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विधानसभा चुनाव: चार राज्यों में प्रधानमंत्री ने की करीब 40 सभाएं, मिजोरम में एक भी नहीं

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में मतदान संपन्न हो चुका है।

Last Updated- November 28, 2023 | 6:50 PM IST
PM Modi

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के आखिरी दौर में 40 के करीब चुनावी सभाओं को संबोधित किया और कुछ रोड शो भी किए। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक उन्होंने 14 चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया जबकि मिजोरम में वह किसी भी चुनावी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए।

पिछले महीने नौ अक्टूबर को पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया गया था। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में मतदान संपन्न हो चुका है। तेलंगाना में 30 दिसंबर को मतदान होना है, जहां मंगलवार की शाम चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। तीन दिसंबर को पांचों राज्यों में मतगणना के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि किस राज्य में किसकी सरकार बनेगी और कहां किसका जादू चला।

चुनावों की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री ने पहली रैली छत्तीसगढ़ में की थी। इसके बाद उन्होंने दुर्ग, विश्रामपुर, मुंगेली और महासमुंद में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के साथ ही वहां के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा और भ्रष्टाचार एवं कांग्रेस के ‘कुशासन’ को मुद्दा बनाया।

कांकेर की जनसभा को संबोधित करने के बाद प्रधानमंत्री ने राज्य के लोगों के नाम एक खुला पत्र भी ‘एक्स’ पर साझा करते हुए भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। उनके पत्र में लिखा था, ‘‘भाजपा ने ही बनाया, भाजपा ही संवारेगी।’’

कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ की 90 में से 20 सीटों के लिए सात नवंबर को पहले चरण का मतदान हुआ था जबकि 17 नवंबर को 70 सीटों के लिए दूसरे एवं अंतिम चरण का मतदान संपन्न हुआ था। पहले चरण में जहां 78 प्रतिशत मतदान हुआ वहीं दूसरे चरण में 75.08 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। पिछले चुनाव में कांग्रेस को राज्य में 68 सीट मिली थीं तथा भाजपा 15 सीट पर सिमट गई थी। उस चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को पांच और बसपा को दो सीट मिली थी।

कांग्रेस के पास फिलहाल 71 विधायक हैं। मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री ने कुल 14 जनसभाओं को संबोधित किया और इंदौर में एक रोड शो किया। इस राज्य में उनकी पहली रैली रतलाम में हुई। उन्होंने सिवनी, खंडवा, सीधी, दमोह, गुना, मुरैना, सतना, छतरपुर, नीमच, बड़वानी, बेतुल, शाजापुर और झाबुआ में चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर राज्य के लगभग सभी हिस्सों तक पहुंचने की कोशिश की।

मध्य प्रदेश में प्रधानमंत्री का पूरा जोर ‘डबल इंजन’ की सरकार और राज्य के विकास के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता पर रहा। मध्य प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 114 जबकि भाजपा ने 109 सीटें जाती थीं। शेष सीटें बसपा, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास चली गईं। चुनाव परिणाम के बाद कमल नाथ के नेतृत्व में बसपा, सपा और निर्दलीयों की मदद से सरकार बनी थी।

हालांकि, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके करीबी विधायकों के विद्रोह के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई, जिससे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की वापसी का रास्ता साफ हो गया। इस बार मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसदों और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव मैदान में उतारकर दर्शा दिया था कि वह बेहद गंभीरता से चुनाव लड़ रही है।

हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में शिवराज सिंह चौहान को आगे नहीं बढ़ाया गया। इसके उलट, कांग्रेस ने कमल नाथ के चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ा है। मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ था। कांग्रेस शासित राजस्थान में प्रधानमंत्री ने कुल 12 जनसभाओं को संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने अपराध और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाना बनाया।

प्रधानमंत्री ने चुनावी सभाओं के अंतिम दौर में उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड और दिवंगत नेता राजेश पायलट के साथ कांग्रेस के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व द्वारा किए गए व्यवहार को जोरशोर से उठाया। राजस्थान में हर पांच साल बाद सरकार बदल जाती है। गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस ने जहां इस रिवाज को बदलने के लिए पूरा दमखम लगा दिया वहीं भाजपा ने मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले राज्य की सत्ता में वापसी करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

प्रधानमंत्री ने जयपुर और बीकानेर में दो रोड शो भी किए। राज्य की 200 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ। तेलंगाना में प्रधानमंत्री ने कुल आठ चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया और हैदराबाद में एक रोड शो किया। तेलंगाना में सीधी लड़ाई तो मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति और कांग्रेस के बीच है लेकिन भाजपा भी एक मजबूत ताकत के रूप में उभरने के लिए मजबूती से चुनाव लड़ रही है। यहां के चुनाव में प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री केसीआर के साथ कांग्रेस पर हमला बोला और राज्य में ‘डबल इंजन’ की सरकार की वकालत की।

केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार को प्रधानमंत्री अक्सर ‘डबल इंजन’ सरकार कहते हैं। तेलंगाना की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 30 नवंबर को मतदान होना है। मिजोरम की 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए सात नवंबर को मतदान संपन्न हो गया था। पूर्वोत्तर के इस राज्य में प्रधानमंत्री ने कोई चुनावी रैली नहीं की और ना कोई रोड या अन्य कार्यक्रम किया। मिजोरम में सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट और प्रमुख विपक्षी पार्टी जोराम पीपुल्स मूवमेंट के बीच मुकाबला है।

कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर, वहीं भाजपा ने 23 और आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों के इन विधानसभा चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर भी देखा जा रहा है।

चूंकि इन पांच में चार बड़े राज्य हैं और यहां लोकसभा की कुल 83 सीटें हैं, इसलिए इसकी महत्ता बढ़ जाती है। हालांकि साल 2018 में जब इन पांच राज्यों में चुनाव हुए थे तब कांग्रेस ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में जीत दर्ज की थी, तेलंगाना में बीआरएस और मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार बनी थी जबकि लोकसभा चुनाव में इन राज्यों की अधिकांश सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

First Published - November 28, 2023 | 6:50 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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