Operation Sindoor: भारतीय सशस्त्र बल किसी भी संभावित पाकिस्तानी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं जो हालात को बढ़ा सकते हैं। सैन्य अधिकारियों ने बुधवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ (Operation Sindoor) पर एक आधिकारिक ब्रीफिंग में यह बात कही। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत की ओर से पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) में आतंकी ढांचे के नौ ठिकानों पर किया गया हमला था। इस ऑपरेशन में 1971 के बाद पहली बार भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हमले किए।
भारतीय वायु सेना (IAF) की विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ ब्रीफिंग में, भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरेशी ने जानकारी दी कि ऑपरेशन सिंदूर 7 मई की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शुरू किया गया था। 1:05 बजे शुरू हुए नौ हमले 25 मिनट के भीतर पूरे कर लिए गए।
कर्नल कुरेशी ने कहा कि यह ऑपरेशन “पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने” के लिए शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि नौ आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया गया और सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।
इससे पहले, रक्षा मंत्रालय (MoD) की एक विज्ञप्ति में घोषणा की गई कि भारत ने इन लक्ष्यों पर सटीक हमले किए, जिसमें कुल नौ साइटों को निशाना बनाया गया। MoD ने कहा, “कुछ समय पहले, भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई और निर्देशित की गई थी।”
PoJK में पांच लक्ष्यों पर हमला किया गया। मुजफ्फराबाद में सवाई नाला और सैयदना बिलाल शिविर, कोटली में गुलपुर और अब्बास शिविर, और भीमबर में बरनाला शिविर। इस बीच, पाकिस्तान में चार ठिकानों पर हमला किया गया – सियालकोट में सरजल और मेहमोना जोया शिविर, मुरीदके में मरकज़ तैयबा और बहावलपुर में मरकज़ सुभान।
विंग कमांडर सिंह ने कहा कि भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में काफी संयम दिखाया है। हालांकि, भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तानी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, अगर कोई ऐसा होता है जो हालात को बढ़ा सकता है।”
विंग कमांडर सिंह ने कहा कि आतंकी शिविरों पर हमले सटीक क्षमता के माध्यम से किए गए, जिसमें “विशेष टेक्नॉलजी हथियारों” का उपयोग किया गया और वारहेड का सावधानीपूर्वक चयन किया गया जिससे कोई कोलेटरल नुकसान न हो। विंग कमांडर सिंह ने जोर देकर कहा, “हरेक टारगेट का लक्ष्य स्पेसिफिक इमारत या इमारतों का समूह था,” उन्होंने कहा कि सभी टारगेट्स को पूरी क्षमता के साथ तबाह कर दिया गया।
रक्षा मंत्रालय की सुबह की विज्ञप्ति में रेखांकित किए गए बिंदु को दोहराते हुए, विंग कमांडर सिंह ने जोर दिया: “किसी भी सैन्य ठिकानों को लक्षित नहीं किया गया।” उन्होंने कहा कि अब तक कोलेटरल नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं है।
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प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देकर भारत ने पहलगाम जैसे सीमापार हमलों पर जवाब देने, उन्हें रोकने और धता बताने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है। सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि उसका ध्यान आतंकी ढांचे को नष्ट करने और आतंकवादियों को निष्क्रिय करने पर केंद्रित है।
विक्रम मिसरी ने कहा कि 23 अप्रैल को घोषित राजनयिक उपायों के बावजूद, सरकार ने यह आवश्यक समझा कि पहलगाम हमले के अपराधियों और योजनाकारों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। विदेश सचिव ने कहा।, “पहलगाम हमले के 15 दिन बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान की ओर से अपनी धरती पर या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में आतंकवादी ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी मॉड्यूल की हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया कि भारत के खिलाफ और हमले होने वाले हैं।”
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भारत की सैन्य कार्रवाई को “measured, non-escalatory, proportionate, and responsible” बताते हुए, विदेश सचिव ने कहा, “उन्होंने आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने और भारत भेजे जाने की संभावना वाले आतंकवादियों को अक्षम करने पर ध्यान केंद्रित किया।”
पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 25 अप्रैल को जारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस बयान का उल्लेख करते हुए, विदेश सचिव ने उस बात पर प्रकाश डाला जो उसने कही थी, “आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, फाइनैंसर्स और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता है।” मिस्री ने जोर देकर कहा कि भारत की हाल की कार्रवाइयों को इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए।