दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर और अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में दावा किया कि उनके पिता अपनी कथित वसीयत में ‘डिजिटल प्रेत की तरह’ मौजूद हैं। उन्होंने दावा किया कि इस कथित वसीयत में न तो उनके हस्ताक्षर हैं, न ही उनकी लिखावट, न ही पंजीकरण और न ही इसमें उनके शामिल होने का कोई निशान है।
बच्चों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उनके पिता द्वारा कथित तौर पर तैयार कराई गई वसीयत केवल डिजिटल रूप में थी। समायरा और कियान राज कपूर (वादी) की ओर से पेश होते हुए जेठमलानी ने कपूर की निजी संपत्ति को नियंत्रित करने वाले दस्तावेज में इलेक्ट्रॉनिक एडिट और गायब मेटाडेटा की ओर इशारा किया।
उल्लेखनीय है कि फिल्म अभिनेत्री करिश्मा कपूर और संजय कपूर के बच्चे समायरा (20) और कियान राज (15) ने वसीयत की प्रामाणिकता को चुनौती दी है जिसमें कथित तौर पर उन्हें शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांगा है।
यह मुकदमा संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर, उनके बेटे, संजय की मां रानी कपूर और पारिवारिक मित्र श्रद्धा सूरी मारवाह के खिलाफ दायर किया गया है, जो 21 मार्च, 2025 की वसीयत की कथित निष्पादक हैं। वादी अपने दिवंगत पिता की व्यक्तिगत संपत्ति में हिस्सा मांग रहे हैं, जिसमें 30,000 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यापारिक साम्राज्य शामिल है।
जेठमलानी ने मंगलवार को यह भी आरोप लगाया कि वसीयत को कपूर के बच्चों और मां को हटाकर संपत्ति का नियंत्रण प्रिया कपूर के हाथों में जमा करने के लिए बनाया गया था। उन्होंने कहा कि वसीयत में सबसे बड़ी विसंगतियों में से एक है स्त्रीलिंग सर्वनामों का बार-बार इस्तेमाल, जिसमें संजय के लिए शी (वह) और हर (उसकी) का इस्तेमाल किया गया है और उसे वसीयत करने वाला बताया गया है।