वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में श्रम बाजार में तेजी के कारण बेरोजगारी दर में कमी आई है, जबकि ज्यादा लोग काम की तलाश में आ रहे हैं। हालांकि युवा बेरोजगारों की संख्या में बढ़ोतरी और वेतनभोगी कामगारों की हिस्सेदारी में कमी चिंता का विषय बनी हुई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा सोमवार को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए जारी तिमाही आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आंकड़ों से पता चला है कि चालू साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) के संदर्भ में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए बेरोजगारी दर वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के 5.4 प्रतिशत की तुलना में वित्त वर्ष2026 की दूसरी तिमाही में घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई। सीडब्ल्यूएस में सर्वे की तारीख के पहले के 7 दिनों की संदर्भ अवधि के आधार पर गतिविधियां निर्धारित की जाती हैं। अगर किसी व्यक्ति को संदर्भ अवधि के दौरान 1 घंटे का भी काम नहीं मिला होता है तो उसे बेरोजगार माना जाता है, अगर वह काम की तलाश में हो।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर 4.8 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत रह गई है। वहीं शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत से मामूली बढ़कर 6.9 प्रतिशत हो गई है। दूसरी तिमाही के दौरान श्रम बल हिस्सेदारी दर (एलएफपीआर) घटकर 55.1 प्रतिशत हो गई है, जिसमें काम कर रहे या काम की मांग करने वाले लोग शामिल होते हैं। यह पहली तिमाही में 55 प्रतिशत थी।