विदेशी मुद्रा में लेनदेन पर नया आयकर नियम 1 अक्टूबर से प्रभावी हो गया है। भारत सरकार वित्त अधिनियम, 2020 के तहत नए प्रावधान लेकर आई है, जिसके तहत किसी एक वित्त वर्ष में 7 लाख रुपये से अधिक रकम विदेश भेजने पर 5 प्रतिशत स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) लागू होगा। धारा 206सी के नए उपखंड में लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत विदेश भेजी गई रकम पर टीसीएस लगाने का प्रावधान है। ऐसी किसी रकम पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नहीं होने तक टीसीएस लगता रहेगा। विदेशी दौरे पर दो कारणों से यह नियम लागू किया गया है।
आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘नए प्रावधानों से सरकार को विदेश भेजी गई रकम पर नजर रखने में मदद मिलेगी।’ सुराणा ने कहा कि इससे कर चोरी पर भी अंकुश लगेगा। कोई कारोबारी भले ही कर दाखिल नहीं करे, लेकिन वह हरेक साल परिवार के साथ विदेश दौरे पर जरूर जाता है। सुराणा कहते हैं, ‘नए उपायों से उन लोगों पर कर का शिकंजा कसेगा, जो विदेश दौरे पर जमकर खर्च करते हैं, लेकिन कर नहीं देते हैं या विदेश दौरे पर हुए खर्च के अनुसार कर भुगतान से कन्नी काटते हैं।’
विदेश दौरा
विदेशी भ्रमण का पैकेज खरीदने के सिवाय अगर किसी अन्य मकसद के लिए विदेश में रकम खर्च होती है तो 7 लाख रुपये से अधिक रकम पर कर की गणना की जाएगी। अगर विदेश भ्रमण के पैकेज के लिए रकम खर्च की गई है तो 7 लाख रुपये की सीमा लागू नहीं होगी और कुल खर्च पर कर भुगतान करना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपना स्थायी खाता क्रमांक (पैन) का जिक्र नहीं करता है तो टीसीएस की गणना 10 प्रतिशत दर पर होगी। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेस में पार्टनर विवेक जालान कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति एलआरएस के तहत विदेश रकम भेजता है और उसी वित्त वर्ष विदेशी भ्रमण का पैकेज खरीदता है तो क्या उस स्थिति में भ्रमण के लिए विदेशी मुद्रा खरीदने पर 7 लाख रुपये की सीमा उसी में शामिल हो जाएगी? इसका जवाब है नहीं, यह सीमा उस में शामिल नहीं होगी।’
विदेश में पढ़ाई
जिन छात्रों ने विदेश में अध्ययन करने की योजना बनाई है और किसी वित्तीय संस्थान से शिक्षा ऋण लिया है तो 7 लाख रुपये से रकम अधिक होने पर उस पर 0.5 प्रतिशत टीसीएस लगेगा। हालांकि इसके लिए शर्त यह है कि विदेश भेजी जा रही रकम 80ई के तहत शिक्षा ऋण की श्रेणी में आनी चाहिए। अगर संबंधित व्यक्ति अपना पैन नहीं देता है तो टीसीएस संग्रह 5 प्रतिशत दर से होगा। राणा कहते हैं, ‘शिक्षण के उद्देश्य से छात्रों की मदद के लिए ऐसी रकम विदेश भेजने पर 0.5 प्रतिशत कर दर तय की गई है ताकि उन पर अधिक बोझ नहीं पड़े।’
अगर रकम किसी दूसरे मकसद के लिए एलआरएस के तहत भेजी जाती है तो संबंधित व्यक्ति की तरफ से पैन का जिक्र किए जाने के बाद टीसीएस 5 प्रतिशत और पैन नहीं देने की स्थिति में 10 प्रतिशत दर पर लिया जाएगा। टीसीएस का भुगतान फॉर्म 26एएस में दिखेगा और कर दाखिल करते वक्त इसका दावा किया जा सकता है। अगर कोई कर देनदारी नहीं बनती है तो रकम रिफंड के तौर पर ली जा सकती है। हॉस्टबुक्स के संस्थापक एवं चेयरमैन कपिल राणा कहते हैं, ‘लोगों को कर विवाद से बचने के लिए रकम के स्रोत के प्रमाण और यात्रा के मकसद के साथ तैयार रहना चाहिए।’