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In Parliament: 18वीं लोकसभा के पाँचवें सत्र का समापन, लोकसभा स्पीकर ने कार्यवाही में व्यवधान पर जताई चिंता

इस दौरान कुल 14 सरकारी विधेयक पुर:स्थापित किए गए, जिनमें से 12 विधेयक पारित किए गए। 120 घंटे चर्चा करने का लक्ष्य था, लेकिन केवल 37 घंटे ही काम हो पाया।

Last Updated- August 21, 2025 | 3:39 PM IST

18वीं लोकसभा के पाँचवें सत्र का समापन हो गया है। यह सत्र 21 जुलाई 2025 को आरंभ हुआ था और इसमें देश के महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा हुई। इस दौरान कुल 14 सरकारी विधेयक पुर:स्थापित किए गए, जिनमें से 12 विधेयक पारित किए गए। सत्र के दौरान 28 और 29 जुलाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा हुई, जिसका समापन प्रधानमंत्री के उत्तर के साथ हुआ। वहीं, 18 अगस्त को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी विशेष चर्चा आरंभ की गई।

हालांकि, इस सत्र में 419 तारांकित प्रश्न कार्यसूची में शामिल थे, लेकिन लगातार नियोजित व्यवधान के कारण केवल 55 प्रश्नों के ही मौखिक उत्तर लिए जा सके। सदन में 120 घंटे चर्चा करने का लक्ष्य था, लेकिन केवल 37 घंटे ही काम हो पाया। इस बात पर सदन की गरिमा और कार्यप्रणाली को लेकर चिंता जताई गई।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि संसद में नारेबाज़ी, तख्तियां दिखाना और व्यवधान लोकतांत्रिक मर्यादा के खिलाफ है और इससे संसद की गरिमा को ठेस पहुँचती है। उन्होने कहा, ‘जनप्रतिनिधि के रूप में हमारे आचरण और कार्यप्रणाली को पूरा देश देखता है। जनता की हमसे बड़ी उम्मीद रहती है कि हम उनकी समस्याओं और व्यापक जनहित के मुद्दों पर, महत्वपूर्ण विधेयकों पर, संसद की मर्यादा के अनुरूप गंभीर और सार्थक चर्चा करें। लोकसभा अथवा संसद परिसर में नारेबाज़ी करना, तख्तियां दिखाना और नियोजित गतिरोध संसदीय मर्यादा को आहत करता है।’

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लोकसभा स्पीकर ने मॉनसून सत्र के समापन पर सांसदों को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस सत्र में जिस प्रकार की भाषा और आचरण देखा गया, वह संसद की गरिमा के अनुकूल नहीं है। हम सभी का दायित्व है कि हम सदन में स्वस्थ परंपराओं के निर्माण में सहयोग करें। इस गरिमामयी सदन में हमें नारेबाज़ी और व्यवधान से बचते हुए गंभीर और सार्थक चर्चा को आगे बढ़ाना चाहिए। संसद सदस्य के रुप में हमें अपने कार्य और व्यवहार से देश और दुनिया के समक्ष एक आदर्श स्थापित करना चाहिए। सदन और संसद परिसर में हमारी भाषा सदैव संयमित और मर्यादित होनी चाहिए।’

लोकसभा स्पीकर ने सभी सदस्यों से अपील की कि वे स्वस्थ परंपराओं के निर्माण में सहयोग करें और गंभीर तथा सार्थक चर्चा को प्राथमिकता दें। साथ ही, सदन में सहमति और असहमति दोनों को लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया बताया गया, लेकिन सभी दलों से आग्रह किया गया कि वे सदन की गरिमा, मर्यादा और शालीनता बनाए रखें। उन्होंने कहा, ‘सहमति और असहमति होना लोकतंत्र की स्वाभाविक प्रक्रिया है, किंतु हमारा सामूहिक प्रयास होना चाहिए कि सदन गरिमा, मर्यादा और शालीनता के साथ चले। हमें विचार करना होगा कि हम देश के नागरिकों को देश की सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था के माध्यम से क्या संदेश दे रहे हैं। मुझे विश्वास है कि इस विषय पर सभी राजनीतिक दल और माननीय सदस्य गंभीर विचार और आत्म-मंथन करेंगे।’

(लोकसभा सचिवालय इनपुट के साथ)

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First Published - August 21, 2025 | 2:11 PM IST

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