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अक्टूबर में निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, जीएसटी दरों में कमी असर

कई राज्यों में महंगाई दर ऋणात्मक रही है, जिनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

Last Updated- November 13, 2025 | 9:38 AM IST
Retail Inflation

केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर 2025 में खुदरा महंगाई 0.25 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई। इसकी वजह भारी खपत वाली करीब 380 वस्तुओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दर में कमी है। साथ ही इस माह के दौरान सब्जियों, फलों और अंडों की कीमत भी कम रही है।

सितंबर 2025 की तुलना में अक्टूबर 2025 में समग्र महंगाई दर में 119 अंक की कमी आई है। यह मौजूदा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) श्रृंखला (आधार वर्ष 2012) में सबसे कम सालाना महंगाई दर है, जिसमें जनवरी 2014 के बाद के आंकड़े शामिल हैं।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा महंगाई दर सितंबर 2025 में 1.44 प्रतिशत और अक्टूबर 2024 में 6.21 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य महंगाई दर अक्टूबर में सालाना आधार पर 5.02 प्रतिशत कम हुई है।

एनएसओ ने कहा कि समग्र महंगाई दर और खाद्य महंगाई दर में अक्टूबर 2025 के दौरान गिरावट की प्रमुख वजह जीएसटी के पूरे महीने का असर, अनुकूल आधार और तेल व घी, सब्जियों, फलों, अंडों, फुटवीयर, मोटे अनाज और इसके उत्पादों, परिवहन और संचार की कीमतों में गिरावट है।

भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति में प्रमुख रूप से खुदरा महंगाई दर का ध्यान रखता है। रिजर्व बैंक के लिए 4 प्रतिशत महंगाई दर सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है, जिसमें 2 प्रतिशत घटबढ़ हो सकती है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती 22 सितंबर से लागू हुई थी। एनएसओ के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर ऋणात्मक क्षेत्र में 0.25 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 0.88 प्रतिशत रही है। सबसे अधिक महंगाई दर केरल में (8.56 प्रतिशत) रही। उसके बाद जम्मू कश्मीर (2.95 प्रतिशत), कर्नाटक (2.34 प्रतिशत), पंजाब (1.81 प्रतिशत) और तमिलनाडु (1.29 प्रतिशत) रही है।

कई राज्यों में महंगाई दर ऋणात्मक रही है, जिनमें असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से और कम कर सकती है, क्योंकि खाद्य कीमतों में क्रमिक नरमी के साथ-साथ सीपीआई बास्केट में कई वस्तुओं पर जीएसटी दर घटने की वजह से कीमतें कम रह सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘अगर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से ऊपर नहीं जाते हैं तो अक्टूबर 2025 के नीतिगत दस्तावेज में नरम रुख के साथ महंगाई दर कम रहने से दिसंबर 2025 की नीतिगत समीक्षा में रीपो दर में 25 आधार अंक की गुंजाइश को समर्थन मिल रहा है। ’केयरएज रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि जीएसटी की दरों को युक्तियुक्त बनाए जाने के बाद उसे सितंबर के आखिर में लागू किया गया व उसका सकारात्मक असर अक्टूबर में कम महंगाई दर के रूप में सामने आया है।

First Published - November 13, 2025 | 9:38 AM IST

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