भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के चेयरमैन अजय सेठ ने शुक्रवार को कहा कि बीमा क्षेत्र के लिए विनियमन बनाने के स्तर पर पॉलिसीधारकों की अपेक्षाओं को लाने के तरीके खोजने की जरूरत है। यह एक उल्लेखनीय नियामकीय खामी है, जबकि बीमा उद्योग के विचार अच्छी तरह से व्यक्त किए गए हैं।
गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस सम्मेलन में सेठ ने कहा, ‘बीमा क्षेत्र के दृष्टिकोण से एक महत्त्वपूर्ण नियामकीय खामी नियम बनाने के स्तर पर जनता की आवाज शामिल न होना है, जबकि इसमें बीमा उद्योग के विचार अच्छी तरह से लिए जाते हैं। हमें मौजूदा और संभावित दोनों पॉलिसीधारकों की अपेक्षाओं को अधिक ढांचागत और व्यापक तरीके से लाने के तरीके खोजने की जरूरत है।’
उन्होंने यह भी कहा कि बीमा क्षेत्र में एक और नियामकीय खामी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की अनियमित स्थिति की कमी है। उन्होंने बीमा क्षेत्र में एक अन्य नियामकीय खामी का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की स्थिति अनियमित है। इसके अलावा आईआरडीएआई के चेयरमैन ने कहा कि अंतर नियामकीय तालमेल की जरूरत है, जिससे कि दोहराव और खामियों से बचा जा सके और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के साथ वित्तीय व्यवस्था के विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। साथ ही वित्तीय साक्षरता और प्रबंधन के समावेशी होने की कवायद भी किए जाने की जरूरत है। जैसे जैसे वित्तीय क्षेत्र डिजिटल हो रहा है, एक सेक्टर के नियमों की वजह से नियामकीय खामियां और दोहराव की स्थिति आ सकती है और ऐसी स्थिति में एक नियामक से दूसरे नियामक के बीच तालमेल की जरूरत है।