देसी बाजारों में लगातार दूसरे दिन बढ़ोतरी हुई जबकि तेल उत्पादन में रोजाना 10 लाख बैरल की कटौती के सऊदी अरब के फैसले से तेल की कीमतों में मजबूती दर्ज हुई। इंडेक्स की दिग्गज रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सेंसेक्स की बढ़त में सबसे ज्यादा योगदान किया, जिसके बाद ICICI Bank व Axis Bank का स्थान रहा। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की अगुआई में वाहन क्षेत्र के शेयरों में मई की मजबूत बिक्री के दम पर बढ़ोतरी जारी रही।
बेंचमार्क सेंसेक्स 249 अंक यानी 0.4 फीसदी चढ़कर 62,787 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी ने 60 अंक यानी 0.32 फीसदी की बढ़त के साथ 18,594 पर कारोबार की समाप्ति की। 30 शेयरों वाला सेंसेक्स अब तक के सर्वोच्च बंद स्तर 63,284 से महज 497 अंक पीछे है, जो उसने 1 दिसंबर को दर्ज किया था।
जून में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी पर विराम लगाए जाने की उम्मीद के बीच वैश्विक बाजार सुस्त रहे जबकि आर्थिक आंकड़े परस्पर विरोधी संकेत दे रहे हैं।
मई में अमेरिका में गैर-कृषि पे-रोल बढ़कर 3.39 लाख पर पहुंच गया, लेकिन बेरोजगारी बढ़कर 3.7 फीसदी हो गई जबकि वेतन बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी रही।
बेरोजगारी की दरों में अप्रैल 2020 के बाद से एक महीने की सबसे बड़ी उछाल आई। इसके अलावा क्रेडिट संकट से विस्तार रुकने का खतरा पैदा हो रहा है।
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डालमा कैपिटल के CIO गेरी डुगन ने कहा, फेड के नीति निर्माताओं की बैठक 16 जून को होगी। इस बैठक में बाजार को ब्याज बढ़ोतरी की 30 फीसदी संभावना दिख रही है और यह माना जा रहा है कि फेड आगे सख्ती से पहले इस बैठक में कोई फैसला न लेने को प्राथमिकता देगा।
ब्रेंट क्रूड (Brent crude) 2.3 फीसदी चढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था जब सऊदी अरब ने आपूर्ति घटाने का फैसला लिया। सऊदी का उत्पादन मई के 1 करोड़ बैरल रोजाना से घटकर 90 लाख बैरल रोजाना रह जाएगा। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने एक बयान में ये बातें कही। इस देश ने आगे स्वैच्छिक उत्पादन कटौती की योजना बनाई है, जिसे जुलाई में लागू किया जाएगा।
तेल मार्केटिंग कंपनियों के शेयर करीब एक फीसदी टूटे जबकि तेल उत्पादक ओएनजीसी में 0.5 फीसदी की उछाल आई, वहीं RIL में 0.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
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बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात मजबूत था और 2,128 शेयर चढ़े जबकि 1,543 में गिरावट आई। सेंसेक्स के आधे शेयर चढ़े। एक्सचेंज के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 701 करोड़ रुपये के बिकवाल रहे, वहीं देसी संस्थागत निवेशकों ने 1,200 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्र ने कहा, ट्रेडरों को शेयर विशेष में ट्रेडिंग का तरीका बनाए रखना चाहिए और गिरावट का इस्तेमाल अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों की खरीद में करना चाहिए। प्रमुख क्षेत्रों के अलावा हम चुनिंदा मिडकैप व स्मॉलकैप पर नजर डाल सकते हैं और इसके लिए उन्होंने मौजूदा उम्दा प्रदर्शन का हवाला दिया।