उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया कि वह पाखरो टाइगर सफारी के निर्माण के दौरान कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अनधिकृत इमारतों से लेकर सड़क निर्माण और बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से हुए नुकसान की भरपाई के लिए कदम उठाए।
पिछले साल मार्च में नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर कार्रवाई करते हुए न्यायालय ने उत्तराखंड को तीन महीने के भीतर सभी गैर-अनुमोदित ढांचों को ध्वस्त करने और एक वर्ष के भीतर व्यापक अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यह फैसला टीएन गोदावर्मन मामले में न्यायालय के मार्च 2024 के आदेशों के बाद शुरू हुई कार्यवाही का हिस्सा है, जिसमें अदालत ने कॉर्बेट के अंदर गंभीर पारिस्थितिक क्षति को चिह्नित करते हुए एक स्वतंत्र मूल्यांकन, सीबीआई जांच तथा अधिकारियों की अनुशासनात्मक पहलू पर जांच करने का आदेश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति एजी मसीह और न्यायमूर्ति एएस चंदुरकर के पीठ ने वन्य जीवों की रिहायश को दुरुस्त करने, पर्यटन को विनियमित करने, टाइगर सफारी के प्रशासन तथा मानव-वन्यजीव संघर्ष की समस्या दूर करने जैसे उपायों पर विस्तृत निर्देश दिए। समिति द्वारा की सिफारिशों के अनुरूप कार्ययोजना तैयार करने के लिए मुख्य वन्यजीव वार्डन को दो महीने का समय दिया गया है।
न्यायालय ने टाइगर सफारी के बफर और फ्रिंज क्षेत्रों में आने वाली सभी परियोजनाओं में 2019 के दिशानिर्देशों का पालन करने का भी निर्देश दिया। इस फैसले में सफारी के पास ही बचाव केंद्र स्थापित करने और सफारी संचालन का समग्र नियंत्रण संबंधित टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक के अधीन रखने का भी आदेश दिया गया । पारिस्थितिक गड़बड़ी रोकने के लिए अदालत ने अधिकारियों को सफारी वाहनों की संख्या सीमित करने और हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।