भारत के हेल्थकेयर क्षेत्र में हेल्थ-टेक आईपीओ में तेजी आ रही है। जनवरी 2024 से पिछले डेढ़ साल में 12 हेल्थकेयर आईपीओ में से पांच हेल्थ-टेक कंपनियों के थे। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि हेल्थकेयर क्षेत्र में जनवरी 2024 से 12 आईपीओ आए हैं और इनका निर्गम आकार कुल 20,576 करोड़ रुपये रहा। इनमें पांच कंपनियां – एंटेरो हेल्थकेयर सॉल्युशंस, इंडिजीन, सैजिलिटी इंडिया, साई लाइफ साइंसेज, इन्वेंटरस नॉलेज सॉल्युशंस – हेल्थ टेक कंपनियां हैं जिन्होंने 11,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए। हेल्थकेयर क्षेत्र के दूसरे प्रमुख आईपीओ में एमक्योर फार्मास्युटिकल्स, एक्यूम्स ड्रग्स, डॉ. अग्रवाल हेल्थकेयर शामिल हैं।
कोविड-19 महामारी का इस क्षेत्र पर गहरा असर पड़ा था और इससे डिजिटलीकरण को रफ्तार मिली, तकनीक-सक्षम हेल्थकेयर समाधानों पर मजबूती के साथ सार्वजनिक और निजी तौर पर ध्यान दिया गया, सरकार ने सुगमता पर जोर दिया और निदान से लेकर पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट तक पूरे क्षेत्र में एआई का चलन तेजी से बढ़ गया।
एचएसबीसी इंडिया में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के वाइस चेयरमैन अमिताभ मल्होत्रा ने कहा कि बढ़ती आय, बीमा की बढ़ती पैठ, चिकित्सा ढांचे की बढ़ती मांग और भारत की लागत प्रतिस्पर्धी क्षमता का समावेश हेल्थकेयर उद्योग को वृद्धि की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में मददगार है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘भारतीय हेल्थकेयर सेवा बाजार आकर्षक वृद्धि की कहानी पेश कर रहा है, जिसे उसकी मजबूत क्षमता और मौजूदा कम पहुंच से मदद मिलेगी। स्वास्थ्य खर्च जीडीपी के 3 फीसदी के आसपास होने और 57 डॉलर के प्रति व्यक्ति खर्च (जो वैश्विक रूप से सबसे कम में शामिल है) के साथ यह क्षेत्र बदलाव के लिए तैयार है।’
प्राइमस पार्टनर्स के वाइस प्रेसिडेंट विवेक टंडन ने कहा कि भारत में हेल्थ-टेक आईपीओ ने हाल के वर्षों में महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की है, जो हेल्थकेयर के बढ़ते डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी-संचालित स्वास्थ्य समाधानों पर बढ़ते ध्यान की वजह से है और जिसे सार्वजनिक या सरकारी पहल जैसे ई-संजीवनी और निजी क्षेत्र के तकनीक-केंद्रित स्वास्थ्य समाधान, दोनों से मदद मिली है। आने वाले वर्षों में कई कंपनियां आईपीओ लाने की तैयारी कर रही हैं। इनमें क्यूबहेल्थ, विट्रया, प्रैक्टो, मेडुलेंस मुख्य रूप से शामिल हैं।
मुंबई की बी2बी हेल्थटेक-फिनटेक फर्म क्यूबहेल्थ ने वित्त वर्ष 2030-31 तक आईपीओ के लिए आवेदन जमा कराने की योजना की घोषणा की, जिसका प्रस्तावित निर्गम आकार लगभग 800 करोड़ रुपये है। क्यूबहेल्थ के मुख्य कार्याधिकारी क्रिस जॉर्ज ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2029-30 तक, जब तक हम अपने आईपीओ के लिए तैयार होंगे, तब तक हेल्थकेयर पेमेंट्स में सालाना 1,000 करोड़ रुपये प्रोसेस करेंगे, जो औसतन 70 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है।’
दिल्ली की हेल्थ-टेक कंपनी विट्रया ने कहा है कि उसने अगले 24 से 36 महीनों में अपना डीआरएचपी सौंपने की योजना बनाई है। कंपनी की 500 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की योजना है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है कि हेल्थकेयर क्षेत्र में कई सूचीबद्ध कंपनियां काफी महंगे मूल्यांकन पर कारोबार कर रही हैं जिससे आईपीओ महत्त्वपूर्ण कारक हो गया है। उन्होंने कहा, ‘इस क्षेत्र का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है, क्योंकि बढ़ती मांग से हेल्थकेयर को समर्थन मिलने की उम्मीद है। उपभोक्ता चुनौतीपूर्ण समय में भी स्वास्थ्य से जुड़े खर्चों में कटौती करने पर जोर नहीं देते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘इससे पहले, आईपीओ गतिविधियां काफी हद तक दवा कंपनियों और प्रमुख अस्पतालों पर केंद्रित थी। हालांकि अब परिदृश्य बदल रहा है और हेल्थकेयर सेवा प्रदाताओं को समर्थन देने वाले एंसिलियरी बिजनेस यानी सहायक व्यवसाय भी आईपीओ की राह पर हैं। इनमें से कई कंपनियां वृद्धि संबंधित पूंजी तलाश रही हैं और मौजूदा निवेशकों को नकदी मुहैया करा रही हैं। इस वजह से, अगले तीन वर्षों में हमें इस क्षेत्र से बड़ी तादाद में आईपीओ आने की उम्मीद दिखती है।’