बैंकिंग चैनल के जरिये ग्राहकों को गुमराह करते हुए बीमा पॉलिसी की बिक्री पर जारी चिंता के मद्देनजर बीमा पॉलिसी बेचने में सरकारी बैंकों की दिलचस्पी कम होती दिख रही है। नतीजतन बैंकिंग चैनल के जरिये सरकारी बैंकों द्वारा बेची जाने वाली जीवन बीमा पॉलिसी एक साल पहले के मुकाबले बीते वित्त वर्ष 2025 में कम हो गई। प्रोत्साहन ढांचे में आए बदलाव के कारण यह सुस्ती आई है क्योंकि अब अधिकतर सरकारी बैंकों ने अपना ध्यान मूल बैंकिंग परिचालन पर केंद्रित किया है।
इसके विपरीत, निजी क्षेत्र के बैंकों से संबद्ध जीवन बीमा कंपनियों की इसी अवधि के दौरान बैंकिंग चैनल के जरिये वृद्धि करीब दोगुना हुई है।
उद्योग के अनुमानों के मुताबिक, सरकारी बैंकों के जरिये बिकने वाली जीवन बीमा कंपनियों की पॉलिसी की वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में कम होकर 6 फीसदी रह गई और मार्च में और सुस्त होकर 2 फीसदी रह गई। वित्त वर्ष 2024 में बैंकिंग चैनल के जरिये सरकारी बैंकों के जरिये बिकने वाली पॉलिसी 7 फीसदी थी।
इसी तरह, बैंकिंग चैनल के जरिये निजी बैंकों से बिकने वाली जीवन बीमा कंपनियों की पॉलिसी की बिक्री बीते वित्त वर्ष 15 फीसदी थी मगर मार्च में इसमें सिर्फ 7 फीसदी की वृद्धि हुई। उससे एक साल पहले बैंकिंग चैनल के जरिये वृद्धि 8 फीसदी थी।
एक निजी जीवन बीमा कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बैंकिंग चैनल के जरिये बेची जाने वाली बीमा पॉलिसी कारोबार में आई सुस्ती के कारण बीमा कंपनियों की वृद्धि में मामूली कमी आई है। इसका बड़ा कारण प्रोत्साहन योजनाओं में आया बदलाव और बीमा बेचने पर बैंक कर्मचारियों को मिलने वाला स्कोर कार्ड है।’
एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘सरकारी बैंकों के पास सही मायने में बीमा पॉलिसी बेचने वाले अपने कर्मचारियों के लिए सीधे तौर पर किसी तरह की प्रोत्साहन देने की अवधारणा नहीं है। मगर पहले कुछ बैंक ऐसे थे जो अन्य प्रोत्साहनों के साथ-साथ काफी कमीशन अथवा रिवॉर्ड देते थे। अब उन्होंने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने भी बैंकों से अपने मूल परिचालन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है और हमारे ग्राहक सेवा कारोबार से अधिक बीमा है। इसके नतीजतन इसमें सुस्ती आई होगी।’
वित्त वर्ष 2025 में कुछ सरकारी बैंकों के बैंक चैनल के जरिये बीमा पॉलिसी बेचने की वृद्धि कम एक अंक में थी, जिनमें पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल थे। वहीं, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया ने दो अंकों में वृद्धि दर्ज की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और बीमा नियामक चेयरमैन देवाशिष पांडा ने भी इसके प्रति स्टेट बैंक के सम्मेलन चिंता जता चुके हैं।