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Lal Bahadur Shastri Jayanti: जय जवान जय किसान का नारा और इसके पीछे शास्त्री जी की दूरदर्शिता

Last Updated- December 11, 2022 | 2:26 PM IST

देश प्रत्येक साल 2 अक्टूबर को दो महान विभूतियों की जयंती मनाता है, महात्मा गांधी और देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री। लाल बहादुर शास्त्री जवाहरलाल नेहरू के बाद देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे थे। शास्त्री जी को हमेशा उनके सादगी और देशभक्ति के लिए याद किया जाता है। ईमानदार और स्वाभिमानी होने के कारण हर भारतीय के मन में उनके प्रति अलग सम्मान है। शास्त्री जी को सबसे अधिक उनके दिए हुए नारे जय जवान जय किसान और 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत की विजय के लिए याद किया जाता है। 
1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध

प्रधानमंत्री बनते के बाद लाल बहादूर शास्त्री के सामने घरेलू मोर्चे के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की दोहरी चुनौती थी। 1 सितंबर 1965 को पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के अखनूर-जम्मू सेक्टर में युद्ध विराम कर हमला बोल दिया। उसके दो दिन बाद शास्त्री जी ने पंजाब से पाकिस्तान में हमला करने का आदेश दिया। उससे पहले से ही गुजरात में पाकिस्तानी सेना की करतूतों के कारण भारतीय सेना पहले ही युद्ध के लिए तैयार थी। भारतीय सेना ने पंजाब से  तीन ओर से पाकिस्तान हमला किया था। लगभग 23 दिन तक युद्ध के बाद 23 सितंबर 1965 को भारत के बीच युद्ध विराम की घोषणा की गई। इस युद्ध में भारतीय सेना को वापस करने के लिए शास्त्री जी को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। बाद में दोनों सेनाओं के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ के हस्तक्षेप से ताशकंद में समझौता हुआ था। इसी ताशकंद समझौते के दौरान शास्त्री जी की मृत्यु भी हो गई थी।
जय जवान और जय किसान का नारा

भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने नारा दिया था जय जवान जय किसान। दरअसल उस समय भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। हमें दूसरे देशों से अनाज का आयात करना पड़ता था। भारत पाक युद्ध के समय अमेरिका ने भारत को अनाज निर्यात करने से मना कर दिया था और समय समय पर सूखे की वजह से देश के भंडार में कमी आ गई थी। इसी को देखते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने अनाज उत्पादन पर जोड़ देने तथा भारतीय सेना का मनोबल ऊंचा करने के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया था। 1965 में हरित क्रांति को बढ़ावा दिया गया जिसके कारण हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में खाद्यान्न उत्पादन में काफी वृद्धि हुई। इसके साथ ही राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड बनाकर श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया गया जिसके कारण और भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश बनकर उभरा है।

First Published - October 2, 2022 | 2:44 PM IST

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