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त्योहारी सीजन से पहले पेंट उद्योग में बढ़ी हलचल, एशियन पेंट्स के शेयरों में उछाल, बर्जर-नेरोलैक से फिर बढ़ी उम्मीदें

बिड़ला ओपस की चमक हलकी पड़ी। इससे अनुभवी फर्मों को बाजार को फिर से रंगने का मौका मिला क्योंकि व्यवधान का डर हुआ खत्म और मांग में आया फिर से दम

Last Updated- November 09, 2025 | 9:30 PM IST
Paint Stocks

देश की सबसे बड़ी पेंट निर्माता कंपनी एशियन पेंट्स के शेयरों में पिछले हफ्ते 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। ब्रोकरेज फर्म बाज़ार की इस अग्रणी कंपनी और उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों बर्जर पेंट्स इंडिया और कंसाई नेरोलैक पेंट्स को लेकर आशावादी हो रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाली नई कंपनियों से पैदा होने वाले व्यवधान का डर अभी तक पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।

उन्हें उम्मीद है कि 2025-26 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही से मांग बढ़ने पर पुरानी कंपनियां फिर से अपनी पकड़ बना लेंगी। इससे पिछले 18 महीनों के उनके कमजोर प्रदर्शन को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। एशियन पेंट्स और नेरोलैक पिछले एक साल में क्रमशः 8 फीसदी और 12 फीसदी घटे हैं जबकि बर्जर 2.86 फीसदी की बढ़त के साथ थोड़ा धनात्मक बना हुआ है। शेयर कीमतों में गिरावट और मूल्यांकन में कटौती का कारण 2024-25 में नई कंपनियों से प्रतिस्पर्धा और कमजोर मांग की चिंताएं रही हैं।

6 नवंबर के एक नोट में नोमुरा ने एशियन पेंट्स और बर्जर को अपग्रेड करके खरीद की रेटिंग दी है। विश्लेषक मिहिर पी. शाह और रिया पाटनी ने कहा कि प्रतिद्वंद्वियों के विस्तार पर 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के बावजूद न तो मार्जिन और न ही बिक्री पर कोई असर पड़ा है और अब प्रतिस्पर्धी दबाव कम भी होना चाहिए।

हालांकि बिड़ला ओपस ने अपनी शुरुआत के बाद से किसी भी अन्य पेंट कंपनी की तुलना में तेजी से विस्तार किया और मध्यम से उच्च एकल अंक में बाजार हिस्सेदारी हासिल की। लेकिन हाल के महीनों में उसकी वृद्धि धीमी रही है। नोमुरा का कहना है कि वितरण नेटवर्क के विस्तार से होने वाले आसान लाभ अब पीछे रह गए हैं। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में बिड़ला ओपस की बिक्री में क्रमिक आधार पर गिरावट आई जो इसके छोटे आधार और भारी निवेश को देखते हुए अप्रत्याशित थी।

पेंट उद्योग में उतरने में बड़ी बाधाएं हैं। इस कारण मौजूदा कंपनियां बड़े पैमाने पर नए खिलाड़ियों से बच जाती हैं। जेएसडब्ल्यू पेंट्स और वैश्विक ब्रांडों जैसे नए खिलाड़ियों ने पहले प्रयास किए। लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। निप्पॉन पेंट ने 2006 में भारत में प्रवेश किया था। वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी शेरविन-विलियम्स भी 2006 में ही शुरू हुई थी। दसवीं सबसे बड़ी कंपनी जोटुन ने एक साल पहले भारत में प्रवेश किया था।

नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज़ का कहना है कि वितरण पहुंच, टिनटिंग मशीन प्लेसमेंट और ब्रांड की विश्वसनीयता ही इस क्षेत्र की असली ताकत हैं। 10 फीसदी मुफ्त वजन और ऊंचे डीलर मार्जिन जैसे उपभोक्ता ऑफर से बाजार हिस्सेदारी हासिल नहीं की जा सकती। ब्रोकरेज ने कहा कि कंपनियों को ब्रांड इक्विटी बनानी होगी, डीलर नेटवर्क का विस्तार करना होगा।

नुवामा के विश्लेषक अबनीश रॉय के अनुसार बिड़ला ओपस का मासिक राजस्व पिछले छह-सात महीनों से स्थिर है। प्रतिस्पर्धियों ने डीलर छूट में कटौती शुरू कर दी है क्योंकि ये मार्जिन व्यवहार्य नहीं हैं। चूंकि कंपनी 2028-29 तक लाभप्रदता का लक्ष्य रखे हुए है। लिहाजा आगे छूट और कम होती जाएगी और ऐसा होने पर डीलर अक्सर स्थापित ब्रांडों की ओर लौट जाते हैं।

प्रतिस्पर्धा को छेड़ भी दें तो निवेशक प्रमुख कंपनियों की मांग में सुधार और बिक्री वृद्धि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। एशियन पेंट्स 12 नवंबर को अपने नतीजे घोषित करेगी। बर्जर और नेरोलैक ने दूसरी तिमाही के निराशाजनक आंकड़े पेश किए हैं।

भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेकोरेटिव पेंट निर्माता कंपनी बर्जर ने सालाना आधार पर मामूली 1.9 फीसदी की राजस्व वृद्धि दर्ज की। यह अनुमान से कम है। आंध्र प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, गुजरात, पूर्वोत्तर और महाराष्ट्र सहित प्रमुख बाजारों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण बिक्री में गिरावट आई।

प्रतिकूल उत्पाद मिश्रण ने सकल मार्जिन में 15 आधार अंक की कमी की। हालांकि कच्चे तेल की नरम कीमतों से इनपुट लागत में कुछ राहत मिली। सुस्त बिक्री के कारण परिचालन मार्जिन सालाना आधार पर 320 आधार अंक गिरकर 12.5 फीसदी पर आ गया जो पिछले 5 वर्षों में सबसे कम है। त्योहारी सीजन से पहले बर्जर के विज्ञापन बढ़ाने और अपनी सेल्सफोर्स और डीलर आधार का विस्तार करने से लागत बढ़ गई।

कंपनी को वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में मध्य-एकल अंक में वृद्धि और उसके बाद वित्त वर्ष 26 की चौथी तिमाही में दो अंक में वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि प्रतिस्पर्धा कम हो रही है। नेरोलैक की राजस्व वृद्धि भी 0.4 फीसदी पर धीमी रही। उसका सकल मार्जिन सालाना आधार पर 107 आधार अंक तक बढ़ा। लेकिन उसका परिचालन लाभ मार्जिन 21 आधार अंक की गिरावट के साथ 11.3 फीसदी पर आ गया।

ऑटोमोटिव और औद्योगिक पेंट्स में स्थिर वृद्धि और तीसरी व चौथी तिमाही में शादी-ब्याह के मौसम में सजावटी सामानों की बढ़ती बिक्री से कंपनी निकट भविष्य को लेकर सतर्कता के साथ सकारात्मक बनी हुई है। उत्पाद मिश्रण और मांग में वृद्धि के साथ कंपनी को मार्जिन में 13-14 फीसदी तक सुधार की उम्मीद है।

First Published - November 9, 2025 | 9:30 PM IST

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