वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि वह भारत की निजी क्षेत्र के ऋणदाता इंडसइंड बैंक में नेतृत्व परिवर्तन के साथ-साथ जोखिम प्रबंधन की समीक्षा कर रही है, जो डेरिवेटिव लेनदेन के लिए लेखांकन में खामियों से जूझ रहा है। मूडीज की सहायक प्रबंध निदेशक अलका अनबरसु ने कहा, इंडसइंड बैंक की मजबूत पूंजी को देखते हुए डेरिवेटिव घाटे का वित्तीय प्रभाव काफी हद तक प्रबंधनीय है। लेकिन यह वास्तव में बैंक की जोखिम प्रबंधन क्षमता है, जिस पर हम समीक्षा के संदर्भ में नजर रख रहे हैं।
स्टॉक एक्सचेंजों को हाल ही में दी जानकारी में इंडसइंड बैंक ने कहा है कि उसे बाहरी एजेंसी से रिपोर्ट मिली है, जिसमें डेरिवेटिव सौदों से संबंधित विसंगतियों की पहचान की गई है। रिपोर्ट में 30 जून 2024 तक उपरोक्त के नकारात्मक प्रभाव को 1,979 करोड़ रुपये आंका गया है। मार्च 2025 में मूडीज ने डेरिवेटिव लेनदेन के लिए लेखांकन में अपर्याप्त आंतरिक नियंत्रण के बारे में बैंक के खुलासे की पृष्ठभूमि के बाद डाउनग्रेड के लिए बेसलाइन क्रेडिट असेसमेंट (बीसीए) की समीक्षा की। इंडसइंड की दीर्घकालिक रेटिंग पर दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है। अभी लंबी अवधि की विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा वाली बैंक जमा के लिए रेटिंग बीए1 है।
एक अन्य निजी ऋणदाता येस बैंक का जिक्र करते हुए मूडीज की अनबरसु ने कहा कि बैंक ने अपने खातों को साफ-सुथरा कर लिया है, लेकिन भारत में निजी क्षेत्र के ऋणदाता के समकक्षों की तुलना में इसकी लाभप्रदता कम है। लाभप्रदता पर नज़र रखी जा सकती है क्योंकि यह बैंक की बाहरी पूंजी जुटाने की क्षमता से जुड़ी हुई है। येस बैंक का परिसंपत्ति पर रिटर्न (आरओए) लगभग 70 आधार अंक था। जबकि तुलनायोग्य निजी बैंकों का आरओए 1.5 फीसदी से अधिक है।
कुछ साल पहले हुए डिफॉल्ट के बाद येस बैंक का पुनर्वास किया गया है और नए शेयरधारक इसमें शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा, हम देख रहे हैं कि पुरानी विरासत की सफाई का काम भी काफी हद तक हो गया है। जुलाई 2024 में मूडीज ने येस बैंक के जमाकर्ता आधार और ऋण देने की फ्रैंचाइजी में क्रमिक सुधार की उम्मीद पर अपने दृष्टिकोण को स्थिर से सकारात्मक में संशोधित किया था। इसने दीर्घकालिक विदेशी मुद्रा और स्थानीय मुद्रा में बैंक जमा पर बीए 3 रेटिंग की पुष्टि की थी।
भारत की बैंकिंग प्रणाली के लिए मूडीज का दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है। उसे उम्मीद है कि भारत में बैंकों के लिए अनुकूल परिचालन वातावरण बनेगा, जो सरकारी पूंजीगत व्यय, मध्यम आय वर्ग के लिए कर कटौती और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक ढील से प्रेरित होगा।