उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायाधीशों के एक खंडपीठ ने गुरुवार को कहा कि यह 15 अप्रैल से जीन संवर्धित (जीएम) सरसों की व्यावसायिक खेती के लिए पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेगा। अदालत ने सभी पक्षों को एक हफ्ते के भीतर अपनी लिखित दलीलें देने के लिए कहा है।
खंडपीठ के न्यायाधीश अभय एस ओका, सुधांशु धूलिया और उज्जल भुइयां ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से इस मसले पर जिरह करने के लिए समय मांगा जिसके बाद इस मामले को स्थगित कर दिया गया। अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर बिना किसी बाधा के विस्तार से सुनवाई करना चाहती है और इसलिए सुनवाई की तारीखें 15 अप्रैल और 16 अप्रैल तय की गई हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 23 जुलाई, 2024 को जीएम सरसों फसल के पर्यावरणीय पहलू पर सशर्त मंजूरी देने के केंद्र के 2022 के फैसले की वैधता पर विभाजित फैसला दिया था। हालांकि, इसने सर्वसम्मति से निर्देश दिया था कि केंद्र को देश में जीएम फसलों से जुड़े शोध, खेती, व्यापार और वाणिज्य के लिए एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी होगी।
उच्चतम न्यायालय ने जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी के जीएम सरसों को बीज उत्पादन और परीक्षण के लिए पर्यावरणीय रिलीज की अनुमति देने के पहले के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। 25 अक्टूबर, 2022 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत जीईएसी ने ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड डीएमएच-11 व बारनेज, बारस्टार और बार जीन के पर्यावरणीय रिलीज को मंजूरी दी थी ताकि उनका इस्तेमाल नए हाइब्रिड तैयार करने के लिए किया जा सके। शीर्ष अदालत सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स और एनजीओ जीन कैंपेन की अलग अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।