साल 2025 में राइट्स इश्यू की संख्या दोगुनी होने के साथ-साथ 28 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई जबकि व्यापक बाजार में गिरावट और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के राइट्स इश्यू के ढांचे में संशोधन करने के कारण संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) में कमी आई। 2025 में 42 कंपनियों ने राइट्स इश्यू के जरिये 43,906 करोड़ रुपये जुटाए जबकि पिछले वर्ष यह संख्या 19 थी। राइट्स इश्यू की संख्या के मामले में साल 2025 वर्ष 1997 के बाद सबसे अच्छा रहा। जुटाई गई धनराशि के मामले में यह 2020 के बाद से सबसे अच्छा और डेटा उपलब्ध होने के बाद से तीसरा सबसे अच्छा वर्ष रहा।
सेबी के संशोधित ढांचे ने पूंजी की चाह रखने वाली कंपनियों के लिए राइट्स इश्यू को तेज और आकर्षक बना दिया। प्रमुख बदलावों में बोर्ड की मंजूरी की तारीख से राइट्स इश्यू को पूरा करने की समय सीमा को घटाकर 23 कार्यदिवस करना, प्रस्ताव का मसौदा दाखिल करने की आवश्यकता समाप्त करना और इश्यू के लिए मर्चेंट बैंकर नियुक्त करने की अनिवार्यता हटाना शामिल है। नए ढांचे ने अन्य उपायों के साथ-साथ प्रवर्तकों को पूर्व सूचना के साथ विशेष निवेशकों के लिए अपने अधिकार और हक छोड़ने की अनुमति भी दी है।
राइट्स इश्यू के जरिए सूचीबद्ध कंपनियां मौजूदा शेयरधारकों को नए इक्विटी शेयर जारी करके फंड जुटा सकती हैं, जिससे वे अपना स्वामित्व बरकरार रख सकें। दूसरी ओर, क्यूआईपी में भारी गिरावट आई है और यह 2024 में 95 इश्यू से घटकर 2025 में 35 रह गए। इक्विटी बाजारों, खासकर स्मॉलकैप शेयरों में आई भारी गिरावट ने क्यूआईपी जारी करना मुश्किल बना दिया है।
कंपनियों के मुनाफे में गिरावट और अमेरिका के भारत पर 50 फीसदी के दंडात्मक व्यापार शुल्क के कारण शेयर बाजार दबाव में थे। हालांकि बेंचमार्क निफ्टी और निफ्टी मिडकैप 100 ने 2025 में नए इंट्राडे उच्चतम स्तर को छुआ, लेकिन व्यापक बाजार में गिरावट कहीं अधिक तीव्र थी। इसमें बाजार पूंजीकरण के आधार पर 1,000 अग्रणी शेयरों में से 60 फीसदी ने नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया।
इक्विरस के प्रबंध निदेशक अजय गर्ग ने कहा, इस साल जिस तरह से बाजार में गिरावट आई है, ऐसे हालात में क्यूआईपी से धन जुटाना मुश्किल होता है। ज्यादातर निर्गम स्मॉल और मिडकैप सेगमेंट में हैं और इस सेगमेंट में गिरावट सबसे ज्यादा रही है। जब किसी शेयर में गिरावट आती है तो क्यूआईपी लाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि निर्गम कीमत एक निश्चित अवधि में शेयर के औसत मूल्य पर आधारित होती है। जब आप आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाते हैं तो आपको इस बात की चिंता नहीं करनी पड़ती।