्य ने भी इसे योगी सरकार की अहम उपलब्धि बताते हुए कहा कि 2017 से 2023 के बीच सबसे अधिक एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में ही बने हैं। इस समय सबसे अधिक राजमार्ग भी उत्तर प्रदेश में ही हैं। उन्होंने कहा, ‘आने वाले समय में उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे होंगे। जल्द ही यहां पहला राष्ट्रीय जलमार्ग भी शुरू होने वाला है। यदि रेल, सड़क, विमान और जल का रास्ता माल की ढुलाई के लिए मिलेगा तो निवेश यहां क्यों नहीं बरसेगा।’
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मौर्य ने कहा कि एकल खिड़की मंजूरी और निवेश मित्र पोर्टल समेत जितनी अच्छी तथा सकारात्मक नीतियां उत्तर प्रदेश में हैं, उतनी बहुत कम राज्यों में हैं। उन्होंने कहा, ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड ‘समृद्धि’ के इस मंच से मैं सभी निवेशकों का आह्वान करता हूं कि वे उत्तर प्रदेश आएं, यहां निवेश करें ताकि यहां मौजूद मौकों से उन्हें फायदा मिले और उत्तर प्रदेश के निवासी भी विकास तथा रोजगार हासिल करें।’
चाक चौबंद कानून व्यवस्था
किसी भी निवेशक या उद्योगपति के लिए बुनियादी ढांचे से भी ज्यादा जरूरी सुरक्षा का माहौल होता है। निवेश तभी आता है, जब किसी भी तरह की अराजकता होने का संदेह नहीं हो।
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ‘समृद्धि’ के मंच से इसी बात पर जोर देते हुए कहा कि आम जनता और खास तौर पर उद्योगों तथा निवेशकों के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कानून व्यवस्था का कायाकल्प कर दिया है। कुछ अरसा पहले उत्तर प्रदेश को बेहद अराजक माना जाता था मगर पिछले छह साल में इसकी छवि बिल्कुल बदल गई है। अब अपराध करने वाला किसी भी तरह बच नहीं सकता। उद्यमियों, कारोबारियों का माल लूटा जाना, उनसे उगाही किया जाना अतीत की बात हो गई है। कानून तोड़ने वाले को कानून के तहत सजा जरूर मिलती है। खनन माफिया को खत्म कर दिया गया है। इससे खनिज राजस्व भी कई गुना बढ़ गया है।
बुनियादी ढांचे की बात करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कभी जिस उत्तर प्रदेश की पहचान सड़कों पर पसरे अंधेरे से होती थी, वहां अब कम से कम 18 घंटे बिजली हर घर को मिल रही है। उद्यमियों को सड़क, बिजली और कनेक्टिविटी का जो बुनियादी ढांचा चाहिए, वह उत्तर प्रदेश में हर समय उपलब्ध रहता है। उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे, बेहतर रेल मार्ग और राष्ट्रीय जलमार्ग से मालढुलाई तो बढ़ेगी ही, धार्मिक पर्यटन को भी तेजी मिलेगी, जिससे राज्य में राजस्व और रोजगार बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद से रोजाना 2 से 3 लाख श्रद्धालु और धार्मिक पर्यटक पहुंच रहे हैं। यही स्थिति अयोध्या और मथुरा की भी है, जिससे व्यापार और स्थानीय रोजगार में बहुत बढ़ोतरी हो रही है।
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उन्होंने बताया कि सभी को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने पर मुख्यमंत्री का बहुत जोर है, जिसके कारण प्रदेश में 3,500 से अधिक प्राथमिक चिकित्सा केंद्र हैं, 950 से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं। साथ ही हर जिले में मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं, जिनमें सीटें भी बढ़ाई गई हैं। उन्होंने कहा कि 2017 में प्रदेश में केवल 5 नर्सिंग कॉलेज थे। भाजपा सरकार ने 11 नए कॉलेज खोले हैं और अब हर मेडिकल कॉलेज के साथ नर्सिंग कॉलेज भी खोलने का फैसला किया गया है।
बुनियादी ढांचे को बल
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने कहा कि बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी भाजपा सरकार के एजेंडा में बहुत ऊपर है। उन्होंने कहा कि 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई तो प्रदेश में केवल लखनऊ और वाराणसी में हवाई अड्डे थे। लेकिन अब यहां 16 हवाई अड्डे हैं और जल्द ही पांच अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे भी यहां आने वाले हैं। देश के कुल एक्सप्रेसवे नेटवर्क का 37 फीसदी से अधिक हिस्सा उत्तर प्रदेश में है और जिस तेजी से काम हो रहा है, उसे देखते हुए जल्द ही देश के 50 फीसदी एक्सप्रेसवे यहीं होंगे। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने जिस सड़क कनेक्टिविटी और रेल कनेक्टिविटी को अनदेखा कर दिया था, उसे वर्तमान सरकार ने युद्ध स्तर पर सुलझाया है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार को सभी 75 जिलों में निवेश के प्रस्ताव मिले हैं।
उन्होंने कहा, ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड के ‘समृद्धि’ कार्यक्रम में निश्चित रूप से कई बहुमूल्य सुझाव भी आएंगे। हम उन सभी सकारात्मक सुझावों को अपनी चर्चा में अपनी नीतियों में निश्चित रूप से शामिल करेंगे ताकि सभी मिलकर प्रदेश के विकास को और भी रफ्तार दे सकें।’
सबसे अनुकूल नीतियां
‘समृद्धि’ के दौरान बुनियादी ढांचे पर परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव डीएस मिश्र ने कहा, ‘किसी समय निवेश करने या उद्योग लगाने के लिए लोग चुनिंदा राज्यों को ही देखते थे और उत्तर प्रदेश का नाम तक नहीं लेते थे। मगर हमने उन सभी राज्यों की सभी नीतियां पढ़ीं और उनकी अच्छी बातें चुनकर उत्तर प्रदेश के लिए नीतियां बनाईं। फिर प्रदेश के उद्यमियों और निवेशकों के साथ उस पर बार-बार चर्चा की और उसके बाद ही नीतियों को अंतिम रूप दिया गया। आज प्रदेश में उद्योग और निवेश के क्षेत्र में 25 नीतियां लागू हो चुकी हैं, जिसका नतीजा यहां बढ़ता निवेश है।’
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (कारोबारी सुगमता) पर बहुत जोर है। वह नहीं चाहते कि उद्यमियों को धक्के खाने पड़ें। इसके लिए अनुकूल नीतियां बनाने पर बहुत जोर है, जिनके दम पर उत्तर प्रदेश दुनिया भर के निवेशकों को यहां निवेश करने के लिए न्योता दे रहा है।
बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर उत्तर प्रदेश की प्रगति का खाका सामने रखते हुए मिश्र ने कहा कि दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के लिए उत्तर प्रदेश सरकार अच्छा खासा निवेश कर रही है और साहिबाबाद से दुहाई के बीच इसका पहला हिस्सा जल्द ही शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा, ‘देश का पहला राष्ट्रीय जलमार्ग बंगाल के हल्दिया से वाराणसी के बीच आ रहा है। पूर्व-पश्चिम मालढुलाई गलियारे का 50 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से गुजर रहा है और उसके लिए सरकार हर तरह की मदद कर रही है क्योंकि उसका सबसे अधिक लाभ भी उत्तर प्रदेश के कारोबारियों और जनता को ही मिलेगा।’
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एक्सप्रेसवे में प्रदेश की तेज प्रगति को मिश्र ने भी बड़ी उपलब्धि बताया उन्होंने कहा कि एक्सप्रेसवे ने उन इलाकों को भी निवेश तथा रोजगार दिया है, जिनके नाम तक लोग पहले नहीं जानते थे। किसी समय पूर्वांचल के पिछड़े इलाके कहलाने वाले शहरों और कस्बों में भी अगर आज निवेशक आ रहे हैं तो उसमें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का भी योगदान है और अगर बुंदेलखंड में कारखाने लगने जा रहे हैं तो उसमें बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का भी योगदान है।
छोटे उद्योगों को सहारा
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं और उन्हें मजबूत किए बगैर आर्थिक वृद्धि नहीं हो सकती। बाकी राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश के एमएसएमई के सामने भी कई चुनौती हैं मगर ‘समृद्धि’ कार्यक्रम के दौरान ‘उत्तर प्रदेश: ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था में MSME की भूमिका’ विषय पर परिचर्चा में प्रदेश के अफसरशाहों और उद्यमियों ने माना कि प्रदेश सरकार सही नीयत के साथ उन्हें दूर करने की कोशिश कर रही है।
मुख्यमंत्री के सलाहकार और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि 2017 में सरकार बनते ही मुख्यमंत्री ने चार बड़ी प्राथमिकताएं अपने सामने रखीं – कानून व्यवस्था, तकनीक का इस्तेमाल, कौशल विकास और एक जिला एक उत्पाद (ODOP)। उन्होंने कहा, ‘पहला काम था कानून व्यवस्था दुरुस्त करना। बड़े उद्योगपति और कारोबारी तो सक्षम होते हैं और अपने प्रतिष्ठान या कारोबार की सुरक्षा कर लेते हैं। मगर छोटे उद्यमियों के सामने समस्या थी कि उनका माल लुटने से कौन बचाए या जबरन उगाही से कौन बचाए।’ उन्होंने कहा कि जैसी सख्त कानून व्यवस्था प्रदेश की जनता इस समय देख रही है, वैसी शायद ही पहले देखी गई हो। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने दूसरे कार्यकाल में इसे और भी सख्त बनाने का निर्देश दिया, जिसका लाभ उद्यमियों और निवेशकों को नजर आ रहा है।
अवस्थी ने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल को जितनी तवज्जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देते हैं, उतनी ही मुख्यमंत्री भी देते हैं। इसीलिए तकनीक का इस्तेमाल कर एमएसएमई को स्टैंडअप नीति, भूमि आवंटन, एकल खिड़की मंजूरी जैसी व्यवस्थाओं का फायदा दिया जा रहा है।
कौशल विकास पर जोर
कौशल विकास को मुख्यमंत्री की बड़ी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि उद्योगों और उद्यमियों को तैयार कुशल कर्मी मिल सकें। इसका फायदा पूरे देश को होने जा रहा है क्योंकि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने संयंत्र चीन से हटाकर भारत में ला रही हैं। उन्हें विश्वस्तरीय औद्योगिक कौशल वाला श्रमबल मिलेगा तो वे उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं आएंगी और प्रदेश में रोजगार क्यों नहीं बढ़ेगा। ODOP योजना के फायदों का जिक्र करते हुए उन्होंने मुरादाबाद के पीतल उद्योग और वाराणसी के रेशम उद्योग का उदाहरण दिया, जहां इस नीति की वजह से कारोबार तथा निर्यात में 25 फीसदी के करीब वृद्धि हुई है।
चर्चा में शामिल भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक शरद एस चांडक ने कहा कि एमएसएमई अर्थव्यस्था के सबसे अहम हिस्से हैं और कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार भी वे ही देते हैं। साथ ही निर्यात में भी इनकी बहुत अधिक हिस्सेदारी होती है। उन्होंने कहा कि उद्यमशीलता और नवाचार को आगे बढ़ाने वाले एमएसएमई को ताकत देने कि लिए प्रदेश के 75 जिलों में बैंक की 2200 शाखाओं में 100 शाखाएं केवल एमएसएमई के लिए खोली गई हैं, जहां रिलेशनशिप मैनेजर के जरिये उनकी सभी समस्याएं सुलझाई जाती हैं। उन्होंने बताया कि बैंक ने फरवरी-मार्च, 2023 में उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में मुद्रा, प्रधानमंत्री स्वनिधि जैसी योजनाओं के तहत ऋण देने के लिए शिविर लगाए, जिनके जरिये 1 महीने के भीतर एमएसएमई को 100 करोड़ रुपये के कर्ज दे दिए गए।