सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने बजट पूर्व बैठक में केंद्र सरकार से ऋणों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत करने के नियम को संशोधित करने का आग्रह किया है। भुगतान चक्र की लंबी अवधि और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के मद्देनजर एनपीए मान्यता की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने की गुजारिश भी की गई है।
एमएसएमई के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बुधवार को बजट-पूर्व बैठक की। इसमें निजी कंपनियों को सीमित देयता भागीदारी (एलपीए) में कर-मुक्त रूपांतरित करने की सीमा बढ़ाने की मांग की। अभी 60 लाख रुपये टर्नओवर या 5 करोड़ की संपत्ति की सीमा है जो 2009 में निर्धारित की गई थी। प्रतिनिधि चाहते हैं कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम के अनुरूप टर्नओवर और संपत्ति दोनों के लिए इसे बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये किया जाए। उन्होंने ऐसे कर-मुक्त रूपांतरणों के लिए एकमुश्त माफी का भी प्रस्ताव रखा है।
छोटी और बढ़ती कंपनियों के लिए, प्रतिनिधियों ने 1,000 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली फर्मों के लिए लाभांश कर हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट आयकर और लाभांश कर का संयुक्त बोझ उद्यमियों को अपना व्यवसाय शामिल करने से हतोत्साहित करता है।
इन प्रतिनिधियों ने छोटे और बढ़ते व्यवसायों के लिए लगभग 1,000 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली फर्मों के लिए लाभांश कर को हटाने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट इनकम टैक्स और लाभांश कर का संयुक्त बोझ उद्यमियों को अपने व्यवसायों को शामिल करने से हतोत्साहित करता है। एमएसएमई ने जीएसटी 2.0 के तहत स्लैब के विलय के बाद इंवर्टिड ड्यूटी ढांचे की समस्याओं की ओर इशारा किया है। जीएसटी के कुछ मामलों में इनपुट पर 18 प्रतिशत कर लगता है जबकि अंतिम वस्तुओं पर 5 प्रतिशत कर लगता है। इससे कार्यशील पूंजी फंस जाती है।
उन्होंने ऐसे मामलों में उपयोग किए जाने वाले इनपुट पर 8 प्रतिशत रियायती जीएसटी दर और स्वचालित, समयबद्ध जीएसटी रिफंड का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने प्लांट और मशीनरी की खरीद पर जीएसटी रिफंड की अनुमति देने का भी सुझाव दिया। अभी निर्माता पूंजीगत वस्तुओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट रिफंड का दावा नहीं कर सकते हैं, जिससे नए उपकरणों की अग्रिम लागत बढ़ जाती है।
एमएसएमई ने विनिर्माण और निर्यात के मामले में इनपुट और इंटरमीडिएट वस्तुओं पर गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (क्यूसीओ) की बढ़ती संख्या के बारे में चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इससे उत्पादन और निर्यात बाधित हुआ है। इस क्षेत्र ने जहां घरेलू क्षमता अपर्याप्त है, वहां स्व-प्रमाणीकरण प्रणाली या बंदरगाहों पर सत्यापन, और क्यूसीओ को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया है
उन्होंने क्लस्टरों में प्रौद्योगिकी अंतराल की पहचान करने और उन्हें पाटने के लिए एमएसएमई के लिए एक प्रौद्योगिकी मिशन शुरू करने का भी सुझाव दिया है। इस क्रम में अन्य प्रस्ताव एमएसएमई निर्यात का समर्थन करने के लिए निजी ट्रेडिंग हाउसों को बढ़ावा देना है, जो मित्सुई और कारगिल जैसी वैश्विक ट्रेडिंग कंपनियों के समान हैं। एमएसएमई ने कारोबारी सुगमता के लिए भी अनुरोध किया है। इस क्रम में अनिवार्य कर लेखा परीक्षा सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये करने का अनुरोध किया गया है।