facebookmetapixel
Stock Market Today: शेयर बाजार की हो सकती है पॉजिटिव शुरुआत, RBI की आज से MPC बैठकStocks to Watch Today: Tata Motors से Oil India तक, निवेश, ऑर्डर और नियुक्तियों के साथ ये कंपनियां रहेंगी फोकस मेंInd vs Pak: भारत ने जीता एशिया कप 2025, लेकिन खिलाड़ियों ने ट्रॉफी लेने से किया इनकारAsia Cup 2025: एशिया कप भारतीय क्रिकेट टीम के नाम, फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान को पांच विकेट से पटकाViasat देगी सैटेलाइट कम्युनिकेशन को नया आकार! भारत में स्टार्टअप के साथ मिनी जियोसैटेलाइट बनाने के लिए कर रही बातचीतथर्ड पार्टी दवा उत्पादन को मिलेगा दम, नए बाजारों में विस्तार को बढ़ावा मिलने की उम्मीदBS Poll: रीपो रेट में बदलाव के आसार नहीं, महंगाई पर दिखेगा जीएसटी कटौती का असर!HAL: तेजस एमके-1ए और बढ़ते ऑर्डर बुक के साथ 20% रेवेन्यू ग्रोथ और मार्जिन में सुधार की उम्मीदगायतोंडे की 1970 की पेंटिंग 67.08 करोड़ रुपये में बिकी, भारतीय कला की नई कीर्तिमान कायमPM मोदी बोले: RSS की असली ताकत त्याग, सेवा और अनुशासन में निहित, 100 वर्ष की यात्रा प्रेरणादायक

सालों से भारत की ट्रेनों की औसत रफ्तार 100 किमी/घंटे से कम क्यों? जानें

जब वंदे भारत एक्सप्रेस आई, तो लगा कि भारत तेज रफ्तार ट्रेनों के युग में कदम रख रहा है। लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं।

Last Updated- January 02, 2025 | 10:53 PM IST
Rajdhani train

1969 में जब राजधानी एक्सप्रेस ने पहली बार पटरी पर दौड़ लगाई, तो यह भारत के लिए गर्व का पल था। ट्रेन ने न सिर्फ गति का वादा किया, बल्कि यात्रियों को आराम और लक्जरी का नया अनुभव दिया। लेकिन 50 साल बाद भी, भारतीय ट्रेनों का सफर “धीमे-धीमे” ही चल रहा है।

राजधानी: सफर लंबा, रफ्तार वही

1973 में कोलकाता से दिल्ली का सफर राजधानी एक्सप्रेस ने 17 घंटे 20 मिनट में पूरा किया। अब 2025 में, समय घटकर सिर्फ 5 मिनट कम हुआ है, यानी 17 घंटे 15 मिनट। भले ही ट्रेन की अधिकतम गति 120 किमी/घंटे से बढ़कर 130 किमी/घंटे हो गई हो, लेकिन औसत गति अभी भी 84 किमी/घंटे पर अटकी है।

मुंबई-दिल्ली राजधानी ने थोड़ा बेहतर किया, 1975 के 19 घंटे 5 मिनट के सफर को 2025 में 15 घंटे 32 मिनट तक घटा लिया। लेकिन औसत गति 89 किमी/घंटे से ज्यादा नहीं बढ़ी। चेन्नई-दिल्ली राजधानी की कहानी और भी सुस्त है। 1993 में शुरू हुई इस ट्रेन का समय बढ़कर 28 घंटे 35 मिनट हो गया है।

वंदे भारत: नया जोश, लेकिन मंज़िल दूर

जब वंदे भारत एक्सप्रेस आई, तो लगा कि भारत तेज रफ्तार ट्रेनों के युग में कदम रख रहा है। लेकिन आंकड़े कुछ और ही बताते हैं:

दिल्ली-वाराणसी (759 किमी): 8 घंटे में 94.88 किमी/घंटे की औसत गति।
भोपाल-नई दिल्ली (702 किमी): औसत गति 93.6 किमी/घंटे।
विशाखापट्टनम-हैदराबाद (698 किमी): औसत गिरकर 82 किमी/घंटे।

दुनिया से मुकाबला: हमारी ट्रेनें कहां खड़ी हैं?

दुनिया की तेज रफ्तार ट्रेनों के सामने भारतीय ट्रेनें रेंगती नजर आती हैं:

जापान की शिंकान्सेन: 300-350 किमी/घंटे।
चीन की G-सीरीज: बीजिंग-शंघाई रूट (1,300 किमी) औसतन 318 किमी/घंटे।
फ्रांस की TGV: 320 किमी/घंटे।
जर्मनी की ICE: 300 किमी/घंटे।
वहीं भारत की वंदे भारत और राजधानी एक्सप्रेस 100 किमी/घंटे के आसपास ही संघर्ष कर रही हैं।

कहां अटक रही है रफ्तार?

भारत की ट्रेनों की धीमी प्रगति का कारण सिर्फ पुरानी तकनीक नहीं, बल्कि ब्यूरोक्रेसी, कम निवेश और कमजोर ट्रैक भी हैं।

पुरानी पटरियां और कमजोर सुरक्षा ढांचा: नई ट्रेनें भी अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पातीं।
विकास की कमी: 1960 के दशक में जब जापान शिंकान्सेन लॉन्च कर रहा था, भारत रेल के बुनियादी ढांचे में सुधार की कोशिश कर रहा था।
नीतिगत रुकावटें: तेज रफ्तार ट्रेनें विकसित करने के लिए भारत ने कभी पर्याप्त प्राथमिकता नहीं दी।

अब आगे क्या?

आज जब चीन और जापान की ट्रेनें आसमान छूती रफ्तार पर दौड़ रही हैं, भारत की राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत जैसे प्रयास धीमे कदमों से आगे बढ़ रहे हैं।

यह सवाल अब भी कायम है कि भारत तेज रफ्तार ट्रेनों के सपने को कब हकीकत बनाएगा। तब तक, राजधानी एक्सप्रेस भारत की विकास यात्रा की कहानी कहती रहेगी—वादों से भरी, लेकिन रफ्तार से दूर।

First Published - January 2, 2025 | 10:46 PM IST

संबंधित पोस्ट