म्युचुअल फंडों की सक्रिय इक्विटी योजनाओं में जुलाई के दौरान 7,600 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश आया क्योंकि मुनाफावसूली के चलते निवेश निकासी 20 महीने के उच्चस्तर 30,400 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
इक्विटी में शुद्ध निवेश एक महीने पहले के मुकाबले 13 फीसदी कम रहा। शुद्ध निवेश को खुदरा निवेशकों की तरफ से एसआईपी के जरिए किए गए निवेश से सहारा मिला। एसआईपी के जरिये निवेश साल 2021 से लगातार बढ़ रहा है और यह पहली बार 15,000 करोड़ रुपये के पार निकल गया।
Amfi के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एनएस वेंकटेश ने कहा, म्युचअल फंडों में खुदरा निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी विभिन्न योजनाओं की श्रेणी में उत्साहजनक निवेश के तौर पर नजर आई। इस महीने का स्टार परफॉर्मर एसआईपी रहा है।
SIP के हुए कुल 6.8 करोड़ अकाउंट
एसआईपी के जरिए रिकॉर्ड निवेश महीने के दौरान 33 लाख एसआईपी पंजीकरण की पृष्ठभूमि में हुआ, जो अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है। अब एसआईपी के कुल खाते 6.8 करोड़ हो गए।
स्मॉलकैप फंड एक बार फिर निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा और इसमें कुल 4,170 करोड़ रुपये का निवेश आया जबकि कुछ फंड हाउस ने अपनी-अपनी स्मॉलकैप योजनाओं में एकमुश्त निवेश पर पाबंदी लगा दी है। पिछले महीने निफ्टी स्मॉलकैप 100 में करीब 10 फीसदी की उछाल आई थी।
लार्जकैप, फ्लेक्सीकैप में लगातार तीसरे महीने निकासी
इक्विटी फंडों की श्रेणी में दो सबसे सक्रिय लार्जकैप व फ्लेक्सीकैप में लगातार तीसरे महीने शुद्ध निकासी देखने को मिली।
निवेशकों ने पिछले तीन महीने में मुनाफावसूली की है और मासिक निवेश निकासी मई से लगातार 27,000 करोड़ रुपये से ऊपर रही है, जो इससे पिछले तीन महीने में हुई निकासी से करीब 50 फीसदी ज्यादा है। निवेशक इक्विटी योजनाओं से लगातार निकासी कर रहे हैं क्योंकि मार्च के बाद से ही बाजार में हुई उछाल का वे फायदा उठा रहे हैं। मार्च से ही बेंचमार्क निफ्टी में बढ़ोतरी दर्ज हुई है और इस अवधि में उसमें करीब 14 फीसदी की उछाल दर्ज हुई है।
निवेशकों ने जमकर की मुनाफावसूली
कोटक महिंद्रा एएमसी के बिक्री, मार्केटिंग व डिजिटल कारोबार के राष्ट्रीय प्रमुख मनीष मेहता ने कहा, इक्विटी बाजार अब तक के सर्वोच्च स्तर पर होने से निवेशकों ने मुनाफावसूली की।
बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी योजनाओं में शुद्ध निवेश में सुस्ती के कारण इस वित्त वर्ष में म्युचुअल फंडों की तरफ से इक्विटी बाजारों में कम निवेश हुआ है। पहले चार महीने में उन्होंने महज 10,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि इससे पहले की इतनी अवधि में उनका निवेश करीब 70,000 करोड़ रुपये रहा था।