दुनिया आर्टिफिशल इटेलिजेंस (एआई) की मदद से विकास के अगले दौर की ओर कदम बढ़ा रही है तो सरकार ने भी भविष्य की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार और उद्योग के सूत्रों का कहना है कि विभिन्न मंत्रालय अपने विभागों के कामकाज में एआई का इस्तेमाल कर उसे परखने की कोशिश कर रहे हैं।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एआई मिशन के तहत विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम यह पता लगाने के लिए अध्ययन कर रही है कि तमाम मंत्रालयों में एआई का इस्तेमाल कहां-कहां किया जा सकता है।’
इसका मकसद प्रक्रियाओं को सुधारकर तेज तथा इस्तेमाल में आसान बनाना और सरकार का काम का बोझ कम करना है। उदाहरण के लिए देश भर में कोयले की बिना रुकावट ढुलाई के लिए कोयला मंत्रालय ने आपूर्ति श्रृंखला के सभी भागीदारों के साथ बातचीत कर हाल ही में लॉजिस्टिक्स योजना और नीति का मसौदा तैयार किया है।
कोयला ढुलाई योजना और नीति के तहत जीवाश्म ईंधन के लिए एआई से चलने वाला समर्पित लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा, जिसमें कोयले की ढुलाई पर नजर रखने वाली सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय प्रणाली शामिल कर दी जाएंगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म में एआई और मशीन लर्निंग टूल्स होंगे। इससे हमें भविष्य की योजना बनाने के लिए डेटा तैयार करने में मदद मिलेगी। इसमें एआई और मशीन लर्निंग की मदद से आने वाले वर्षों में कोयले की आपूर्ति को बेहतर ढंग से संभाला जा सकेगा।’
इसी प्रकार दूरसंचार मंत्रालय स्पैम की बढ़ती दिक्कत को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के जरिये रोकने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल जून में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सभी दूरसंचार ऑपरेटरों को गैर-पंजीकृत स्पैम कॉल और मेसेज भेजने वालों का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एआई एवं मशीन लर्निंग वाली प्रणाली लगाने का निर्देश दिया था।
अधिकारियों ने बताया कि इनमें से एक एआई-एमएल (मशीन लर्निंग) प्रणाली के तहत ऑपरेटरों को ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके स्पैमरों का ब्योरा दूसरे ऑपरेटरों को देना होता है, जिससे एक साझा डेटाबेस तैयार हो जाता है।
दूरसंचार विभाग ने धोखाधड़ी करने वाले मोबाइल कनेक्शनों का पता लगाने के लिए दूरसंचार सिम के ग्राहकों का सत्यापन करने में एआई और फेशियल रिकग्निशन सॉल्यूशन इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
उद्योग के एक वरिष्ठ विशेषज्ञ ने कहा, ‘इसमें मंत्रालयों को एआई के इस्तेमाल की जगह चुननी होगी और पता लगाना होगा कि यह कहां कारगर है और कहां नहीं। आजमाने का यह तरीका वाकई अच्छा है क्योंकि यह काम एक ही बार में पूरी तरह नहीं होने वाला है। इसमें काम करते-करते सीखकर आगे बढ़ना होगा।’
हालांकि अभी शुरुआत है मगर कंपनी मामलों का मंत्रालय एआई की मदद से ऐसी प्रणालियां तैयार करने की कोशिश कर रहा है, जो नियम नहीं मानने वाली कंपनियों के बारे में आगाह करें और उन्हें नोटिस भी जारी कर दें।
मंत्रालय अनुपालन की तय तारीखों की सूचना देने और रिमाइंडर भेजने के लिए भी एआई तथा मशीन लर्निंग का इस्तेमाल करेगा। मगर मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया से मानवीय हस्तक्षेप बिल्कुल खत्म नहीं किया जा रहा है क्योंकि फैसले लेने के लिए दिमाग या विवेक का इस्तेमाल करना पड़ता है।
उधर कृषि मंत्रालय ने पीएम किसान सम्मान निधि योजना के बारे में किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान करने के लिए एआई से चलने वाला चैटबॉट ‘किसान ई-मित्र’ तैयार किया है। मंत्रालय फसल से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने और राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली तैयार करने के लिए भी एआई और मशीन लर्निंग मॉडल पर काम कर रहा है। कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘इस पहल से फसलें स्वस्थ होने, पैदावार बढ़ने और किसानों की आजीविका में सुधार होने की उम्मीद है।’
इसी महीने दूरसंचार विभाग ने एक नया डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म शुरू किया है। इस प्लेटफॉर्म पर बैंक, भुगतान वॉलेट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और दूरसंचार कंपनियां एआई का उपयोग कर ऐसे कनेक्शन की जानकारी साझा करती हैं, जिन पर धोखाधड़ी का संदेह होता है।
(साथ में श्रेया जय, शुभायन चक्रवर्ती और संजीव मुखर्जी)