Power crisis in Uttar Pradesh: बेतहाशा गर्मी के चलते बढ़ी मांग के बीच कई उत्पादन ठप हो जाने से उत्तर प्रदेश में बिजली संकट गहरा गया है। प्रदेश में जहां बीते चार-पांच दिनों में बिजली की प्रतिबंधित मांग 29,000 से उपर निकल चुकी है वहीं तीन उत्पादन इकाइयों के ठप होने से आपूर्ति को झटका लगा है। तीन इकाइयां बंद होने से कुल उत्पादन में 1070 मेगावाट की कमी आ गई है जिसके चलते प्रदेश में कटौती के घंटे बढ़ गए हैं।
इस समय प्रदेश में ओबरा ताप बिजली घर में एक 200 मेगावाट की इकाई, उंचाहार में 210 मेगावाट की इकाई और ललितपुर की 660 मेगावाट की इकाई में उत्पादन ठप है। इससे पहले मंगलवार तक रोजा में भी 300 मेगावाट की एक इकाई से उत्पादन बंद था जो अब चालू हो गया है।
वर्तमान में प्रदेश में 1070 मेगावाट का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बिजली की वर्तमान में अधिकतम उपलब्धता 28500 मेगावाट तक हो पा रही है जबकि मांग पीक आवर्स में 30000 मेगावाट तक पहुंच रही है। प्रदेश में बिजली आपूर्ति में आई कमी का खामियाजा ग्रामीण इलाकों को भुगतना पड़ रहा है जहां कटौती के घंटे बढ़ गए हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि बिजली संकट आता है तो सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्र की ही बिजली काटी जाती है जो गलत है। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा ब्रेकडाउन, तार टूटना, ट्रांसफार्मर जलना व केबल फॉल्ट होने का खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र ही झेलता है। ऐसे में बिजली की कमी पर भी उन्हीं के साथ कटौती का फार्मूला अपनाया जाना गलत है। इस पुरानी परिपाटी में बदलाव किया जाना चाहिए।
वर्मा ने कहा कि अगर प्रदेश में बिजली संकट है तो सभी उपभोक्ताओं को समानता के आधार उसका वहन करना चाहिए। बिजली आवश्यक सेवाओं का अंग है यदि उसकी कमी पर कटौती राजस्व के आधार पर की जाएगी तो यह गलत है। जहां से राजस्व ज्यादा आता है वहां बिजली कटौती सबसे बाद में की जाती है जहां से राजस्व काम आता है वहां पर बिजली की कटौती सबसे पहले की जाती है या फार्मूला पूरी तरह गलत है।