मॉनसून की चाल में ठहराव आने का असर खरीफ सीजन की फसल बुआई पर भी पड़ रहा है। राज्य में मॉनसून के 15 जून के बाद ही पूरी तरह सक्रिय होने की संभावना है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने किसानों से अपील की है कि वे फसलों की बुआई की जल्दबाजी न करें। क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के राज्य में पूरी तरह सक्रिय होने में अभी थोड़ा समय लग सकता है। कुछ स्थानों पर गरज के साथ भारी बारिश की संभावना जताई गई है, इसलिए किसानों और मछुआरों से सतर्क रहने की अपील की गई है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में कृषि विभाग की हुई बैठक में वर्षा, फसल-जल की उपलब्धता, और बांधों में जल संचय की स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में कृषि विभाग के प्रधान सचिव विकास चंद्र रस्तोगी ने राज्य में फसल-जल, बोआई, उर्वरक-बीज की आपूर्ति के संबंध में बताया कि राज्य के सभी हिस्सों में 15 जून के बाद ही मॉनसून सक्रिय होने की संभावना है। अतः किसान बुआई में जल्दबाजी न करें। मॉनसून की आगे की प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण 15 जून के बाद बनने की संभावना है।
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 17 जिलों में औसत से 25 फीसदी कम वर्षा हुई है। 12 जिलों में 25-50 फीसदी, 4 जिलों में 50-75 फीसदी और 1 जिले में 100 फीसदी से अधिक वर्षा हुई है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में उर्वरक और बीज की आपूर्ति सुचारु है, और कई क्षेत्रों में पर्याप्त भंडारण उपलब्ध है।
मौसम विभाग की निदेशक शुभांगी भुते ने जानकारी दी कि आने वाले 3-4 दिनों में मॉनसून फिर से सक्रिय हो सकता है। 12 से 15 जून के दौरान कर्नाटक में और 13 से 15 जून के बीच कोकण व गोवा क्षेत्र में भारी वर्षा की संभावना है। उनके अनुसार, अगले कुछ दिनों में मॉनसून की प्रगति के लिए अनुकूल वातावरण बनने की संभावना है। मराठवाड़ा में 12 से 14 जून के बीच वर्षा की संभावना है। कोकण व गोवा में 12 से 15 जून के बीच भारी वर्षा, जबकि 13–14 जून को अति भारी वर्षा की संभावना है। मध्य महाराष्ट्र में 13 से 15 जून के दौरान भारी वर्षा हो सकती है।
इस दौरान मछुआरों से समुद्र में न जाने की अपील की गई है। गरज-चमक के समय सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। खुले मैदानों में काम न करें, बिजली गिरते समय पेड़ों के नीचे शरण न लें, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बिजली कनेक्शन काट दें, नदियों, नालों, तालाबों से तुरंत बाहर आ जाएं, बिजली प्रवाहित करने वाली वस्तुओं से दूर रहें। जलसंपदा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक कपूर ने जानकारी दी कि राज्य के सभी प्रमुख बांधों में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक जल संचय है।
महाराष्ट्र में मॉनसून समय से पहले पहुंचा और अब कमजोर पड़ गया है। मई में भारी बारिश के बाद जून में सूखा पड़ा हुआ है। मृग नक्षत्र जिसमें भारी बारिश होती है वह भी सूखा गया है और कई मौसम विशेषज्ञों की भविष्यवाणियां भी गलत साबित हुई हैं। अब इस वजह से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं। विदर्भ के नागपुर, अमरावती, अकोला, भंडारा, गोंदिया, वर्धा, चंद्रपुर और यवतमाल शहरों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया। नागपुर में भी अधिकतम तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। ऐसा लग रहा है कि राज्य में जून के महीने में गर्मी लौट रही है।