facebookmetapixel
सरकारी सहयोग मिले, तो एरिक्सन भारत में ज्यादा निवेश को तैयार : एंड्रेस विसेंटबाजार गिरे या बढ़े – कैसे SIP देती है आपको फायदा, समझें रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का गणितजुलाई की छंटनी के बाद टीसीएस के कर्मचारियों की संख्या 6 लाख से कम हुईEditorial: ‘इंडिया मोबाइल कांग्रेस’ में छाया स्वदेशी 4जी स्टैक, डिजिटल क्रांति बनी केंद्रबिंदुबैलेंस शीट से आगे: अब बैंकों के लिए ग्राहक सेवा बनी असली कसौटीपूंजीगत व्यय में इजाफे की असल तस्वीर, आंकड़ों की पड़ताल से सामने आई नई हकीकतकफ सिरप: लापरवाही की जानलेवा खुराक का क्या है सच?माइक्रोसॉफ्ट ने भारत में पहली बार बदला संचालन और अनुपालन का ढांचादेशभर में कफ सिरप कंपनियों का ऑडिट शुरू, बच्चों की मौत के बाद CDSCO ने सभी राज्यों से सूची मांगीLG Electronics India IPO: निवेशकों ने जमकर लुटाया प्यार, मिली 4.4 लाख करोड़ रुपये की बोलियां

बिहार चुनाव से पहले सरकार ने लुटाया खजाना, ₹320 अरब की कल्याणकारी योजनाओं का हुआ ऐलान

बिहार सरकार ने कई योजनाएं शुरू कीं, जिनमें महिला रोजगार योजना के तहत 1.5 करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये देने का प्रावधान

Last Updated- October 09, 2025 | 9:36 PM IST
Nitish Kumar
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार | फाइल फोटो

बिहार चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से पहले राज्य सरकार कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने का ऐलान कर चुकी है। इनमें महिला रोजगार योजना के तहत 1.5 करोड़ महिलाओं को 10-10 हजार रुपये देने का भी प्रावधान है।

ऐक्सिस बैंक के एक शोध में अनुमान लगाया गया है कि बिहार सरकार ने सोमवार तक (चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के दिन तक) 320 अरब रुपये की चुनाव पूर्व कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया। यह रकम बिहार के वित्त वर्ष  2025-26 के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) की 2.9 प्रतिशत है।

ऐक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्रा की अगुवाई में हुए इस शोध में कहा गया है कि यह 320 अरब रुपये (जीएसडीपी का 2.9 प्रतिशत) राज्य सरकार के 3.0 प्रतिशत बजट घाटे के अलावा होगा। शोध में कहा गया है,’हालांकि हमें नहीं लगता कि यह आंकड़ा जीएसडीपी के 3 प्रतिशत से आगे निकलेगा। साल के अंत में व्यय प्रतिस्थापन की संभावना है। ‘शोध के अनुसार बिहार विधान सभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले कल्याणकारी योजनाओं पर अपने जीएसडीपी का 2.9 प्रतिशत खर्च कर रहा है जिससे यह ऐसी योजनाओं पर सर्वाधिक व्यय करने वाले राज्यों में शुमार हो गया है।

इस शोध में कहा गया है कि अन्य राज्यों में मासिक हस्तांतरण योजनाओं के उलट बिहार की कल्याणकारी योजनाओं में एकमुश्त भुगतान की बड़ी हिस्सेदारी है और यह जीएसडीपी के 0.7 प्रतिशत स्तर पर लगातार बना रहेगा। शोध में कहा गया है ‘यह तब भी ठीक है क्योंकि 1.1 करोड़ लोगों के लिए मासिक पेंशन का मतलब मासिक घरेलू खपत व्यय में 4-7 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। ‘

हालांकि, महिला रोजगार योजना के तहत 1.5 करोड़ महिलाओं को 10,000 रुपये वितरित करने का उद्देश्य कारोबारी निवेश रहा है मगर हमें लगता है कि इस एकमुश्त लाभ का उपयोग विवेकाधीन खर्च (घर की मरम्मत/फर्नीचर/रसोई उपकरण /बर्तन/इलेक्ट्रॉनिक्स) के लिए किया जाएगा।

शोध में कहा गया है, ‘यह राज्य चुनावों से पहले नकद रकम देने के चलन को और मजबूत करता है। यह रकम बड़े पैमाने पर राजस्व व्यय प्रतिस्थापन के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है।‘

First Published - October 9, 2025 | 9:36 PM IST

संबंधित पोस्ट