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In Parliament: संसदीय समिति का सुझाव, निवेश दर को 31% से बढ़ाकर 35% करना आवश्यक

समिति ने यह भी आगाह किया कि इसके चलते करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) में वृद्धि हो सकती है, जो वर्तमान वैश्विक हालात में एक चुनौती है।

Last Updated- August 19, 2025 | 7:34 PM IST

संसद की वित्त पर स्थायी समिति (Standing Committee on Finance) ने मंगलवार को केंद्र सरकार को सलाह दी है कि भारत की आर्थिक विकास दर को 8% तक बनाए रखने के लिए निवेश दर (Investment Rate) को मौजूदा 31% से बढ़ाकर 35% करना आवश्यक है। भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि अगले 10 वर्षों तक लगातार 8% की आर्थिक वृद्धि हासिल करने के लिए उच्च निवेश दर और दूरदर्शी नीतियों की आवश्यकता है। हालांकि समिति ने यह भी आगाह किया कि इसके चलते करंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) में वृद्धि हो सकती है, जो वर्तमान वैश्विक हालात में एक चुनौती है। इसलिए समिति ने घरेलू नेतृत्व वाली वृद्धि (Domestic-led Growth) को प्राथमिकता देने पर ज़ोर दिया और इसके लिए डि-रेगुलेशन (नियमन में ढील) को अत्यावश्यक बताया।

समिति ने ऊर्जा क्षेत्र में लंबी अवधि की, विकासोन्मुख और स्थायी नीतियों की वकालत की है। समिति ने कहा कि ऐसी नीतियां उपलब्धता, दक्षता और किफायती दरों को प्राथमिकता दें, साथ ही जलवायु प्रतिबद्धताओं और आर्थिक-सामाजिक लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाए रखें। इसके साथ ही, समिति ने पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं (Pumped Storage Projects – PSPs) के विकास में तेजी लाने की सिफारिश की, जिन्हें ऊर्जा सुरक्षा और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए अहम माना गया है।

समिति ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कार्यरत डि-रेगुलेशन टास्क फोर्स की सराहना करते हुए कहा कि सहकारी संघवाद (Cooperative Federalism) का यह मॉडल भूमि, श्रम, पूंजी और नियमन से जुड़े सुधारों के लिए राज्यों के साथ संवाद को प्रोत्साहित करता है। इससे व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business) बढ़ेगी और निवेशक अनुकूल माहौल तैयार होगा।

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समिति ने उन राज्यों के लिए विशेष वित्तीय सुधारों की सिफारिश की है जो अत्यधिक कर्ज में डूबे हैं, ताकि वे बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास में निवेश जारी रख सकें। समिति ने कहा कि भारत के कृषि क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जो समावेशी आर्थिक विकास का आधार बन सकती हैं। इसके लिए समिति ने दोहरी रणनीति का सुझाव दिया:

1. तात्कालिक उपाय:

  • बफर स्टॉक बनाए रखना
  • बाजार आपूर्ति का नियमन
  • प्रमुख खाद्य पदार्थों पर सब्सिडी देना

2. दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधार:

  • भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण
  • एग्री-स्टैक (Agri-Stack) का कार्यान्वयन, जिससे कृषि उत्पादों को बैंकिंग और क्रेडिट सिस्टम से जोड़ा जा सके
  • फसल ऋणों का पारदर्शी और समयबद्ध वितरण सुनिश्चित हो सके

समिति ने स्थानीय युवाओं को डेटा संग्रह में प्रशिक्षित करने की बात कही, जिससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।

कृषि में नवाचार और निजी क्षेत्र की भागीदारी

  • विविध फसल उत्पादन को बढ़ावा
  • आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) का सुदृढ़ीकरण
  • एग्री-टेक इनोवेशन में निजी निवेश को प्रोत्साहन

समिति ने कहा कि इन उपायों से मूल्य स्थिरता, किसानों की आय में वृद्धि और कृषि को विकास का इंजन बनाने में मदद मिलेगी। समिति ने कहा कि वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद और भू-राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति भारत के लिए एक अवसर है। इस स्थिति का लाभ उठाते हुए ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत के साथ आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में बढ़ा जा सकता है।

समिति ने कहा कि सरकार को राजकोषीय अनुशासन बनाए रखना चाहिए और खर्च की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए, विशेषकर पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) पर। साथ ही, समिति ने कहा कि सकारात्मक कॉरपोरेट आय के बावजूद, मानव संसाधन में निवेश, जैसे उच्च वेतन, री-स्किलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सहायता, उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनिवार्य हैं।

डिजिटल इंडिया और AI आधारित नीति निर्माण

  • समिति ने एक देशी, सरकारी स्वामित्व वाले AI सर्वर की स्थापना की सिफारिश की है, जिससे डेटा गोपनीयता बनी रहे और नीति निर्माण अधिक प्रभावी हो सके। 
  • समिति ने AI और डेटा को शासन का अभिन्न हिस्सा बताया। 

समिति का निष्कर्ष है कि भारत को केवल 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि लक्ष्य दीर्घकालिक, समावेशी और लचीली विकास रणनीति होना चाहिए।

इसके लिए समिति ने निम्नलिखित रणनीतियां सुझाई:

  • सरकारी वित्त को सुदृढ़ करना 
  • नवाचार और कौशल विकास को बढ़ावा
  • ग्रामीण व शहरी बुनियादी ढांचे में निवेश 
  • MSME और महिला उद्यमियों को समर्थन
  • मूल्य स्थिरता और ऊर्जा संतुलन बनाए रखना

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First Published - August 19, 2025 | 7:33 PM IST

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