facebookmetapixel
सुप्रीम कोर्ट ने कहा: बिहार में मतदाता सूची SIR में आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में करें शामिलउत्तर प्रदेश में पहली बार ट्रांसमिशन चार्ज प्रति मेगावॉट/माह तय, ओपन एक्सेस उपभोक्ता को 26 पैसे/यूनिट देंगेबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोले CM विष्णु देव साय: नई औद्योगिक नीति बदल रही छत्तीसगढ़ की तस्वीर22 सितंबर से नई GST दर लागू होने के बाद कम प्रीमियम में जीवन और स्वास्थ्य बीमा खरीदना होगा आसानNepal Protests: सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल में भारी बवाल, 14 की मौत; गृह मंत्री ने छोड़ा पदBond Yield: बैंकों ने RBI से सरकारी बॉन्ड नीलामी मार्च तक बढ़ाने की मांग कीGST दरों में कटौती लागू करने पर मंथन, इंटर-मिनिस्ट्रियल मीटिंग में ITC और इनवर्टेड ड्यूटी पर चर्चाGST दरों में बदलाव से ऐमजॉन को ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में बंपर बिक्री की उम्मीदNDA सांसदों से PM मोदी का आह्वान: सांसद स्वदेशी मेले आयोजित करें, ‘मेड इन इंडिया’ को जन आंदोलन बनाएंBRICS शिखर सम्मेलन में बोले जयशंकर: व्यापार बाधाएं हटें, आर्थिक प्रणाली हो निष्पक्ष; पारदर्शी नीति जरूरी

मीडिया मंत्र: विलय के जरिये मीडिया क्षेत्र में नया प्रयोग

वर्ष मार्च 2023 में समाप्त हुए वर्ष में लगभग 9.8 लाख करोड़ रुपये (लगभग 119 अरब डॉलर) की कमाई के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई है।

Last Updated- March 24, 2024 | 9:43 PM IST
New experiment in media sector through merger

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) जब भी मीडिया कारोबार से जुड़े कोई नए कदम उठाती है तब हर किसी को हैरानी होती है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है? वर्ष 2012 में उसने नेटवर्क 18 (जिसके पास वायकॉम 18 का भी स्वामित्व है) के इनाडु के साथ विलय की फंडिंग की जबकि वह उससे पहले से ही जुड़ी थी।

वर्ष 2014 तक उसने विलय वाली कंपनी का प्रबंधन नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। वर्ष 2022 में उसने जेम्स मर्डोक और उदय शंकर के स्वामित्व वाली बोधि ट्री को वायकॉम 18 में एक निवेशक के रूप में जोड़ा और इस पूरे पैकेज में जियो सिनेमा शामिल हो गया। पिछले साल उसने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के डिजिटल अधिकार खरीदे और एचबीओ के प्रीमियम प्रोग्रामिंग का लाइसेंस भी लिया।

इस साल फरवरी के अंत में आरआईएल और बोधि ट्री के स्वामित्व वाली वायकॉम 18 और डिज्नी के स्वामित्व वाली स्टार इंडिया के विलय की घोषणा हुई। हाल ही में उसने वॉयकॉम 18 में मूल साझेदार पैरामाउंट की शेष हिस्सेदारी खरीद ली। अब इस नई विलय वाली इकाई का पूरा नियंत्रण आरआईएल और बोधि ट्री के पास है।

सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया? क्या इस तरह के कदम इसलिए उठाए गए कि मीडिया एक अच्छा निवेश है? ऐसा लगता नहीं है। निश्चित रूप से करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 28 अरब डॉलर) का भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन कारोबार एक मुश्किल जगह है। इस उद्योग में मीडिया सामग्री की तादाद ज्यादा है लेकिन इसकी प्रत्येक इकाई से होने वाली आय कम होती है। इसके कम मार्जिन को देखते हुए इसके लिए बहुत प्रयास और धैर्य की आवश्यकता होती है।

स्टार इंडिया को 1990 के दशक में सफल होने में लगभग एक दशक लग गया। वहीं केबल में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति मिलने के आठ साल से भी अधिक समय बाद एक भी कंपनी सामने नहीं आई है। ऐसे कई उदाहरण हैं।

मीडिया पार्टनर्स एशिया के कार्यकारी निदेशक और सह-संस्थापक विवेक कूटो कहते हैं, ‘हाल के वर्षों में गूगल, मेटा, नेटफ्लिक्स, एमेजॉन द्वारा रचनात्मक अर्थव्यवस्था और वितरण में किए गए निवेश को छोड़कर, भारतीय मीडिया एवं मनोरंजन क्षेत्र में कोई बड़ा पूंजी निवेश नहीं हुआ है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) ने पिछले कुछ वर्षों में 2.4 अरब डॉलर का निवेश किया है और इसने प्रमुख समूहों के साथ भागीदारी की है।’

वर्ष मार्च 2023 में समाप्त हुए वर्ष में लगभग 9.8 लाख करोड़ रुपये (लगभग 119 अरब डॉलर) की कमाई के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई है। यह हाइड्रोकार्बन की खोज के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग जैसे क्षेत्रों में काम करती है जहां व्यापक दायरे के साथ-साथ परियोजना प्रबंधन क्षमता महत्त्वपूर्ण हैं।

वायकॉम 18 के डिज्नी-स्टार (जो बड़ी इकाई है) के साथ विलय से एक ऐसी कंपनी बनेगी जिसकी संयुक्त कमाई 23,321 करोड़ रुपये होगी (जैसा कि मार्च 2023 को समाप्त वर्ष में दर्ज किया गया था)। यह गूगल के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीडिया कंपनी होगी। इसके बाद भी यह आरआईएल की कमाई का सिर्फ 2 प्रतिशत ही होगा। विलय वाली इकाई का मूल्यांकन (8.5 अरब डॉलर) आरआईएल के वर्तमान बाजार पूंजीकरण का लगभग 3.5 प्रतिशत है।

अगर यह निवेश आरआईएल समूह के लिए मामूली है तो फिर इस पर चर्चा क्यों करनी है? क्या यह किसी विशेष लाभ या प्रभाव से जुड़ा हो सकता है? अगर आरआईएल समूह के आकार और प्रभाव को देखें तो इसे इसके लिए मीडिया की आवश्यकता नहीं है।

सबूत के तौर पर आप इस महीने की शुरुआत में आरआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी के प्री-वेडिंग समारोह में सुपरस्टार शाहरुख खान और मशहूर गायिका रिहाना से लेकर सॉफ्टवेयर क्षेत्र के दिग्गज अरबपति बिल गेट्स और स्टील क्षेत्र के बड़े उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल तक सभी के वीडियो को देखें जिसमें वे इस आयोजन का लुत्फ उठाते हुए देखे जा सकते हैं।

भारत और देश से बाहर के कुछ बड़े राजनेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए। दुनिया के जाने-माने लोगों के बीच इतना दबदबा रखने वाले परिवार को किसी भी तरह के प्रभाव के लिए ही आखिर एक छोटी मीडिया कंपनी की आवश्यकता क्यों होगी?

एक सूत्र का कहना है कि रिलायंस समूह काफी समय से मीडिया में दिलचस्पी लेता रहा है। उन्होंने 1990 में लॉन्च होने के 10 साल बाद बंद कर दिए गए ‘द बिजनेस ऐंड पॉलिटिकल ऑब्जर्वर’ का उदाहरण दिया। यह समूह के उन दुर्लभ व्यवसायों में से एक है जिसे रिलायंस समूह ने छोड़ दिया।

उस वक्त से ही इसका मीडिया रिकॉर्ड मिला-जुला रहा है। वितरण के क्षेत्र की बात करें तो केबल में इसने जहां हैथवे, डेन, जीटीपीएल जैसी कंपनियों का स्वामित्व अपने पास रखा है या उनमें हिस्सेदारी रखी है और इस तरह रिलायंस का इस कारोबार पर भी अच्छा नियंत्रण है। हालांकि उपभोक्ता पक्ष की बात करें तो तस्वीर धुंधली है।

नेटवर्क 18 और वायकॉम 18 के पास कलर्स, निक जैसे चैनल और मनीकंट्रोल और सीएनबीसी जैसे ब्रांड हैं। इसके ऐप, वूट ने उस श्रेणी पर अपना पूर्ण दबदबा कायम रखा जिसमें अधिकांश प्रसारकों और ओटीटी को संघर्ष करना पड़ता है, वह है बच्चों की श्रेणी। कुछ समय से अब तक, इनमें से ज्यादातर ब्रांड आरआईएल में गुम हो गए हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। रिलायंस जैसे बड़े समूह में कोई छोटा कारोबार जो समूह की बुनियाद से नहीं जुड़ा है और शानदार रिटर्न भी नहीं देता है तब भी वरिष्ठ प्रबंधनकर्ता उस पर पर्याप्त समय देते हैं और उसकी बेहतरी का प्रयास करते हैं।

शुरुआत के 1990 के दशक से लेकर 2018 में डिज्नी को बेचे जाने तक स्टार, रूपर्ट मर्डोक की कंपनी फॉक्स का एक हिस्सा था। वर्ष 1994 में भारत का पहला म्यूजिक चैनल, चैनल वी और 1998 में इसका पहला समाचार चैनल, स्टार न्यूज और वर्ष 2000 में कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) शो को लॉन्च करने से लेकर, स्टार उस बाजार के बलबूते बढ़ा है जिसे उसने खुद बनाया है। इसने प्रबंधन की सोच का स्थानीकरण किया है और इस क्षेत्र में बढ़ने के लिए आक्रामक रूप से निवेश किया है।

जब डिज्नी जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनी ने स्टार को 89 अरब डॉलर में अपना हिस्सा बना लिया तब डिज्नी की जटिल कार्यप्रणाली और अमेरिकी बाजार पर ध्यान के चलते स्टार का जादू फीका पड़ गया। जल्द ही, डिज्नी ने अपने भारतीय चैनल को बेचने के बारे में सोचना शुरू कर दिया ताकि वह पैसा जुटा सके। जब यह सौदा रिलायंस के पास आया तब अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक समूह ने अपने ‘अधूरे कारोबार’ के लिए एक अवसर देखा। इसने अब उस कारोबार में एक बड़ा दांव लगा दिया है जिसमें पहले इसकी मामूली स्थिति थी। लेकिन अब इसने यह भी सुनिश्चित कर लिया है कि वह उदय शंकर को इससे जोड़ें जो बोधि ट्री में एक निवेशक भी हैं।

स्टार इंडिया के मुख्य कार्या​धिकारी के रूप में वर्ष 2007 से 2020 तक के कार्यकाल में शंकर ने कंपनी की कमाई को 1,600 करोड़ रुपये से वर्ष 2020 में 18,000 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचा दिया। उन्होंने मनोरंजन कारोबार को इस मुकाम तक पहुंचाया कि यह पैसा बनाने वाली मशीन बन गई। उन्होंने स्टार का दायरा खेल क्षेत्र (आईपीएल, कबड्डी) और डिजिटल (2015 में हॉटस्टार) में बढ़ाया। विलय वाली इकाई के वाइस चेयरपर्सन के रूप में, वे परिचालन नहीं संभालेंगे, लेकिन यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि वह पूरी रणनीति तय करेंगे।

मर्डोक परिवार ने शंकर को काफी छूट दी थी। क्या कोई बड़ा भारतीय समूह जोखिम लेने और निवेश करने के लिए इतनी छूट दे पाएगा? एक सूत्र का कहना है, ‘अगर शंकर अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें स्वतंत्र रूप से काम करने की छूट मिलेगी और अगर वह लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहते हैं तब यह स्वतंत्रता और बढ़ती जाएगी।’ योजना यह है कि इस कंपनी को लगभग पांच वर्षों में उसके वर्तमान मूल्य से दोगुने या उससे अधिक पर सूचीबद्ध कराया जाए। शायद शुरुआत में हमने जो ‘क्यों’ पूछा था उसका जवाब तब तक मिल जाएगा।

First Published - March 24, 2024 | 9:43 PM IST

संबंधित पोस्ट