भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 2,000 रुपये के नोट को बाजार से निकालने के फैसले से नकदी की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है और इसकी वजह से ही वित्तीय बाजार (मनी मार्केट) की दरों और बॉन्ड प्रतिफल (bond yields) में कमी आई है। इसके अलावा आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 87,716 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने का फैसला किया जिससे बाजार धारणा प्रभावित हुई।
बाजार डीलरों ने कहा कि कॉल दरों में दिन भर गिरावट के रुझान देखे गए। क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, औसत भारित कॉल दर (weighted average call rate) शुक्रवार को 6.37 प्रतिशत थी और यह घटकर 6.2 प्रतिशत पर आ गई।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य विश्लेषण समूह के निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा कि इन दो घटनाओं से अर्थव्यवस्था के नकदी स्तर में सुधार होगा और आने वाले महीने में वाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाणपत्र की ब्याज दरों में नरमी आने की उम्मीद है।
10 साल के बेंचमार्क (2033 में 7.26 फीसदी पर परिपक्व होने वाले) पर प्रतिफल सोमवार को 6.98 फीसदी के स्तर पर बंद हुआ जबकि शुक्रवार को यह 7.01 फीसदी पर बंद हुआ था। तीन साल से पांच साल के बॉन्ड पर प्रतिफल करीब सात आधार अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
एक स्वतंत्र आर्थिक शोध कंपनी, क्वांटइको ने कहा कि आरबीआई के 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने और केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 87,400 करोड़ रुपये हस्तांतरित करने से मुद्रा बाजार में नकदी की स्थिति बेहतर होगी। लाभांश हस्तांतरण से एक निश्चित प्रभाव (874 अरब रुपये) पड़ेगा, वहीं मुद्रा निकासी से 40,000 करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये तक का संभावित प्रभाव पड़ेगा।
भले ही भारत की बैंकिंग प्रणाली में नकदी की स्थिति मई महीने में लगभग 60,000 करोड़ रुपये के अधिशेष पर बनी हुई थी, लेकिन महीने के अधिकांश दिनों में एक रात में मिलने वाली दरें ऊंची रहीं क्योंकि अधिशेष का बड़ा हिस्सा कुछ बड़े बैंकों के पास था।
नकदी डालने से रुपये के सरकारी बॉन्डों में तेजी फिर से आ सकती है। पिछले सप्ताह केंद्रीय बैंक द्वारा सरकार को लाभांश भुगतान करने से व्यापारियों की उम्मीदों पर कायम न रहने के बाद सरकारी बॉन्डों ने अपनी रफ्तार खो दी थी।
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बड़े भुगतान से वित्त मंत्रालय को अपनी बॉन्ड बिक्री में कटौती करने और उधारी लागत कम करने में मदद मिल सकती है।
कारोबारियों ने कहा कि नकदी में सुधार से छोटी अवधि के बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट आ सकती है, लेकिन बहुप्रतीक्षित ओपन मार्केट बॉन्ड खरीद के साथ-साथ घरेलू नीति में ढील दिए जाने में देरी से मध्यम अवधि में दीर्घकालिक प्रतिफल बढ़ सकता है।
इससे पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का अर्थव्यवस्था पर बहुत मामूली असर पड़ेगा क्योंकि चलन में मौजूद मुद्रा में इसका हिस्सा केवल 10.8 प्रतिशत है।