भारत का वस्तु व्यापार घाटा अक्टूबर में 31.5 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। त्योहारी मांग के कारण सोने और चांदी के आयात में जबरदस्त वृद्धि से व्यापार घाटा बढ़ा। हालांकि इस दौरान अनुकूल आधार के बल पर निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई। एक साल पहले इसी महीने में देश का व्यापार घाटा 26.31 अरब डॉलर रहा था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।
वाणिज्य विभाग की ओर से आज जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में वस्तु निर्यात पिछले 11 महीनों में सबसे तेज गति (6.2 फीसदी) से बढ़कर 33.6 अरब डॉलर हो गया जबकि आयात भी पिछले 13 महीनों में सबसे अधिक रफ्तार (12.3 फीसदी) से बढ़कर 65.03 अरब डॉलर हो गया। महीने के दौरान सोने का आयात 95.4 फीसदी बढ़कर 7.2 अरब डॉलर हो गया जबकि चांदी का आयात 124.6 फीसदी उछाल के साथ 1.3 अरब डॉलर हो गया।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि सरकार का मानना है कि अक्टूबर के आंकड़ों से पता चलता है कि उम्मीद के संकेत अब दिखने लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘अगस्त के आंकड़ों के दौरान हमने जिन उम्मीद की किरणों की बात की थी वे अब स्थिर होने लगी हैं। उम्मीद है कि हम पिछले साल के आंकड़े को पार कर लेंगे। यह ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक स्तर पर जिंस की कीमतों में नरमी दिख रही है। इसके अलावा उच्च ब्याज दर और विनिमय दर में तेजी के कारण चुनौतियां बरकरार हैं। हम उन नए बाजारों का भी गंभीरतापूर्वक विश्लेषण कर रहे हैं जहां हम कारोबार कर सकते हैं।’
फरवरी से ही वस्तु निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही थी, मगर अगस्त में आंकड़ों में संशोधन के कारण स्थिति अलग रही।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि त्योहारी कैलेंडर में बदलाव को देखते हुए अक्टूबर में वस्तु व्यापार घाटा बढ़कर 22.8 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
उन्होंने कहा, ‘सोने के साथ-साथ तेल आयात के कारण भी अनुमान से अधिक व्यापार घाटा दिखा है। निर्यात मोटे तौर पर हमारे अनुमान के अनुरूप रहा। नवंबर में अधिक छुट्टियां होने के कारण गैर-तेल आयात और निर्यात में कमी आनी चाहिए। हमें इस महीने व्यापार घाटा 22 से 25 अरब डॉलर रहने का अनुमान है।’
भारतीय निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि अक्टूबर के आंकड़ों से पता चलता है कि कमजोर मांग और जिंस की कीमतों में नरमी के बावजूद वस्तु निर्यात में वृद्धि हुई। इससे जाहिर होता है कि भारतीय निर्यात अन्य देशों की हिस्सेदारी में सेंध लगा सकते हैं।
अक्टूबर में सेवाओं का निर्यात 28.7 अरब डॉलर का रहा जो सितंबर में 29.37 अरब डॉलर रहा था। महीने के दौरान सेवाओं का आयात 14.32 अरब डॉलर रहा जो सितंबर में 14.91 अरब डॉलर रहा था।