Ousted Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina (File Photo)
बांग्लादेश की वार क्राइम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले प्रोटेस्ट को दबाने के लिए क्रूर कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया। यह फैसला दशकों में किसी पूर्व बांग्लादेशी नेता के खिलाफ सबसे बड़ा कानूनी कदम माना जा रहा है और फरवरी 2026 में होने वाले संसद चुनाव से कुछ महीने पहले आया है। इससे देश में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
हसीना अदालत में मौजूद नहीं थीं क्योंकि उन्होंने अगस्त 2024 में भारत में शरण ली। अदालत ने उन्हें ह्यूमनिटी के खिलाफ अपराध के लिए जीवन कैद दी, जबकि छात्रों के प्रोटेस्ट के दौरान हुई हत्याओं के लिए मौत की सजा सुनाई। सजा सुनाने के बाद अदालत में खुशी और तालियों की आवाजें गूंजी। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में अपील किया जा सकता है, लेकिन हसीना के बेटे और सलाहकार साजिब वाजेद ने कहा कि वे तब तक अपील नहीं करेंगे जब तक कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं बनती और आवामी लीग चुनाव में भाग नहीं लेती।
ट्रायल के दौरान अभियोजकों ने अदालत को बताया कि हसीना ने जुलाई और अगस्त 2024 में छात्रों के प्रोटेस्ट को दबाने के लिए सुरक्षा बलों को गोली चलाने का आदेश दिया था। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान लगभग 1,400 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए, जो बांग्लादेश में 1971 की आज़ादी की लड़ाई के बाद सबसे बड़ी हिंसा थी। हसीना की ओर से अदालत में राज्य द्वारा नियुक्त वकील ने कहा कि आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें बरी किया जाना चाहिए।
फैसला आने से पहले देश में कम से कम 30 बम धमाके और 26 गाड़ियां जलाई गईं, लेकिन किसी के घायल होने की खबर नहीं है। हसीना ने ट्रिब्यूनल की निष्पक्षता पर सवाल उठाया और कहा कि फैसला पहले से तय था। उन्होंने इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई बताया। साथ ही यह डर जताया गया है कि आवामी लीग को चुनाव में भाग लेने से रोकने के कारण देश में चुनाव के समय नई हिंसा फैल सकती है।