अक्टूबर महीने में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 20 में वस्तु एवं सेवा कर संग्रह में कमी आई है। वित्त वर्ष 2026 में एक महीने के दौरान कर संग्रह का यह सबसे कमजोर प्रदर्शन रहा है, जिसकी वजह जीएसटी 2.0 लागू किए जाने के बाद कारोबारियों द्वारा दरों का समायोजन है।
अक्टूबर महीने में राज्य जीएसटी संग्रह में महज 2 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि सकल जीएसटी 4.6 प्रतिशत बढ़ा है। वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मजबूत संग्रह के बाद कर की रफ्तार सुस्त हुई है। मई में वृद्धि दर 13 प्रतिशत के शीर्ष पर थी।
प्रमुख राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का जीएसटी संग्रह अक्टूबर महीने में ऋणात्मक रहा, जिनमें हिमाचल प्रदेश (-17 प्रतिशत), झारखंड (-15 प्रतिशत), उत्तराखंड (-13 प्रतिशत), आंध्र प्रदेश (-9 प्रतिशत), मध्य प्रदेश (-5 प्रतिशत), राजस्थान (-3 प्रतिशत) और दिल्ली (-1 प्रतिशत) शामि हैं। यहां तक कि कर संग्रह में बड़ी हिस्सेदारी वाले राज्यों, हरियाणा (0 प्रतिशत), महाराष्ट्र (3 प्रतिशत), तमिलनाडु (4 प्रतिशत) और गुजरात (6 प्रतिशत) का प्रदर्शन भी स्थिर रहा।
बहरहाल कर्नाटक और तेलंगाना में कर संग्रह अक्टूबर में 10 प्रतिशत बढ़ा, जहां सितंबर में संग्रह सुस्त रहा था। अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी 2.0 में कर में कमी किए जाने से ऐसा हुआ है, जो 22 सितंबर से लागू हुआ। जीएसटी संग्रह के आंकड़े पहले के महीने के होते हैं, ऐसे में अक्टूबर के आंकड़े में ज्यादातर कारोबारियों ने सितंबर में इनवाइसिंग रोक रखी थी, जिससे ग्राहकों को कम दर का लाभ मिल सके।
एक अधिकारी ने कहा, ‘सितंबर में नई दरें सिर्फ अंतिम 8 दिन लागू थीं। उसके पहले तमाम कारोबारियों ने दरों में कटौती का अनुमान लगाते हुए बिक्री रोक रखी थी।’