Maritime Infrastructure: भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन (पांच हजार अरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने में समुद्री व्यापार महत्त्वपूर्ण योगदान निभा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि समुद्री बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाए। समुद्री व्यापार और नौवहन क्षेत्र से जुड़े कारोबारी एवं सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में जिस तेजी के साथ समुद्रीय एवं तटीय बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है वह दुनिया के लिए मिसाल है और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
साढ़े सात हजार किलोमीटर से अधिक की विस्तृत तटरेखा वाले भारत का समुद्री व्यापार और नौवहन क्षेत्र उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है और यह क्षेत्र पांच ट्रिलियन (पांच हजार अरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने में बहुत योगदान देगा। हालांकि योग और निपुण नाविकों की कमी है। मुंबई में आयोजित INMEX SMM इंडिया के 13वें संस्करण में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के शिपबिल्डिंग मार्केट के साथ हरित तकनीकों के अडॉप्शन, डिजिटलीकरण एवं ऑटोमेशन के चलते यह सेक्टर 2028 तक 8.7 अरब डॉलर के आंकड़े तक पहुंच जाएगा।
INMEX SMM इंडिया की आयोजन समिति के अध्यक्ष सब्यसाची हाजरा ने कहा, फिलीपींस के बाद भारत दुनिया में प्रशिक्षित नाविकों का दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। हाजरा ने कहा कि वैश्विक समुद्री जनशक्ति के 9 प्रतिशत के मौजूदा योगदान को 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। शिपिंग परिवहन का सबसे व्यवहारिक एवं किफायती माध्यम है, जो दुनिया भर के कारोबार एवं कार्बन उत्सर्जन को कम करने में उल्लेखनीय योगदान देता है।
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय से जुड़े नौवहन महानिदेशालय के महानिदेशक श्याम जगन्नाथन ने कहा कि भारत का शिपिंग सेक्टर 9 फीसदी अनुमानित विकास दर के साथ 2047 तक 20 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी को हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हाल ही में मुख्य बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना करना, जलमार्गों का विकास, क्रूज़ यात्रियों एवं समुद्री यात्रियों का बढ़ना, सौर ऊर्जा का विस्तार तथा लाईटहाउस पर्यटन जैसी उपलब्धियां हासिल की गई हैं।
सागरमाला एवं डिजिटलीकरण जैसी पहलों के चलते इस बदलाव को गति मिल रही है। स्वच्छ सागर पोर्टल के एनवायरनमेंटल डेटा की बात करें तो स्थायित्व बेहद महत्वपूर्ण है। सेक्टर ने बंदरगाहों की क्षमता को चार गुना करने, स्वच्छ ऊर्जा ईंधन हब्स के निर्माण, क्रूज़ पर्यटन के विकास, शिपबिल्डिंग एवं रीसायक्लिंग लीडरशिप तथा 5,000 किलोमीटर के रीजनल वॉटर वे ग्रिड का दृष्टिकोण तय किया है।
इंफॉर्मा मार्केट इन इंडिया के प्रबंध निदेशक योगेश मुद्रास ने कहा कि यह क्षेत्र भारत के कारोबार मूल्य में 70 फीसदी योगदान देता है। यह विश्वस्तरीय अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होते मेरीटाईम मार्केट्स में से एक है। इस सेक्टर को सशक्त बनाने के लिए भारत को बंदरगाहों के अपग्रेडेशन, बुनियादी संरचनाओं में सुधार के लिए निवेश की आवश्यकता है ताकि इन बंदरगाहों पर बड़े जहाजों और बढ़ते कार्गो वॉल्युम को आसानी से संभाला जा सके।
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में बंदरगाह, नौवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय को 2,218.74 करोड़ रुपये का आवंटन किया है तथा ग्रीन शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए परियोजना की कुल लागत में 30 फीसदी आर्थिक सहयोग प्रदान कर रही है। इसके अलावा विश्वस्तरीय साझेदारियों के साथ भारत बंदरगाह विकास परियोजनाओं के लिए 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देता है। ऐसे में विदेशी निवेश दक्षता को बढ़ाकर, नौवहन में लगने वाले समय को कम कर इंटरनैशनल कारोबार में सुधार ला सकता है।
हैम्बर्ग मेस्से के सहयोग से इंफॉर्मा मार्केट्स इन इंडिया द्वारा आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 80 विदेशी प्रदर्शकों सहित भारत सहित दक्षिण एशिया के 250 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया। इसमें समुद्री सुविधा विकास, प्रौद्योगिकी और सूचना साझाकरण और इनोवेशन पर सेमिनार भी होंगे। प्रदर्शनी और सेमिनार में 6,000 से अधिक पंजीकृत व्यापार प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है।