नियामकीय ऊहापोह के बावजूद भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते क्रिप्टोकरेंसी बाजार के रूप में उभरा है। इसने दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल ऐसेट एक्सचेंज बाइनैंस का ध्यान अपनी ओर खींचा है। बाइनैंस के एशिया-प्रशांत प्रमुख एसबी शेखर ने इंडिया ब्लॉक चेन वीक कॉन्फ्रेंस के दौरान पीरजादा अबरार के साथ बातचीत में कहा कि 80 फीसदी से अधिक मोबाइल और इंटरनेट पहुंच, महानगरों से लेकर कस्बाइ इलाकों तक में एकसमान स्वीकार्यता और डिजिटल रूप से दक्ष युवा आबादी के साथ भारत बाइनैंस के लिए सरताज है। मुख्य अंशः
भारत का क्रिप्टो नियामक ढांचा अब भी अस्पष्ट है। बाइनैंस को भारतीय नियामकों से किस तरह के खास नीतिगत स्पष्टता की अपेक्षा है? क्या आप किसी संभावित ढांचे पर वित्त मंत्रालय या भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहे हैं?
ऐसा है कि कर नियामक समीकरण का एक हिस्सा है, लेकिन यह सब कुछ नहीं है, है ना? हम लगातार विभिन्न मुद्दों पर नियामकों के संपर्क में रहते हैं। मैं कहूंगा कि इस समय भारत में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लाइसेंसिंग ढांचे का अंतिम स्वरूप कैसा होगा, इसपर स्पष्टता नहीं है। अभी हम धन शोधनरोधी (एएमएल) पंजीकरण मॉडल पर काम कर रहे हैं और जी-20 देशों में यह एकमात्र बड़ा देश बचा है जिसने पूर्ण लाइसेंसिंग मॉडल को नहीं अपनाया है। ऑस्ट्रेलिया भी इसी श्रेणी में था मगर अब वह भी पूर्ण लाइसेंसिंग मॉडल की ओर बढ़ गया है।
एक पूर्ण लाइसेंसिंग मॉडल यह स्पष्ट करेगा कि ऑर्डर बुक, क्लियरिंग, निपटान और कस्टडी को कैसे विनियमित किया जाता है। इसके अलावा उत्पादों पर भी कोई स्पष्टता नहीं है। हां, हम इस मुद्दे पर समय-समय पर नियामकों के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि भारत अपना रास्ता खुद चुनेगा और उसकी अपनी रणनीतिक प्राथमिकताएं हैं।
2023 में नियामकीय जांच के बीच बाइनैंस को भारत में चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। सरकार के बदलते रुख और क्रिप्टो में बढ़ती खुदरा रुचि को देखते हुए अब भारतीय बाजार में आने के लिए आपकी क्या रणनीति है?
पिछले साल 2024 में हम वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) बन गए। एक विदेशी इकाई के रूप में पंजीकृत, जो एक स्वीकार्य मार्ग है और यह मूल रूप से एकमात्र नियामक टचपॉइंट है जो किसी भी कंपनी के पास इस क्षेत्र में हो सकता है। इसलिए हम उस मोर्चे पर पूरी तरह से अनुपालन करते हैं।
हम स्पष्ट रूप से एफआईयू के सभी अनुरोधों और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं और इसके अलावा, भारत में किसी व्यवसाय के संचालन का क्या अर्थ है? फिर से, स्पष्टता का अभाव है, लेकिन इसका अर्थ यह है कि जब तक आप उन आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं और कानून-प्रवर्तन आवश्यकताओं और डेटा अनुरोधों को पूरा कर रहे हैं – तब तक आपको बाजार में काम करने की अनुमति है।
नियामक चुनौतियों के बावजूद भारत पिछले चार वर्षों से वैश्विक स्तर पर स्पॉट, फ्यूचर और डेफी (विकेंद्रीकृत वित्त) में सबसे तेजी से बढ़ने वाला डिजिटल ऐसेट बाजार रहा है। महानगरों से लेकर छोटे शहरों में विकास एक जैसा है। बाजार के आकार, आयु लाभांश और 87-88 फीसदी मोबाइल व इंटरनेट पहुंच को देखते हुए भारत हमारे लिए एक अनमोल रत्न है। आपके पास कई अनोखे कारक हैं जो इसकी विस्फोटक क्षमता को बढ़ावा देते हैं। किसी भी अन्य क्रिप्टो या डिजिटल ऐसेट एक्सचेंज की तरह हमें भारत में बहुत रुचि है।
भारत की क्षमता की तुलना इंडोनेशिया, फिलीपींस या वियतनाम जैसे बाजारों से कैसे की जा सकती है, जहां विनियामक स्पष्टता बेहतर है?
जनसंख्या के आकार, खर्च करने योग्य आय और कामकाजी उम्र के वयस्कों के लिहाज से भारत का कोई मुकाबला नहीं है। संभावित ग्राहकों और लेनदेन की विशाल संख्या की कोई तुलना नहीं है। भारतीय उपयोगकर्ता अत्यधिक प्रयोगात्मक, लागत-सचेत और समझदार हैं। यहां स्विचिंग लागत कम है। वे मजबूत तरलता, प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण, सुरक्षा और उत्कृष्ट उपयोगकर्ता अनुभव की मांग करते हैं। हमारा मानना है कि हम सभी मोर्चों पर बेहतर प्रदर्शन करने की स्थिति में हैं। हम भारतीय उपयोगकर्ताओं को सुरक्षा, स्थिरता और अपनी व्यक्तिगत संपत्ति और अपने पोर्टफोलियो प्रबंधन को बढ़ाने की क्षमता प्रदान करना चाहते हैं।