केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को दो महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों को मंजूरी दे दी। इनमें एक महत्त्वाकांक्षी अभियान चंद्रयान-4 चांद से जुड़ा है और दूसरा शुक्र ग्रह की खोज एवं अध्ययन से संबंधित है। चंद्रयान-4 अभियान में मानव को सफलापूर्वक चांद पर उतारने और फिर उसे सुरक्षित वापस पृथ्वी पर लाने के साथ-साथ चांद पर नमूने एकत्र करने एवं धरती पर उनके विश्लेषण के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी का विकास करना है।
दूसरी ओर, वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) चांद और मंगल ग्रह से आगे शुक्र की खोज एवं अध्ययन के लिए केंद्र सरकार के दृष्टिकोण का बहुत ही महत्त्वपूर्ण मिशन है। चंद्रयान-4 मिशन पर कुल 2104 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें अंतरिक्ष यान निर्माण और कार्यान्वयन, एलवीएम3 के दो लॉन्च व्हीकल मिशन बाहरी गहरे अंतरिक्ष की नेटवर्क सहायता प्रणाली और डिजाइन सत्यापन के लिए विशेष परीक्षण करना तथा मिशन के चांद पर लैंडिंग और नमूने एकत्रित कर सुरक्षित धरती पर वापसी से संबंधित प्रौद्योगिकी विकास पर खर्च होने वाली धनराशि शामिल है।
इसी प्रकार शुक्र ग्रह की खोज और अध्ययन से जुड़े अभियान वीनस ऑर्बिटर मिशन के लिए 1236 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इनमें से 824 करोड़ रुपये की धनराशि अंतरिक्ष यान के पूर्ण विकास पर खर्च की जाएगी। चंद्रयान-4 मिशन के तहत भारत 2040 तक मानव को चांद पर भेजेगा।
चंद्रयान के चांद पर उतरने,चांद पर नमूने एकत्र करने और उनका अध्ययन करने तथा उसके बाद मानव के सुरक्षित धरती पर लौटने से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन किया जाएगा। शुक्र अपनी पृथ्वी का सबसे करीबी ग्रह है और माना जाता है कि इसका निर्माण भी उसी प्रकार हुआ, जैसे पृथ्वी अस्तित्व में आई। इसका अध्ययन यह समझने का अच्छा मौका होगा कि इस ग्रह का वातावरण धरती से किस प्रकार अलग है।
वीनस ऑर्बिटर मिशन अंतरिक्ष विभाग द्वारा पूरा कियाजाएगा। इसमें शुक्र ग्रह की कक्षा में एक वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा, जो इस ग्रह की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और इस ग्रह के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करेगा।
मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) के विकास को मंजूरी दे दी है। यह भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन की दृष्टि और 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने के लिए क्षमता विकसित करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम होगा।